न्यूयार्क। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि सरकार बैंकों के फंसे कर्ज के मुद्दे के समाधान को शीर्ष प्राथमिकता दे रही है, उन्होंने यह भी माना कि गैर निष्पादित आस्तियां (एनपीए) भारतीय बैंकिंग प्रणाली पर बुरा असर डाल रही हैं। जेटली ने यहां विदेश संबंध परिषद में अपने संबोधन में बैंकों की गैर निष्पादित आस्तियों के समाधान को एक बड़ी चुनौती बताया और कहा कि यह फिलहाल सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है।
उन्होंने कहा कि एनपीए की समस्या 20--30 बड़े खातों में ही ज्यादा है। उन्होंने कहा, ‘‘यह ऐसी समस्या नहीं है जो हजारों खातों में फैली हो.. और भारत जैसी बड़ी अर्थव्यवस्था के लिए 20 से 30 खातों की समस्या का हल करना असंभव नहीं है। अतएव यह अजेय समस्या नहीं है। मैं समझता हूं कि यह लंबे समय से बनी हुई है और यह हमारे उपर बुरा असर डाल रही है।’’ उन्होंने सोमवार को यहां कहा, ‘‘यदि आप मुझसे पूछते हैं तो कई ऐसे सुधार या बदलाव हुये हैं जिन्हें हमने सफलतापूर्वक किया है। यही एक ऐसी बाधा है जिससे हमें अब पार पाने की जरूरत है और फिलहाल हमारा ध्यान इस पर है।’’ जेटली ने कहा कि हालांकि, इसमें एक बाधा है जिसका सरकार सामना कर रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह बैंकों में नेतृत्व गुणवत्ता के मामले में अवरोध नहीं है बल्कि यह उस माहौल से जुड़ी बाधा है जिसमें बैंक नौकरशाही काम करती है। मैंने देखा है कि बैंक निर्णय लेने में पर्याप्त रूप से मुखर नहीं हैं क्योंकि हमारा भ्रष्टाचार निरोधक कानून अब भी उदारीकरण से पहले के माहौल में बना कानून है।’’ उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार निरोधक कानून की मूलभूत खामियों में एक रहा है फैसला करने की त्रुटिपूर्ण व्यवस्था। संसदीय समिति ने एकमत से इसे दुरूस्त करने की सिफारिश की है।