By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jul 29, 2023
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को कहा कि भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए सरकार चार पहलुओं पर ध्यान दे रही है। ये पहलू बुनियादी ढांचा, निवेश, नवाचार और समावेशन हैं। उन्होंने कहा कि भारत के पास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तय लक्ष्य को पूरा करने के लिए जरूरी संसाधन हैं। उन्होंने कहा कि निवेशकों के हित में सरकार के कई सुधारों के साथ ही भारत में एक बड़ी युवा आबादी है और अर्थव्यवस्था की जरूरत के अनुसार उन्हें कुशल बनाने का लाभ मिलेगा। वित्त मंत्री ने कहा कि 2047 तक भारत को एक विकसित देश बनाने के लक्ष्य के साथ चार अलग-अलग पहलुओं पर जोर दिया गया है। हम बुनियादी ढांचे (पहला) पर बहुत अधिक जोर दे रहे हैं।
पिछले तीन से पांच वर्षों में बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए सार्वजनिक खर्च में काफी वृद्धि हुई है और 2023-24 में यह आंकड़ा 10 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा। उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचे के साथ ही निवेश (दूसरा) पर भी जोर दिया जा रहा है। ऐसे में सार्वजनिक और निजी, दोनों क्षेत्रों की भागीदारी बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही डिजिटल बुनियादी ढांचे जैसे क्षेत्रों को भी महत्व दिया गया है। सीतारमण ने सीआईआई द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, हम सार्वजनिक निवेश और निजी निवेश दोनों की तलाश कर रहे हैं। इसके लिए अनुकूल माहौल बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि तीसरी प्राथमिकता नवाचार की है। सरकार ने जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल को कम करने के साथ ही अंतरिक्ष, परमाणु ऊर्जा सहित कई क्षेत्रों को निजी उद्यमियों के लिए खोला है।
वित्त मंत्री ने आगे कहा कि इन सभी प्राथमिकताओं के साथ ही समावेशन की भी जरूरत है। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना भी जरूरी है कि हम जो कुछ भी कर रहे हैं, उसका लाभ भारत के हर वर्ग को मिले। उन्होंने कहा, हमारा लक्ष्य समावेशन पर ध्यान केंद्रित करके 25 वर्षों में विकसित राष्ट्र तक पहुंचना है, साथ ही यह सुनिश्चित करना है कि भारत के हर वर्ग, आम आदमी को हमारे काम से लाभ हो। उन्होंने कहा कि जी20 की अध्यक्षता के दौरान भारत महामारी के बाद की चुनौतियों से निपटने और पुनरुद्धार योजना जैसे समसामयिक मुद्दों पर काम कर रहा है। सीतारमण ने कहा कि बहुपक्षीय विकास बैंकों (एमडीबी) में सुधार कर उन्हें 21वीं सदी की चुनौतियों का समाधान करने में सक्षम बनाना है। उन्होंने कहा कि भारत की अध्यक्षता में अन्य मुद्दे ऋण और ऋण से संबंधित संकट हैं, जिसका कई देश सामना कर रहे हैं। कई देश आवेदन करने के 3-4 साल बाद भी ऋण समाधान की प्रतीक्षा कर रहे हैं।