ह्यूस्टन में संपन्न 'हाउडी मोदी' कार्यक्रम की अपार सफलता दर्शाती है कि न्यू इंडिया अब नयी वैश्विक शक्ति के रूप में उभर रहा है। इस न्यू इंडिया के साथ दुनिया का हर देश संबंध प्रगाढ़ बना लेना चाहता है क्योंकि सबको दिख रहा है कि भारत दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति के रूप में स्थापित होने की राह पर चल पड़ा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सही कहा है कि आज भारत का सबसे बड़ा नारा है- संकल्प से सिद्धि। संकल्प पूरा करने के लिए न्यू इंडिया उड़ान को तैयार है और यकीनन अब देश चुनौतियों को टाल नहीं रहा बल्कि उनसे टकरा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से 50,000 अमेरिकी भारतीय लोगों को ह्यूस्टन में संबोधित करना दुनिया के दो बड़े लोकतंत्रों के बीच बढ़ रहे द्विपक्षीय संबंधों को तो रेखांकित करता ही है साथ ही यह गठबंधन एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन के प्रभुत्व की महत्वाकांक्षा पर लगाम लगाने की दृष्टि से भी अहम है।
अनुच्छेद 370 समाप्त किये जाने पर दुनिया भर में 'कश्मीर' राग अलाप रहे पाकिस्तान पर इससे बड़ा प्रहार कोई और नहीं हो सकता था जो मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति की उपस्थिति में किया। मोदी ने कहा, 'दिक्कत उन लोगों को हो रही है जिनसे अपना देश नहीं संभल रहा है। ये वो लोग हैं जो अशांति चाहते हैं, आतंक के समर्थक हैं, आतंक को पालते पोसते हैं।’’ उन्होंने कहा, 'उनकी पहचान आप भी अच्छी तरह जानते हैं। अमेरिका में 9:11 हो या मुम्बई में 26:11... उसके साजिशकर्ता कहां पाये जाते हैं?’’ अमेरिकी राष्ट्रपति की मौजूदगी में मोदी ने कहा, 'अब समय आ गया है कि आतंकवाद के खिलाफ और आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ी जाए। मैं यहां पर जोर देकर कहना चाहूंगा कि इस लड़ाई में राष्ट्रपति ट्रंप पूरी मजबूती के साथ आतंक के खिलाफ खड़े हुए हैं।’’
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ट्रंप ने भी जिस तरह पाकिस्तान पर परोक्ष निशाना साधते हुए सीमा सुरक्षा को अमेरिका और भारत के लिए महत्वपूर्ण बताया वह पाकिस्तान के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है। लगभग महीने भर पहले जब इमरान खान अमेरिका की पहली आधिकारिक यात्रा पर ट्रंप से मिलकर पाकिस्तान पहुँचे थे तो विजयी मुद्रा लिये हुए थे लेकिन अब उनका चेहरा उतरा हुआ है। यह चेहरा इसलिए उतरा हुआ है क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी ने पूरी दुनिया के सामने से पाकिस्तान के चेहरे का नकाब उतार दिया है। पहले दुनिया सिर्फ यह जानती थी कि पाकिस्तान आतंक को पनाह देता है लेकिन इस बात को खुले रूप में मानती नहीं थी। पर अब वक्त बदल चुका है, ये दुनिया वही है लेकिन इसने अपना रुख बदल लिया है और यह बात खुलेआम मान रही है कि भारत में आतंकवादी चांद से नहीं सीमापार से आते हैं।
हाउडी मोदी कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी की बॉडी लैंग्वेज बता रही थी कि उनमें आत्मविश्वास किस कदर कूट-कूट कर भरा हुआ है। वह भारत के अन्य प्रधानमंत्रियों की तरह अमेरिकी राष्ट्रपति के पीछे-पीछे नहीं बल्कि उनके आगे चलते हैं। मोदी में माद्दा है कि वह अमेरिकी राष्ट्रपति का हाथ पकड़ कर उन्हें पूरे स्टेडियम में घुमा सकते हैं, मोदी में माद्दा है कि वह अमेरिकी राष्ट्रपति की मजाक-मजाक में उनके सामने ही उनकी खिंचाई कर सकते हैं। ट्रंप को और पूरी दुनिया को प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की जिस नयी शक्ति से परिचित कराया है उसकी गूँज लंबे समय तक रहेगी। ट्रंप की धरती पर मोदी का यह धमाल अभी जारी रहने की उम्मीद है क्योंकि प्रधानमंत्री को अभी संयुक्त राष्ट्र महाधिवेशन को भी संबोधित करना है।
