Tokyo Olympics 2020: तीरंदाजी मिश्रित युगल क्वार्टर फाइनल में कोरिया से हारा भारत

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jul 24, 2021

तोक्यो। रैंकिंग के आधार पर यह उचित फैसला था लेकिन तीरंदाजी मिश्रित युगल में दीपिका कुमारी के साथ अतनु दास की जगह प्रवीण जाधव की जोड़ी बनाना रणनीतिक रूप से गलती नजर आती है और अंतिम लम्हों पर बनाई गई यह जोड़ी शनिवार को यहां तोक्यो खेलों में पदक की दौड़ से बाहर हो गई। दीपका और जाधव की जोड़ी क्वार्टर फाइनल में दक्षिण कोरिया के खिलाफ 2-6 की हार के दौरान बिलकुल भी लय में नहीं दिखी और शीर्ष वीरीय टीम के उम्मीद के मुताबिक नहीं खेलने के बावजूद हार गई। कोरियाई टीम में 17 साल के किम जे दियोक और 20 साल की आन सान थी जो दोनों ओलंपिक में पदार्पण कर रहे थे।

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कोरियाई जोड़ी ने दो सेट संभावित 40 में से 35 अंक बनाने के बावजूद जीत लिए जो दर्शाता है कि दोनों ही जोड़ियां उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाईं। पुरूषों के रैंकिंग दौर में शुक्रवार को खराब स्कोर के बाद भारत ने दीपिका के साथ उनके पति अतनु दास की बजाय जाधव को मिश्रित युगल में उतारने का फैसला किया। एक महीने से भी कम समय पहले दास और दीपिका ने पेरिस विश्व कप में मिश्रित युगल में स्वर्ण जीता था। मिश्रित टीमों का गठन स्कोर के आधार पर होता है और शुक्रवार को जाधव ने रैंकिंग दौर में 31वें स्थान के साथ दीपिका के ‘पसंदीदा’ जोड़ीदार दास से बेहतर प्रदर्शन किया। दास 35वें स्थान पर रहे थे। देश के पास हालांकि एक घंटे के भीतर अपना सर्वश्रेष्ठ संयोजन चुनने के लिए खिलाड़ियों को बदलने का विकल्प होता है लेकिन भारतीय थिंक टैंक ने दीपिका और जाधव के साथ ही उतरने का फैसला किया। दीपिका जोड़ी को बदलने के हैरानी भरे फैसले से हैरान थी।

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उन्होंने चीनी ताइपे के खिलाफ पहले दौर में जीत के बाद कहा था, ‘‘मैं थोड़ी दूखी हूं, वह (अतनु दास) मिश्रित टीम में मेरे साथ नहीं है। यह काफी मायने रखता है क्योंकि मैं उसके साथ खेलना चाहती थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।’’ शीर्ष स्तर के एक पूर्व भारतीय कोच ने इस फैसले को लताड़ा और तोक्यो में बड़ी गलती करने का दोष टीम प्रबंधन पर मढ़ा। कोच ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर पीटीआई को बताया, ‘‘अगर दीपिका ने दास के साथ जोड़ी बनाई होती तो हमारे पास शत प्रतिशत मौका था। दीपिका निराश लग रही थी, हमने उसे अपने जोड़ीदार (जाधव) के साथ बात करते हुए भी नहीं देखा। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘क्या टीम के साथ गए कोच और मैनेजर ने फैसला करने से पहले उसके साथ चर्चा की थी?’’ कोच नेक हा, ‘‘वे (दीपिका और दास) एक दूसरे को काफी अच्छी तरह समझते हैं जिससे शीर्ष स्तर की प्रतियोगिता में मदद मली। मुझे यकीन है कि दास कम से कम छह अंक पर तीर नहीं मारता। हमने बड़ी गलती कर दी। ’’ टीम के साथ तोक्यो गए भारतीय तीरंदाजी संघ (एएआई) के अधिकारी वीरेंद्र सचदेवा ने हालांकि फैसले का बचाव किया।

उन्होंने कहा, ‘‘समन्वय को लेकर कोई समस्या नहीं थी क्योंकि चीनी ताइपे के खिलाफ हमने वापसी करते हुए शानदार प्रदर्शन किया।’’ सचदेवा ने कहा, ‘‘लेकिन ओलंपिक में तीरंदाजी हमारे लिए रहस्य बनी हुई है। कोरियाई टीम के 35 अंक जुटाने के बावजूद जीतने में विफल रहने के कारण हम पहले सेट में ही मुकाबला हार गए थे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा नहीं है कि कोरियाई जीते, हमने यह मुकाबला गंवाया है। मैंने कोरियाई तीरंदाजों को कभी इतना खराब खेलते हुए नहीं देखा और वह भी शीर्ष स्तर हैं।’’ दास को बाहर करने के फैसले पर उन्होंने कहा, ‘‘उसने (जाधव) रैंकिंग के आधार पर जगह हासिल की और इसमें कोई भेदभाव नहीं था। हमारी चयन समिति तटस्थ थी और हमारे नंबर एक तीरंदाज को उतारा गया। हमेशा कभी ना कभी कोई चीज पहली बार होती है।’अधिकारी ने कहा, ‘‘अगर दास और दीपिका हार जाते तो क्या होता? अगर हार होती है तो हमेशा सवाल उठाए जा सकते हैं।’’ पहली बार एक साथ खेल रहे दीपिका और जाधव चीनी ताइपे के खिलाफ लय में नहीं दिखे। भारतीय जोड़ी 1-3 से पिछड़ रही थी लेकिन अंतिम दो सेट में छह 10 अंक के साथ अंतिम आठ में जगह बनाने में सफल रही।

ओलंपिक में पहली बार खेल रही कोरियाई जोड़ी के खिलाफ दीपिका आठ प्रयास में से एक बार भी परफेक्ट 10 अंक नहीं जुटा सकी। जाधव तीन परफेक्ट 10 के बाद महत्वपूर्ण चौथे सेट में छह अंक पर तीर मार बैठे जिससे भारत ने मुकाबला गंवा दिया। पहले सेट में भारतीय जोड़ी एक भी बार 10 स्कोर नहीं कर पाई और कोरियाई जोड़ी उन्हें 35-32 से हराया। दूसरे सेट में जाधव ने दो बार 10 स्कोर करके भारत को मुकाबले में लौटाने की कोशिश की लेकिन दीपिका का स्कोर 8 और 9 रहा। भारतीय टीम दूसरा सेट 37-38 से हार गई। तीसरे सेट में भारतीयों ने तीन नौ और एक आठ स्कोर किया। आन सान ने आखिरी तीर पर आठ स्कोर करके भारत को एकमात्र सेट जीतने का मौका दिया। भारत को चौथे सेट में एक और जीत की जरूरत थी लेकिन जाधव छह ही स्कोर कर पाए जिससे भारत की उम्मीदें लगभग खत्म हो गई। महिला टीम मुकाबले में नहीं है और भारत के सामने अब पुरुष टीम और व्यक्तिगत दौर में कड़ी चुनौती होगी। ये मुकाबले अगले हफ्ते शुरू होंगे।

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