प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा पिछले दिनों गुजरात की साबरमती नदी से केवड़िया-साबरमती रिवरफ्रंट सी-प्लेन सेवा की शुरूआत की गई। सी-प्लेन सेवा की बड़ी विशेषता यह है कि यह देश की पहली ऐसी सी-प्लेन सेवा है, जो पानी और जमीन दोनों जगहों से उड़ान भर सकती है और इसे पानी के साथ-साथ जमीन पर भी अर्थात् दोनों ही जगहों पर लैंड कराया जा सकता है। सी-प्लेन सेवा के माध्यम से अहमदाबाद के साबरमती रिवरफ्रंट को नर्मदा जिले के केवड़िया में स्थित स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को आपस में जोड़ा गया है। देश को समर्पित कर दिए जाने के बाद सी-प्लेन सेवा पर्यटकों के लिए प्रतिदिन अहमदाबाद से केवड़िया और केवड़िया से अहमदाबाद के बीच उपलब्ध होगी। सी-प्लेन की उड़ानें स्पाइसजेट की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कम्पनी ‘स्पाइस शटल’ द्वारा संचालित की जा रही हैं। शुरूआत में स्पाइसजेट द्वारा अहमदाबाद-केवड़िया मार्ग पर दो दैनिक उड़ानें संचालित की जा रही हैं। आने वाले समय में पर्यटकों की संख्या के आधार पर इन उड़ानों की संख्या बढ़ाई जा सकती है।
स्पाइसजेट द्वारा संचालित सी-प्लेन उड़ानों के लिए 15 सीटर ट्विन ओटर 300 विमानों का इस्तेमाल किया जा रहा है। ट्विन ओटर 300 सबसे सुरक्षित और सबसे लोकप्रिय सी-प्लेन है, जो दुनियाभर में सबसे लोकप्रिय और व्यापक रूप से इस्तेमाल किए जाने वाले विमानों में से एक है। साबरमती नदी से केवड़िया डैम तक चलने वाले दोनों सी-प्लेन कनाडा से गुजरात आए हैं। दोनों ही फ्लाइटों में दो विदेशी पायलट और दो क्रू-मेंबर रहेंगे, जो अगले छह महीनों तक गुजरात में रहकर यहां के पायलटों को ट्रेनिंग देंगे। अहमदाबाद में साबरमती रिवरफ्रंट को नर्मदा जिले के केवड़िया में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी से सीधे जोड़ने वाली सी-प्लेन सेवा से गुजरात में पर्यटन को काफी बढ़ावा मिलेगा। दरअसल दुनियाभर से पर्यटक सरदार वल्लभ भाई पटेल की दुनियाभर में सबसे ऊंची प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ को देखने के लिए गुजरात आते हैं और प्रतिमा दर्शन करने के लिए अहमदाबाद से केवड़िया जाते हैं। अहमदाबाद से केवड़िया के बीच की दूरी करीब दो सौ किलोमीटर है, जिसे तय करने में लोगों को अभी तक 4-5 घंटे का समय लगता था लेकिन सी-प्लेन की शुरूआत होने के बाद यह दूरी तय करने में अब करीब 45 मिनट का ही समय लगेगा। इस सेवा का लाभ उठाने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को एक ओर का 1500 रुपये किराया चुकाना होगा अर्थात् समय की बचत के साथ सी-प्लेन से दोनों तरफ का रोमांचक सफर तीन हजार रुपये में किया जा सकेगा। सी-प्लेन में एक बार में दो पायलट और दो क्रू मेम्बर सहित कुल 19 लोग सवार हो सकते हैं।
