भरोसे का संकट (व्यंग्य)

By स्व. यज्ञ शर्मा | Jul 19, 2017

''आपके पास हाथ है?'' ''है?'' ''गुड, उस हाथ में क्या है?'' ''कुछ नहीं है।'' ''अरे इतने संकोच से क्यों बोल रहे हैं। इसमें शर्म की कोई बात नहीं है कि आपके हाथ में कुछ नहीं है। आज देश के ज़्यादातर लोगों के हाथ में कुछ नहीं है। आपके हाथ में कुछ नहीं है तो इसका मतलब यह है कि आप इस देश में मैजोरिटी में हैं। यह इस देश की डेमोक्रेसी की खासियत है। देश के ज़्यादातर हाथों को कुछ नहीं देती और थोड़े से हाथों को बहुत कुछ दे देती है।'' 

''और, जनाब आप? आपके हाथ में क्या है?'' ''अच्छा नौकरी है!'' ''अच्छी नौकरी है?'' ''जी हां, नौकरी अच्छी चीज़ होती है। आप उससे अपना परिवार पालते हैं। बच्चों को पढ़ाते−लिखाते हैं। लेकिन, आजकल हालात अजीब हो गये हैं। एक ओर नौकरी बड़ी चीज़ है, तो दूसरी ओर बड़ा डर भी है। आज हर आदमी डरा−डरा सा रहता है कि कहीं उसकी नौकरी न चली जाए। कितनी अजीब बात है, एक ओर नौकरी ताकत देती है तो दूसरी ओर डराती भी है। तो चलिए, आपके पास नौकरी है, यह एक अच्छी बात है है, लेकिन नौकरी के अलावा आपके हाथ में क्या है?'' ''कुछ नहीं है।'' ''कुछ कैसे नहीं है? आप भूल रहे हैं। आपके हाथ में अनिश्चितता है, एक डर है− मेरे पास हाथ तो हैं, लेकिन कल इन हाथों के पास कोई काम न हुआ तो?'' 

 

''अच्छा श्रीमान, आप अपना हाथ सीने पर रखिए और बताइए, आपको किसी पर भरोसा है?'' ''नहीं, नहीं, ईश्वर की बात मत करिए। ईश्वर पर भरोसा करना आपका निजी मामला है। आप करते हैं तो अच्छी बात है। लेकिन, ईश्वर पर भरोसा करना वास्तव में जिंदगी में भरोसा करना नहीं होता। क्योंकि, ईश्वर जिंदगी में भरोसा करने की बात नहीं करता। वह जिंदगी के बाद भरोसे की बात करता है। जीते जी सिर पर छत देने की बात नहीं करता। मरने के बाद स्वर्ग देने की बात करता है। आप स्वर्ग में भरोसा ज़रूर रखिए। लेकिन, अभी आप मरे नहीं हैं। इसलिए, फि़लहाल जिंदगी में भरोसे की बात करिए और सीने पर हाथ रख कर करिए। कर सकते हैं? 

 

''अच्छा यह बताइए, देश के नेताओं के बारे में आपका क्या ख़्याल है? अरे, ऐसे झटके से सिर मत घुमाइए। नहीं, नहीं मुंह मत बनाइए। चलिए, जाने दीजिए। मैं आपसे नेताओं के बारे में कुछ नहीं पूछूंगा। वैसे भी, जब नेताओं को ही नेताओं पर भरोसा नहीं है तो कोई और उन पर भरोसा कैसे करे? चलिए कुछ और पूछता हूं। अच्छा यह बताइए, मेरे बारे में आपका क्या ख़्याल है? क्या आपको मुझ पर भरोसा है? नहीं, नहीं, संकोच से भर कर हां मत कहिए। अगर, भरोसा नहीं है तो 'है' मत कहिए। मुझे बिलकुल बुरा नहीं लगेगा। मैं आपको अंदर की एक बात बताऊं, मुझे आप पर भरोसा नहीं है। नहीं, नहीं, बुरा मत मानिए। यह बात मैं आपका अपमान करने के लिए नहीं कह रहा हूं। यह तो हमारे देश की हकीकत है। आज देश के सामने सबसे बड़ा सवाल भरोसे का है। आज आपको देश में कहीं कोई किसी पर भरोसा करता दिखाई देता है? इस देश में, अब किसी को किसी पर भरोसा नहीं है। यही इस देश का सबसे बड़ा संकट है। हमें एक−दूसरे पर भरोसा नहीं है। अब, आप सीने पर हाथ रख कर बताइए कि क्या हम भरोसेमंद हैं। 

 

असल में आज इस देश में आपको अपने दो हाथों की ज़रूरत नहीं है। आपके पास एक बड़ा हाथ होना चाहिए, जो आपके सिर पर रखा हो। अब, इस देश में अपने सीने पर हाथ रखने से काम नहीं चलता। सिर पर किसी और का हाथ रखवाना ज़रूरी है। तो, अगर आप खुद को सफल मानते हैं, तो सीने पर हाथ रख कर बताइए कि आपके सिर पर किसी और का हाथ नहीं है और उस हाथ को रखवाने में आपने सिर नहीं झुकाया है?

 

- स्व. यज्ञ शर्मा

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