By अनुराग गुप्ता | Aug 13, 2021
नयी दिल्ली। भाजपा विरोधी खेमे की अगुवाई को लेकर खींचतान बरकरार है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में 15 विपक्षी दलों ने सरकार को घेरने के लिए संसद से लेकर विजय चौक तक पैदल मार्च किया। हालांकि राहुल गांधी के नेतृत्व वाले इस आयोजन से भी तृणमूल कांग्रेस नदारद दिखी। संसद के मानसून सत्र के दौरान विपक्षी एकजुटता की तस्वीरें सभी ने देखीं लेकिन उस तस्वीर से तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी खेमा गायब रहा।
विपक्षी खेमे की रणनीति के लिए राहुल गांधी ने कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में चाय पार्टी का आयोजन किया था जिससे तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और बसपा ने दूरियां बनाईं। हालांकि कई मौकों पर तृणमूल कांग्रेस की संसदीय दल की नेता ममता बनर्जी ने नेतृत्व करने की इच्छा प्रकट की है।
लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा को मिली बहुमत के बाद विपक्षी खेमा एकजुट होने की कोशिशों में जुट गया था। ऐसे में संसद के मानसून सत्र में कृषि कानून, पेगासस जासूसी, महंगाई समेत कई मुद्दों पर घेरने की रणनीति तैयार की थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कई विपक्षी नेताओं का मानना है कि पार्टियों के बीच में समन्वय और एजेंडा तैयार होना चाहिए उसके बाद नेतृत्व के विषय पर चर्चा हो।ममता बनर्जी के हाल के घटनाक्रमों की तरफ ध्यान दें तो कहीं-न-कहीं केंद्र की मोदी सरकार को सीधी चुनौती देने की कोशिशों में जुट गईं हैं। वह पांच दिवसीय दिल्ली यात्रा के दौरान भी एक्टिव दिखाई दीं। उन्होंने तमाम विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाकात की।