By अनन्या मिश्रा | Oct 21, 2024
हिंदू धर्म में भगवान गणेश को प्रथम पूज्य देवता माना जाता है। इसीलिए किसी भी अनुष्ठान या शुभ कार्य की शुरूआत करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। माना जाता है कि किसी भी कार्य को करने से पहले गणपति की पूजा करने से कार्य में किसी प्रकार की विघ्न-बाधा नहीं आती है। वहीं बुधवार का दिन गणपति बप्पा को समर्पित होता है।
ऐसे में जो भी जातक रोजाना सच्चे मन से भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करते हैं, उनको गणेश जी की कृपा प्राप्त होती है। इसलिए यदि आप रोजाना भगवान गणेश की पूजा करते हैं, तो आपको गणपति की आरती और उनके मंत्रों का जाप करना चाहिए।
गणेश जी की आरती
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
मंत्र जाप
वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरुमे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लंबोदराय सकलाय जगद्धितायं।
नागाननाथ श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते।।
अमेयाय च हेरंब परशुधारकाय ते।
मूषक वाहनायैव विश्वेशाय नमो नमः।।
एकदंताय शुद्धाय सुमुखाय नमो नमः।
प्रपन्न जनपालाय प्रणतार्ति विनाशिने।।
एकदंताय विद्महे, वक्रतुंडाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात।।