सिर्फ जोड़ों में नहीं होता गठिया, जानिए स्पाइनल अर्थराइटिस के बारे में

By मिताली जैन | Dec 20, 2018

गठिया का नाम सुनते ही लोग घुटने या कूल्हे के जोड़ के बारे में सोचने लगते हैं। यह सच है कि अर्थराइटिस का मुख्य प्रकोप इन्हीं स्थानों पर होता है लेकिन इसके अतिरिक्त भी शरीर के ऐसे कई भाग हैं जो अर्थराइटिस का शिकार होते हैं। ऐसी ही बीमारी है रीढ़ की गठिया। रीढ़ की हड्डी के जोड़ों में विकार आने पर व्यक्ति स्पाइनल अर्थराइटिस से पीड़ित होता है। इस स्थिति से सबसे ज्यादा व्यक्ति की गर्दन प्रभावित होती है। तो चलिए जानते हैं स्पाइनल अर्थराइटिस के बारे में−


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क्या है स्पाइनल अर्थराइटिस

रीढ़ की हड्डी का अर्थराइटिस वास्तव में गर्दन और निचले हिस्से में जोड़ों और डिस्क के उपास्थि का टूटना है। इसके चलते व्यक्ति को गर्दन या कमर में लंबे समय तक दर्द रहने लगता है। वैसे तो अर्थराइटिस अधिक उम्र में ही व्यक्ति को होता है लेकिन कई कारणों के चलते अब युवा भी इस बीमारी की चपेट में आने लगे हैं।

 

जाने कारण

स्पाइनल अर्थराइटिस के कम उम्र में होने के कई कारण हो सकते हैं। इनमें ज्वाइंट में चोट, उपास्थि में आनुवंशिक दोष, अत्यधिक वजन, फोन पर गर्दन झुकाकर बात करना, कंप्यूटर पर देर तक गलत पॉश्चर में काम करना, मुख्य वजहें हो सकती हैं।

 

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पहचानें लक्षण

स्पाइनल अर्थराइटिस को उसके लक्षणों की मदद से बेहद आसानी से पहचाना जा सकता है। स्पाइनल अर्थराइटिस की समस्या होने पर गर्दन व पीठ में दर्द व स्टिफनेस बनी रहती है। यह स्टिफनेस दिन की शुरूआत में सबसे अधिक होती है हालांकि धीरे−धीरे यह दर्द व स्टिफनेस कम होने लगता है और दिन के अंत में फिर से दर्द बढ़ने लगता है। साथ ही यह समस्या होने पर व्यक्ति को कई तरह की फिजिकल एक्टिविटी करने में भी परेशानी होती है।

 

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जरूरी परीक्षण

स्पाइनल अर्थराइटिस को डायग्नोसिस करने का एक आसान उपाय एक्स रे है। एक्स रे के दौरान बोन डैमेज, बोन स्पर्स, उपास्थि व डिस्क आदि का एक्स रे किया जाता है। इसके अतिरिक्त डिस्क की संभावित क्षति को जानने के लिए ब्लड टेस्ट व मैग्नेटिक रेसोनेंस इमेजिंग आदि परीक्षण भी किए जाते हैं। वहीं व्यक्ति की मेडिकल हिस्ट्री व फिजिकल परीक्षण के जरिए भी स्पाइनल अर्थराइटिस की पहचान की जाती है।

 

 

ऐसे करें इलाज

स्पाइनल अर्थराइटिस का इलाज व दर्द को कम करने के लिए हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाना बेहद आवश्यक है। इसकी शुरूआत वजन को नियंत्रण करने से करनी चाहिए। जिन लोगों का वजन अधिक है, उन्हें पहले एक हेल्दी वेट मेंटेन करना चाहिए। इसके अतिरिक्त व्यायाम को दिनचर्या का हिस्सा बनाएं। इससे फ्लेक्सिबिलिटी बेहतर होती है। साथ ही रक्त प्रवाह में सुधार व हार्ट को स्टेंथ करने में मदद मिलती है। डाइट में पोषक तत्व भी भरपूर मात्रा में होना आवश्यक है। वहीं स्पाइनल अर्थराइटिस में बिना दवाईयों के मसाज, एक्यूपंचर, हीट व कोल्ड कंप्रेस, ट्रांसक्यूटेशनल इलेक्टिकल नर्व स्टिमलुशेन के जरिए भी इलाज संभव है। 

 

-मिताली जैन

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