केसीआर की राष्ट्रीय पार्टी के लॉन्च से नदारद रही बेटी कविता, परिवार में दूरी आने के लगाए जा रहे कयास

By रितिका कमठान | Oct 07, 2022

राष्ट्रीय राजनीति में कदम रखने वाले के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) ने नई शुरुआत तो कर दी है। उन्होंने दशहरा के मौके पर तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) का नाम बदलकर भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) किया है। पार्टी के इस लॉन्च कार्यक्रम में काफी चकाचौंध रही मगर इस दौरान पार्टी के कुछ नेता गायब भी दिखे, जिसमें प्रमुख तौर पर केसीआर की बेटी कविता का नाम शामिल किया जा रहा है। 

 

लॉन्च इवेंट से रही नदारद

दरअसल कयास लगाए जा रहे है कि इस कदम को लेकर पार्टी के कुछ नेताओं में मतभेद है। इस कदम से पार्टी नेता और केसीआर की बेटी कविता भी खुश नहीं है। यही कारण रहा कि पार्टी के लॉन्च के मौके पर वो इस हाई प्रोफाइल इवेंट से नदारद रही। राजनीतिक गलियारों में कहा जा रहा है कि पार्टी के अलावा परिवार में भी सब कुशल मंगल नहीं है। जानकारी के अनुसार जब पार्टी का लॉन्च इवेंट जारी था, तब कविता घर पर दशहरा मना रही थी। उन्होंने घर पर पूजा करते हुए एक तस्वीर भी पोस्ट की है। 

 

उपचुनाव सूची में नहीं नाम

उनकी नाराजगी को आगामी मुनुगोड़े उपचुनाव के लिए टीआरएस के प्रभारी सूची ने भी पुख्ता किया, क्योंकि इस सूची में उनका नाम शामिल नहीं किया गया है। इस सूची में केसीआर की बेटी कविता की जगह उनके बेटे केटीआर को प्रभारी बनाया गया है। इस सूची में सविता इंदिरा रेड्डी, सत्यवती राठौड़, पद्म देवेंद्र रेड्डी जैसे सांसदों और विधायकों के नाम शामिल है। बता दें कि मुनुगोड़े विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में प्रचार और प्रबंधन के लिए 87 इंचार्ज नेताओं की लिस्ट बनाई गई है, जिसमें कविता का नाम शामिल नहीं है। पार्टी के इस फैसले से पिता और बेटी के बीच बढ़ती दूरियों को समझा जा सकता है।

 

पार्टी ने नहीं किया कविता का बचाव

बता दें कि हाल ही में भाजपा ने दिल्ली शराब घोटाला मामले में टीआरएस सांसद कविता राव का नाम होने की बात कही थी। हालांकि इस आरोप के बाद भी पार्टी ने किसी तरह का बचाव नहीं किया है। हालांकि बाद में कविता ने खुद इस मामले में अपना पक्ष रखा था। 

 

दशहरा के मौके पर बदला गया है नाम

पार्टी अध्यक्ष और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने पार्टी का नाम परिवर्तन दशहरा के मौके पर किया है। पार्टी के नाम परिवर्तन संबंधित प्रस्ताव को उन्होंने पढ़ा और घोषणा की कि पार्टी की आम सभा की बैठक में सर्वसम्मति से टीआरएस का नाम बदलकर बीआरएस करने का संकल्प लिया गया।

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