हाउडी मोदी कार्यक्रम की उपलब्धियों की बात करें तो यह दुनिया के सामने स्पष्ट हो गया है कि धैर्यवान समझे जाने वाला भारत अब विकसित देश बनने के लिए अधीर है। भारत ने दुनिया को बता दिया है कि वह ईज ऑफ लिविंग ही नहीं ईफ ऑफ बिजनेस को भी समान महत्व दे रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में जहां भारत के विविधता भरे समाज की खूबियों का जिक्र किया वहीं विभिन्न भाषाओं, लोकतांत्रिक समाज, विभिन्न पूजा पद्धति और कल्याणकारी योजनाओं आदि का भी जिक्र किया।
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जहाँ तक ट्रंप के इस कार्यक्रम में शामिल होने की बात है तो उन्हें जहाँ भारत के साथ प्रगाढ़ता का संदेश देना था वहीं उनकी नजर मजबूत होते विशाल अमेरिकी भारतीय समुदाय पर भी है और वह 2016 के मुकाबले 2020 में इस समुदाय का ज्यादा से ज्यादा वोट चाहते हैं। अगले साल होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों से पहले ट्रंप के पास 'हाउडी मोदी' कार्यक्रम में भाग लेना एक बड़ा मौका भी था क्योंकि उन्हें इसके जरिये इतनी विशाल संख्या में अमेरिकी भारतीयों को संबोधित करने का मौका मिल गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 'अबकी बार ट्रंप सरकार' का नारा लगाकर अमेरिका में बसे भारतीय मूल के लोगों को संदेश दे दिया है लेकिन उनके इस नारे की भारत में कांग्रेस पार्टी ने आलोचना करते हुए कहा है कि यह भारत की विदेश नीति के विपरीत है।
दूसरी ओर, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री भारत से सीधा मुकाबला होने की स्थिति में हार की बात तो स्वीकार कर ही चुके हैं अब उन्हें यह भी मान लेना चाहिए कि विश्व में भी भारत के सामने उनके देश का कोई सम्मान भी नहीं रह गया है। खुद तसवीरें बयां करती हैं एक और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वागत में 50 हजार से ज्यादा लोग और शीर्ष अमेरिकी अधिकारी उमड़े और राष्ट्रपति ट्रंप ने मोदी की तारीफों के पुल बांधने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी तो दूसरी ओर जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री अमेरिका पहुँचे तो उनके स्वागत के लिए कोई नहीं पहुँचा और वहां सिर्फ एक फीट का कॉरपेट रखा गया था।
बहरहाल...दुनिया के दो सबसे बड़े और पुराने लोकतंत्रों के राष्ट्राध्यक्ष साथ आये हैं, दुनिया को एक सपना दिखाया है तो निश्चित ही उसके परिणाम दिखेंगे। जहाँ तक भारत की बात है तो प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट कर ही दिया है कि बहुत कुछ करने के इरादे लेकर अब देश चल पड़ा है। हमने नई चुनौतियां तय करने की और उन्हें पूरा करने की जिद ठान रखी है। इन लक्ष्यों को पूरा करने में जो सहयोग देना चाहता है वह दे सकता है, भारत को तो अपनी नयी मंजिलें पाने तक का सफर तय करना ही है। हाउडी मोदी कार्यक्रम का अमेरिका ही नहीं पूरी दुनिया में क्या जलवा रहा इसको आज के सभी अमेरिकी अखबार भी बखूबी बयां कर रहे हैं।
-नीरज कुमार दुबे