कभी मनमोहन को कहा अंडर अचीवर, कभी PM मोदी को बताया डिवाइडर, वक्त के साथ रंग बदलने में माहिर है TIME

By अभिनय आकाश | Sep 24, 2020

नाहक ही स्कूलों के पाठयक्रमों में गिरगिट को रंग बदलने के खेल का विजेता घोषित किया जाता रहा है। कुछ पत्रिका और लेखक इस खेल में उससे भी काफी आगे निकल चुके हैं। टाइम यानी समय जो कि किसी के लिए रूकता नहीं है और न ही समय को कोई रोक सकता है। लेकिन आज बात समय वाले टाइम की नहीं बल्कि मैगजीन वाले टाइम की करेंगे। जो पल-पल बदलते अपने स्टैंड के लिए फेमस है। टाइम मैगजीन की पहचान कभी कुछ और फिर कभी कुछ और कहने वाली मैगजीन के रूप में देखने को मिली है। लोकतंत्र के लिए निष्पक्ष चुनाव होना ही काफी नहीं है क्योंकि इससे सिर्फ ये पता चलता है कि किसे अधिक वोट मिले।

भारत की 130 करोड़ की आबादी में ईसाई, मुसलमान, सिख, बौद्ध, जैन धर्म के लोग भी रहते हैं। भारत की 80 प्रतिशत जनसंख्या हिन्दुओं की है और अब तक के अधिकतर प्रधानमंत्री इसी धर्म के मानने वाले रहे हैं। नरेंद्र मोदी ऐसे शासन कर रहे हैं जैसे उनके लिए और कोई मायने ही नहीं रखता। मुस्लिम समुदाय नरेंद्र मोदी की हिन्दु राष्ट्रवादी पार्टी बीजेपी के निशाने पर रहा है। ये टाइम मैगजीन ने भारत के चुने हुए प्रधानमंत्री के बारे में लिखा है। यहां पर चुने हुए शब्द का प्रयोग करना इसलिए भी जरूरी है कि वर्तमान में कोई गठबंधन या इधर-उधर से समर्थन लेकर चल रही सरकार नहीं है बल्कि पूर्ण बहुमत लेकर बनाई गई सरकार है।  

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साल 2009 में मनमोहन सिंह को बताया

'टाइम' ने साल 2009 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तारीफों के पुल बांधते हुए कहा था कि उन्होंने भारत को विश्व की तेजी से बढ़ती अर्थव्यस्थाओं में शामिल कर दिया है। पत्रिका में लेखक माइकल इलियट ने अपने लेख 'नो करिज्मा? डोन्ट वरी, यू कैन स्टिल बी ए लीडर' में कहा था कि मनमोहन सिंह ने भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान की और वर्ष 2004 से ही देश की अर्थव्यवस्था में सुधार लाने वाला नेता बताया। 

साल 2012 में अंडर अचीवर करार दिया

साल 2012 में मैगजीन ने अपने जुलाई अंक में मनमोहन सिंह को अपने फ्रंट कवर पर जगह तो दी लेकिन टाइम मैग्जीन ने मनमोहन सिंह को 'अंडरअचिवर' करार दिया। टाइम ने अपने एशिया संस्करण के मुखपृष्ठ पर मनमोहन सिंह की तस्वीर प्रकाशित करते हुए 'द अंडरअचीवर' लिखा यानी ऐसा नेता जो उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा। पत्रिका ने उनके नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए लिखा है, 'भारत को नई शुरुआत की जरूरत है, क्या प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इसके लिए योग्य हैं।' पत्रिका के मुताबिक, सिंह उन सुधारों को जारी रखने के इच्छुक नहीं हैं, जिनसे देश को दोबारा प्रगति के रास्ते पर लौटाया जा सकेगा। यानी, पत्रिका ने प्रधानमंत्री की उपलब्धि को नाकाफी बताया है। 

मोदी का मतलब व्यापार

साल 2012 में ही कवर पेज पर लिखा था- Modi Means Business यानी मोदी का मतलब व्यापार। लेकिन उसके नीचे लिखा गया- But Can He Lead India? इस समय नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे और उनके प्रधानमंत्री बनने की चर्चाएं हो रही थीं।

मोदी सरकार के पहला साल पूरा होने पर लिखा Why Modi Matters

वर्ष 2015 में भी टाइम मैगजीन के कवर पेज पर नरेंद्र मोदी नजर आए। ये मोदी सरकार के पहला साल पूरा होने के मौके पर छपा कवर था। इसमें लिखा गया- Why Modi Matters... यानी मोदी इतने महत्वपूर्ण क्यों हैं? लेकिन इसके नीचे एक सवाल पूछा गया कि Can He Deliver? यानी क्या वो अच्छा काम कर पाएंगे?

साल 2019 में PM मोदी को बताया डिवाइडर इन चीफ

टाइम ने 20 मई  के अपने संस्करण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कवर पेज पर जगह देते हुए उन्हें "India's Divider in Chief" यानी की 'भारत का प्रमुख विभाजनकारी' बताया। टाइम पत्रिका के एशिया एडिशन ने लोकसभा चुनाव 2019 और पिछले पांच सालों में नरेंद्र मोदी सरकार के कामकाज पर लीड रिपोर्ट करते हुए शीर्षक दिया “Can the World's Largest Democracy Endure Another Five Years of a Modi Government?”

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लोकसभा चुनाव 2019 के बाद बदले सुर

लोकसभा चुनाव के दौरान पीएम मोदी को भारत को बांटने वालों का प्रमुख’ कहने वाले टाइम ने चुनाव खत्म होने के बाद उन्हें ‘भारत को एक धागे में पिरोने वाला’ बताया। लेख में मनोज लाडवा ने लिखा कि अपने पहले कार्यकाल और उसके बाद चुनाव के दौरान मोदी की नीतियों की बुरी तरह आलोचना की गई लेकिन पिछले पचास वर्षों में कोई भी प्रधानमंत्री इस तरह इंडियन इलेक्ट्रोरेट को एक सूत्र में नहीं पिरो पाया है जैसे मोदी ने किया है। 

वास्तविकता पर गौर करें तो में टाइम का स्वामित्व बीते एक ही साल में दो हाथों में जा चुका है। साल 2018 के मार्च में इसे बेटर होम्स और गार्डन्स जैसी मैग्जीन्स के प्रकाशक मेरेडिथ ने खरीदा था। जिसके सात महीने के भीतर ही उसी साल सितंबर में इसे सेल्सफोर्स के संस्थापक और टेक उद्यमी मार्क बेनिऑफ तथा उनकी पत्नी ने खरीदा था।

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