By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | May 07, 2020
वाशिंगटन। अमेरिका में ट्रंप प्रशासन ने एक बड़ा कदम उठाते हुए एक संघीय जिला अदालत से पूर्ववर्ती अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की सरकार के उस नियम पर रोक न लगाने का अनुरोध किया है, जिसमें कुछ श्रेणियों में एच-1बी वीजा धारकों के पति/पत्नियों को देश में काम करने की अनुमति दी जाती है। गृह मंत्रालय (डीएचएस) ने अमेरिकी जिला अदालत डिस्ट्रिक्ट वाशिंगटन में इस सप्ताह दलील दी कि एच-4 वीजा धारकों को काम करने की मंजूरी देने वाले 2015 के आदेश को चुनौती देने वाले अमेरिकी प्रौद्योगिकी पेशेवरों को इस तरह की मंजूरी से कोई हानि नहीं हुई है।
इसे भी पढ़ें: राष्ट्रपति ट्रंप ने कोरोना अटैक को पर्ल हार्बर और 9/11 हमले से भी बदतर बताया
एच-4 वीजा अमेरिका की नागरिकता एवं आव्रजन सेवा (यूएससीआईएस) द्वारा एच-1 वीजा धारकों के परिवार के करीबी सदस्यों (पति/पत्नी और 21 साल की उम्र तक के बच्चों) को दिया जाता है। ज्यादातर एच-1बी वीजा धारक भारतीय आईटी पेशेवर होते हैं। यह सामान्यत: उन लोगों को दिया जाता है, जिन्होंने पहले ही रोजगार आधारित कानूनी स्थायी निवासी का दर्जा हासिल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। डीएचएस ने पांच मई को अपनी अर्जी में कहा कि ‘सेव जॉब्स यूएसए’ के अमेरिकी तकनीकी कर्मियों की ओर से दी गई दलील में उसके सदस्यों को संभावित रूप से पहुंचने वाले आर्थिक नुकसान का आकलन किया गया है। ‘सेव जॉब्स यूएसए’ ने 2015 में दायर मुकदमे में दलील दी थी कि ओबामा प्रशासन द्वारा बनाए नियम से उसके उन सदस्यों को नुकसान पहुंचेगा जो अमेरिकी प्रौद्योगिकी कर्मी हैं।