उच्चतम न्यायालय ने यमुना नदी में प्रदूषण को लेकर 23 साल पुरानी जनहित याचिका आज राष्ट्रीय हरित अधिकरण के यहां स्थानांतरित कर दी। प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड की पीठ ने कहा कि एक ही मुद्दे पर विचार के लिये दो समानांतर अधिकार क्षेत्र नहीं हो सकते हैं।
पीठ ने इस जनहित याचिका को हरित अधिकरण के यहां स्थानांतरित कर दिया। न्यायालय ने एक अंग्रेजी दैनिक में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में यमुना में प्रदूषण की स्थिति के बारे में प्रकाशित खबर का स्वत: ही संज्ञान लेते हुये इसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था।