By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Sep 21, 2020
नाम उजागर न करने की शर्त पर तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “भाजपा हमें हिन्दू विरोधी कह कर प्रचारित करती रही है। उनके सदस्य खुद को हिंदुत्व के सबसे बड़े ठेकेदार बताते हैं। इसलिए हमने समावेशी विकास के संदेश के साथ जनता के बीच, विशेषकर हिंदू समुदाय तक अपनी पहुंच बढ़ाने का निर्णय लिया।” उन्होंने कहा, “हिंदू विरोधी होने के आरोपों से हमें 2019 के लोकसभा चुनाव में बहुत नुकसान हुआ था। हम इसे बदलना चाहते हैं लेकिन इसके साथ ही हम अल्पसंख्यकों को किनारे नहीं कर सकते। हमें इस खाई को भरना होगा और 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले जनता के बीच अपनी खोई हुई जमीन वापस लेनी होगी।” तृणमूल के सूत्रों के अनुसार 2019 के लोकसभा चुनाव में उत्तरी और दक्षिणी बंगाल के कई हिस्सों में पार्टी की हार “आंखें खोलने वाली” थी। पिछले साल राजनीतिक पंडितों के आकलन को धता बताते हुए पश्चिम बंगाल में भाजपा ने 42 में से 18 सीटों पर जीत हासिल की थी और 41 प्रतिशत मत हासिल किया था। लोकसभा में तृणमूल की सीटें 2014 में 34 थीं जिनकी संख्या 2019 में घटकर 22 रह गई थी। इसके अलावा पार्टी को जंगलमहल क्षेत्र में करारी हार का सामना करना पड़ा था जहां की आदिवासी जनता ने इस बार तृणमूल की बजाय भाजपा के पक्ष में मतदान किया था।
ममता बनर्जी नीत पार्टी के सूत्रों का कहना है कि हिंदुओं में ब्राह्मण पुजारियों को अभी भी बहुत आदर प्राप्त है और यह चुनाव में बाजी पलटने की क्षमता रखते हैं। एक सूत्र ने कहा, “आई-पैक (किशोर का संगठन) ने बंगाल की स्थिति की समीक्षा की है और हमारी रणनीति पुनः बनाने के लिए सुझाव दिए हैं। हमारी संशोधित योजना के तहत ब्राह्मणों तक पहुंच बढ़ाने का निर्णय लिया गया है।” राजनीतिक विशेषज्ञों का दावा है कि 2019 के संसदीय चुनाव के नतीजे और भाजपा द्वारा लगातार किए जा रहे हमलों के कारण तृणमूल को अपनी रणनीति बदलने पर मजबूर होना पड़ा। राजनीतिक विश्लेषक विश्वनाथ चक्रवर्ती ने कहा कि तृणमूल का ‘नरम हिंदुत्व’ का एजेंडा उन हिंदू मतों को वापस पाने का प्रयास है जो अब भाजपा के पाले में चले गए हैं। चक्रवर्ती ने कहा, “केवल समय ही बता सकता है कि पार्टी को इस नरम हिंदुत्व से लाभ होगा या नहीं। तृणमूल, हिंदू मतों का विभाजन करते हुए अल्पसंख्यक मतों को छोड़ना नहीं चाहती। यदि वह भाजपा के हिंदू मतों का विभाजन सफलतापूर्वक कर लेती है तो पार्टी फायदे में रहेगी।” राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पश्चिम बंगाल इकाई ने पिछले सप्ताह कहा था कि सरकार ने भत्ते की घोषणा कर “ब्राह्मणों का मजाक उड़ाया है। आरएसएस ने कहा था कि वर्तमान बंगाल में बंगाली बोलने वाले हिन्दुओं का अस्तित्व खतरे में है। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और पार्टी के बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस सरकार की “चुनावी पैंतरेबाजी” से कोई नतीजा नहीं निकलने वाला।