तुलसी के औषधि गुणों को प्राचीन समय से ही महत्व दिया गया है। यही कारण है कि भारतीय परंपरा में घर के आंगन में तुलसी का पौधा आवश्यक माना गया है। तुलसी के इन्हीं गुणों व सात्वकता के कारण ही इसे अंग्रेजी में होली बेसिल नाम दिया गया है और इसीलिये भारत में हम इसकी पूजा करते हैं।
तुलसी एक बहुगुण पौधा है जिसमें अनेक रोगनाशक विशेषतायें होती हैं। तुलसी के पत्तों का तीन महीने तक लगातार सेवन हमें किसी भी प्रकार के छोटे बड़े रोगों से मुक्त कर सकता है।
वे रोग जिनमें तुलसी का सेवन अत्यन्त लाभदायक है−
1. जल्दी जल्दी खांसी व जुकाम।
2. पुराना सर का दर्द।
3. आंखो में भारीपन व जोर पड़ना।
4. बुढ़ापे की कमजोरी
5. दस्त व कब्ज
6. उच्च व निम्न रक्तचाप
7. हृदय सम्बन्धित विभिन्न बीमारियां
8. मोटापा
9. एसीडिटी
10. बुखार
11. गुर्दे के रोग
12. पथरी
- तुलसी का लगातार सेवन शरीर को ताकतवर बनाता है व इससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। यह शरीर में विटामिन ए व सी की कमी को भी पूरा करती है।
- महिलाओं के रोग व सौन्दर्य वृद्धि के लिये तुलसीः महिलाओं में प्रसव के बाद की बीमारियां जैसे जोड़ों का दर्द, मसूड़ों से खून रिसना, दांत हिलना, कमर मे दर्द व जल्दी थकान से छुटकारा पाने के लिये तुलसी से अधिक कारगर कोई अन्य औषधि नहीं है। यह प्रसव के बाद शरीर को वापस अपनी सामान्य स्थिति में लाने में सहायता करती है। गर्भाशय को मजबूत बनाती है व मासिक धर्म को नियंत्रित करती है।
- तुलसी के लगातार सेवन से झाइयां, झुर्रियां दूर होती हैं व किसी भी तरह फोड़े, फुंसी व मुंहासे साफ हो जाते हैं।
- कैसे करे तुलसी का सेवनः तुलसी के 30−35 पत्ते को धोकर पीस लें। इससें एक या दो चम्मच मीठी दही मिलाकर पेस्ट बना लें। सुबह खाली पेट इस पेस्ट को तीन महीने तक खायें। इस पेस्ट को खाने के कम से कम एक घंटे बाद ही नाश्ता करें। ध्यान रहे कि दही खट्टी बिल्कुल नहीं हो। यदि दही के साथ नहीं खाना चाहते तो एक या दो चम्मच शहद में तुलसी के 30 से 35 पत्ते मिलाकर खायें। सामान्य बीमारियों में इस पेस्ट का दिन में एक बार सेवन करना ही पर्याप्त है। बच्चों को इस पेस्ट का 1/4 हिस्सा ही दें। ध्यान रहे कि इस मिश्रण को कभी बच्चों को दूध में मिलाकर ना दें।
- त्वचा सम्बन्धित रोग और तुलसीः मुहांसे, फ्यास, बाल झड़ने जैसी स्थिति में तुलसी के 4−5 पत्ते धोकर एक या दो काली मिर्च के साथ चबायें।
-प्रीटी