अपनी विश्वसनीयता, शानदार डिजाइन, शॉर्ट टेक-ऑफ और लैंडिंग क्षमताओं के लिए सी-प्लेन दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं। इन्हें ऐसी कारगर उड़ान मशीनें कहा जाता है, जो नई जगहों पर और विपरीत भौगोलिक क्षेत्रों में सुगमतापूर्वक जाने में मददगार होती हैं। इनमें पानी से उतरने और टेक-ऑफ करने की अद्भुत क्षमता होती है, जिससे ऐसे क्षेत्रों तक पहुंच काफी सुगम हो जाती है, जहां लैंडिंग स्ट्रिप्स या रनवे नहीं होते। इनकी सबसे बड़ी विशेषता यही है कि ये महज 300 मीटर के छोटे से रनवे से भी उड़ान भर सकते हैं और इसी विशेषता के कारण 300 मीटर की लंबाई वाले किसी भी तालाब या जलाशय का इस्तेमाल हवाई पट्टी के रूप में किया जा सकता है। छोटे फिक्स्ड विंग वाला यह विमान जलाशयों के अलावा पथरीली उबड़-खाबड़ जमीन और घास पर भी उतर सकता है।
काफी सुरक्षित माने जाने वाले सी-प्लेन का दुनियाभर में सर्वाधिक उपयोग किया जाता है। इनका अब तक का कोई दुर्घटना इतिहास नहीं है, इसीलिए दुनियाभर में अपने गंतव्य तक उड़ान अनुभव के लिए यह सर्वाधिक मांग वाला विमान है। यह एंफीबियस श्रेणी का प्लेन होता है, जो कई मायनों में खास है। यह वजन में बेहद हल्का होता है, इसके लिए बहुत लंबे रनवे की जरूरत नहीं पड़ती और यह कम ईंधन में भी उड़ान भर सकता है। स्पाइसजेट द्वारा चलाया जा रहा सी-प्लेन वास्तव में 3377 किलोग्राम वजनी ट्विन ओटर 300 सी-प्लेन है, जिसमें एक बार में 1419 लीटर तक पैट्रोल भरा जा सकता है और इसकी एक घंटे की उड़ान के दौरान करीब 272 लीटर पैट्रोल की ही खपत होती है। इसमें बेहतर प्रदर्शन करने वाला एक ट्विन टर्बोप्रोप प्रैट एंड व्हीट्नी पीटी 6ए-27 इंजन दिया गया है। यह 8 से 12 फुट की ऊंचाई पर उड़ान भरते हुए एक बेहद रोमांचक और यादगार यात्रा का अनुभव कराता है।
गुजरात सरकार द्वारा केन्द्र सरकार के निर्देश पर राज्य की पांच नदियों के लिए पायलट प्रोजेक्ट के रूप में जिस सी-प्लेन प्रोजेक्ट की शुरूआत की गई है, उसके साबरमती नदी से केवड़िया डैम तक का उद्घाटन प्रधानमंत्री द्वारा किया जा चुका है। अब अन्य चारों नदियों में भी सी-प्लेन का संचालन शुरू करने के अलावा इन नदियों में छोटे जहाज चलाने की योजना पर भी कार्य शुरू किया जाएगा। दरअसल गुजरात में नर्मदा, साबरमती, तापी, अंबिका और पूर्णा जैसी बड़ी नदियों में पूरे साल पानी भरा रहता है, इसीलिए पायलट प्रोजेक्ट के रूप में अब इनका उपयोग जलमार्ग के रूप में करते हुए सफर को आसान बनाने के अलावा छोटे जहाजों की मदद से माल ढुलाई का काम किए जाने की भी योजना है, जिससे सड़कों पर बढ़ते यातायात को कम करने में भी मदद मिल सके। बहरहाल, साबरमती नदी से केवड़िया डैम तक देश में पहली सी-प्लेन सेवा की शुरूआत होने के बाद अब देश के कई दूसरे शहरों के बीच भी ऐसी ही सी-प्लेन सेवाएं शुरू होने की संभावनाएं बढ़ गई हैं, जिससे देशभर में पर्यटन को काफी बढ़ावा मिलेगा और समुद्री मार्गों से कनेक्टिविटी बढ़ने से पर्यटन के अलावा व्यापारिक गतिविधियों को भी इससे बढ़ावा मिलेगा।
-योगेश कुमार गोयल
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार तथा सामरिक मामलों के विश्लेषक हैं)