गुड़गांव सामूहिक बलात्कार मामले की पीड़िता ने सुनाई आपबीती

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jun 08, 2017

गुड़गांव। महिला के साथ सामूहिक बलात्कार और उसकी नौ महीने की बच्ची की हत्या के नौ दिन बाद पुलिस ने तीन आरोपियों में से दो को बुधवार को गिरफ्तार कर लिया। महिला से बलात्कार के दौरान आरोपियों ने बच्ची को रोना बंद करवाने के लिए उसे फुटपाथ पर पटक दिया था। गुड़गांव के पुलिस आयुक्त संदीप खिरवार ने कहा, योगेन्द्र को गुड़गांव में उसके ठिकाने से गिरफ्तार कर लिया गया है जबकि अमित को कुछ घंटे बाद शहर से गिरफ्तार कर लिया गया और उनका साथी जयकेश अभी फरार है।

पीड़िता की शिकायत पर त्वरति कार्रवाई करने में पुलिस की ओर से लापरवाही बरते जाने को स्वीकार करते हुए खिरवार ने कहा कि एक महिला सब इंस्पेक्टर को निलंबित कर दिया गया है। पुलिस आयुक्त ने कहा कि तीनों आरोपी हाल ही में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर से गुड़गांव आये थे। पुलिस ने मानेसर के औद्योगिक क्षेत्र में 29 मई को हुए सामूहिक बलात्कार और हत्या के घटनाक्रम को जोड़ा और स्वीकार किया कि जांच में गलती हुई है। गुड़गांव के ‘मिलेनियम टाउन’ से कुछ ही दूरी पर हुई चार घंटे की इस भयानक घटना के बारे में 23 वर्षीय पीड़िता ने संवाददाताओं से बात की।

 

महिला ने पुलिस थाने के बाहर संवाददाताओं से कहा, ‘‘मेरी बच्ची मर गयी और मुझे पता भी नहीं चला।’’ महिला खांडसा गांव स्थित अपने मायके जा रही थी। इस दौरान उसने एक ट्रक से लिफ्ट मांगी। ट्रक चालक ने उसके साथ बदसलूकी की, लेकिन विरोध करने पर बेहद भीड़भाड़ वाले एनएच-8 पर उतार दिया। उसी दौरान नशे में धुत्त तीन लोग एक टेम्पो में आये और उसे घर तक छोड़ने की बात कहने लगे। महिला ने कहा, ‘‘मैं इंतजार कर रही थी, उसी दौरान बीयर पीते हुए हुए लोग एक टेम्पो में मेरे पास आये, और पूछने लगे कि मैं अकेले कहां जा रही हूं। उन्होंने मुझ पर हमला कर दिया... जब मेरी बच्ची रोने लगी तो, उन्होंने उसका मुंह दबाकर चुप कराने का प्रयास किया। फिर बच्ची को फुटपाथ पर फेंक दिया। मैंने उनसे छोड़ देने की विनती की, कहा कि मेरी बच्ची रो रही है। इसके बाद उन्होंने सड़क पर मेरा बलात्कार किया।’’ चार घंटे तक महिला के साथ बलात्कार करने के बाद वह भाग गये। यह जाने बगैर कि बच्ची मर चुकी है, महिला वहां गयी जहां उसकी बच्ची को फेंका गया था, उसे उठाया और अस्पताल पहुंची। वहां डॉक्टरों ने बताया कि बच्ची मर चुकी है। तब तक सुबह हो गयी थी।

 

हार माने बगैर, यह 23 वर्षीय मां अपनी बच्ची का निर्जीव शरीर लेकर दिल्ली मेट्रो में चढ़ी और उसे लेकर दिल्ली के एक अस्पताल में दिखाने आयी। बाद में वह गुड़गांव के एमजी रोड मेट्रो स्टेशन गयी, जहां उसका पति इंतजार कर रहा था।

 

महिला ने कहा, ‘‘मुझे यकीन नहीं हुआ कि मेरी बेटी मर गयी है और मैं मरी हुई बच्ची के साथ दक्षिण दिल्ली के हौजरानी इलाके में स्थित अस्पताल में गयी। बाद में शव के साथ एमजी रोड मेट्रो स्टेशन लौटी।’’

 

इस 23 वर्षीय मां के साथ हुई वीभत्स घटना ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं और पुलिस भी सक्रिय नहीं है। महिला ने बताया कि उसके साथ चार घंटे तक सब कुछ होता रहा लेकिन उस सड़क पर पुलिस की परछाई भी नहीं दिखी। गुड़गांव के पुलिस आयुक्त खिरवार ने स्वीकार किया, ‘‘प्राथमिकी में बलात्कार की धारा जोड़ने में कुछ लापरवाही और गलती हुई है। हम अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं। एक महिला उपनिरीक्षक को निलंबित किया गया है। यह भी सामने आया है कि जांच के दौरान मेडिकल और अन्य प्रक्रिया में भी देरी हुई है।’’

 

सूचनाओं के अनुसार, पुलिस ने शुरूआत में सामूहिक बलात्कार का मामला दर्ज नहीं किया, घटना के पांच दिन बाद उन्होंने प्राथमिकी में यह धारा जोड़ी। अधिकारी ने बताया, विशेष जांच दल का गठन किया गया है और वह मैजिक टेम्पो में मौजूद योगेन्द्र के साथियों की तलाश में जुटी हुई थी। वारदात के दिन मैजिक टेम्पो में मौजूद तीन लोगों में योगेन्द्र भी था। पहली नजर में ऐसा लगता है कि बच्ची की हत्या में तीनों शामिल हैं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार बच्ची की मौत मुंह-नाक बंद करने पर दम घुटने और बाहरी चोटों के कारण हुई है। उन्होंने कहा, तीनों ने महिला को लिफ्ट दी और उसे मानेसर में वारदात की जगह पर ले गये। वहां बार-बार उसके साथ बलात्कार किया। योगेन्द्र ने पुलिस को बताया कि वे बीयर पी रहे थे और जब उन्होंने महिला को देखा तो वह नशे में थे।

 

आईएमटी मानेसर चौक से तीनों उसे एनएच-8 की सर्विस लेन में ले गये। गुड़गांव के पुलिस प्रमुख ने बताया, ‘‘सड़क की दूसरी ओर बने रिमझिम होटल से उन्होंने खाना लिया और मैजिक टेम्पो को सेक्टर-8 की बाहरी सड़क की ओर मोड़ लिया। फिर उन्होंने रो रही बच्ची को फुटपाथ पर फेंक दिया ताकि लोगों का ध्यान उन पर ना जाये।’’ महिला द्वारा बच्ची को अस्पताल ले जाये जाने के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘अस्पताल प्रशासन ने बच्ची को मृत घोषित कर दिया था लेकिन पुलिस को सूचित नहीं किया। हम उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे।’’ सभी आरोपी और महिला मानेसर के बस खुसला गांव में किराये के मकान में रहते थे। महिला पति और पड़ोसियों के साथ झगड़ा होने के बाद 29 मई की रात को घर से निकली थी। गुड़गांव पुलिस ने आरोपियों का स्केच जारी किया और जनता से उनकी पहचान करने का अनुरोध किया।

 

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