शाह की तुष्टिकरण वाली टिप्पणी पर बरसी TMC, कहा- बंगाल में साम्प्रदायिकता का कोई स्थान नहीं

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Nov 06, 2020

कोलकाता। तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पर शुक्रवार को उनकी ‘‘तुष्टिकरण टिप्पणी’’ को लेकर निशाना साधा और कहा कि साम्प्रदायिक राजनीति का बंगाल में कोई स्थान नहीं है। तृणमूल कांग्रेस ने शाह के दोपहर भोजन के लिए एक मतुआ परिवार में जाने के कार्यक्रम का मखौल उड़ाया और शरणार्थी समुदाय तक पहुंच बनाने को भाजपा शासित राज्यों में पिछड़े समुदायों पर किये गए अत्याचारों से ध्यान बंटाने का एक ‘‘चुनावी हथकंडा’’ करार दिया। 

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शाह ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल के ‘‘खोए गौरव’’ को वापस लाने की आवश्यकता पर बल देते हुए यहां दक्षिणेश्वर मंदिर के दौरे के दौरान कहा कि राज्य में ‘‘तुष्टिकरण की मौजूदा राजनीति’’ ने राष्ट्र की आध्यात्मिक चेतना को बनाए रखने की उसकी सदियों पुरानी परंपरा को चोट पहुंचाई है। भाजपा नेता शाह पश्चिम बंगाल में 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले संगठनात्मक गतिविधियों का जायजा लेने के लिए राज्य के दो दिवसीय दौरे पर हैं। उन्होंने बृहस्पतिवार को कहा था कि वह पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार के खिलाफ भारी रोष को महसूस कर रहे हैं और इस सरकार के पतन की शुरुआत हो चुकी है।

तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं सांसद सौगत रॉय ने कहा, ‘‘तुष्टिकरण की राजनीति से अमित शाह का क्या मतलब है? वह भाजपा के एक कार्यकर्ता के रूप में बोल रहे थे या देश के केंद्रीय गृह मंत्री के रूप में? सरकार को सभी समुदायों के साथ समानता और सम्मान के साथ व्यवहार करना होता है। मुझे नहीं लगता कि राज्य में अल्पसंख्यकों के विकास के लिए कुछ करना एक अपराध है।’’ उन्होंने सवाल किया कि शाह ने इस तथ्य को नजरअंदाज क्यों किया कि बंगाल सरकार ने दुर्गा पूजा समारोह को अनुमति दी थी, जबकि भाजपा शासित कुछ राज्यों ने इसे रद्द कर दिया था। 

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उन्होंने कहा, ‘‘वह दुर्गा पूजा को अनुमति देने के राज्य सरकार के फैसले के बारे में क्यों नहीं बोल रहे हैं? क्या यह अल्पसंख्यक तुष्टिकरण था? मैं यह कहना चाहूंगा कि पश्चिम बंगाल में सांप्रदायिकता का कोई स्थान नहीं है। राज्य की जनता भाजपा की विभाजनकारी राजनीति को खारिज कर देगी।’’ वहीं राज्य के मंत्री फिरहाद हाकिम ने भी शाह पर उनके द्वारा मतुआ परिवार के निवास पर दोपहर का भोजन करने के निर्धारित कार्यक्रम को लेकर निशाना साधा और कहा कि यह लोगों को मूर्ख बनाने का एक प्रयास है। हाकिम ने कहा, ‘‘भाजपा शासित सभी राज्यों में आदिवासियों, दलितों और पिछड़े समुदायों के लोगों पर अत्याचार हो रहे हैं। हर जगह से अत्याचार की खबरें हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए मतुआ समुदाय के किसी व्यक्ति के घर पर दोपहर का भोजन करने का यह नाटक विधानसभा चुनाव से पहले एक चुनावी हथकंडा के अलावा कुछ भी नहीं है। लेकिन वह हर बार लोगों को बेवकूफ नहीं बना सकते हैं और मतुआ लोग भाजपा के दोहरे मानकों से बहुत अच्छी तरह परिचित हैं।’’ मतुआ मूल रूप से पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश)से हैं और वे 1950 के दशक से पश्चिम बंगाल की ओर पलायन कर रहे हैं। मतुआ समुदाय के लोगों का पलायन अधिकतर धार्मिक उत्पीड़न के कारण हुआ है। इस समुदाय के लोगों की राज्य में अनुमानित आबादी करीब 30 लाख है। 

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इस समुदाय का कम से कम चार लोकसभा सीटों और नदिया, उत्तर एवं दक्षिण 24 परगना में 40 विधानसभा सीटों पर प्रभाव है। प्रदेश भाजपा के सूत्रों के अनुसार, संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) से कई शरणार्थी समुदायों को देश में नागरिकता प्राप्त करने में मदद मिलने की उम्मीद है। सीएए पिछले वर्ष संसद द्वारा पारित किया गया था। सूत्रों ने कहा कि सीएए से पश्चिम बंगाल में 72 लाख से अधिक लोगों सहित देश भर में 1.5 करोड़ से अधिक लोगों को लाभ होगा।

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