By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Sep 28, 2022
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, “मीडिया के सामने बोलने के बजाए उन्हें अपनी राय विधायक दल की बैठक में रखना था। कांग्रेस की यह परंपरा रही है कि किसी भी मुद्दे पर अंतिम फैसला पार्टी आलाकमान ही लेता है। हमने देखा है कि प्रत्येक विधायक की राय स्वतंत्र रूप से (पार्टी पर्यवेक्षकों द्वारा) मांगी जाती है, लेकिन वे (विधायक) इस प्रक्रिया को खत्म करना चाहते थे और समूह में मिलना चाहते थे जो पार्टी की पारदर्शी और लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ है।’’ उन्होंने गहलोत को लेकर कहा कि वह पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं और उनकी मौजूदगी में राजस्थान में ऐसा संकट कैसे पैदा हो गया। सिंहदेव ने कहा,“मैं चकित था कि गहलोत जी जैसे नेता के होने के बावजूद ऐसी स्थिति सामने आई। यह (उन्हें अनुशासन में रखना) उनकी जवाबदेही थी। वह पार्टी आलाकमान से मुलाकात कर रहे थे, फिर (राजस्थान में) स्थिति कैसे नियंत्रण से बाहर हो गई? कैसे 92 विधायक अपना इस्तीफा लेकर विधानसभा अध्यक्ष के निवास पहुंच गए और उन्होंने पार्टी पर्यवेक्षकों के सामने जाने से इनकार कर दिया। यह दुखद, आश्चर्यजनक और अस्वीकार्य है।’’
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें गहलोत की क्षमता पर संदेह है, उन्होंने कहा, “ हम उन्हें पार्टी अध्यक्ष पद की दौड़ में सबसे आगे देख रहे थे क्योंकि इसकी संभावनाओं को लेकर काफी चर्चा चल रही थी। उन्होंने पार्टी के भीतर प्रमुख पदों पर कार्य किया है। यदि कोई अपने घर को अनुशासन में रखने में असमर्थ है तो यह प्रश्न निश्चित रूप से मन में आएगा कि यदि राजस्थान में गहलोत जी नहीं कर पाए तोराष्ट्रीय स्तर पर मेरे परिवार (कांग्रेस) का क्या होगा। ’’ इस वर्ष जुलाई में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ कथित मनमुटाव के बाद सिंहदेव ने पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि वह अभी भी स्वास्थ्य विभाग समेत चार विभागों के मंत्री हैं। छत्तीसगढ़ में वर्ष 2018 में नई सरकार के गठन के बाद मुख्यमंत्री बघेल और सिंहदेव के बीच कथित रूप से दूरियां बढ़ी है। सिंहदेव के समर्थकों के मुताबिक राज्य में मुख्यमंत्री पद के ढाई-ढाई वर्ष का फार्मूला तय किया गया था। उसके अनुसार सिंहदेव को भी मुख्यमंत्री पद मिलना था।