भोपाल। मध्य प्रदेश में टाइगर हंट की घटनाएं लगातार सामने आ रही है। सोमवार सुबह शाहपुर वन परिक्षेत्र अंतर्गत डिंडौरी के सरसताल पंचायत में एक बाघ मृत अवस्था में पाया गया है। बाघ को करंट लगाकर मारा गया है। इसके साथ मध्य प्रदेश में इस साल 41 बाघों की मौत हो चुकी है।
दरअसल सोमवार सुबह ग्रामीणों ने मृत बाघ को देखा जिसके बाद वन विभाग के अधिकारियों को सूचना दी गई। सूचना मिलते ही डीएफओ साहिल गर्ग सहित वन विभाग का अमला भी मौके में पहुंचा।
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जिसके बाद डीएफओ ने कहा कि बाघ कब और कैसे यहां आया अभी स्पष्ट नहीं हो सका है। वन विभाग के मुताबिक बाघ के शरीर पर कोई चोट के निशान नहीं हैं ऐसे में मौत के कारणों का पता पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही चल सकेगा।
वहीं इस मुद्दे पर वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट अजय दुबे ने टाइगर की मौत के लिए पूरी तरह से वन विभाग को जिम्मेदार बताया है। अजय दुबे ने कहा कि बीते कुछ सालों से मध्य प्रदेश में सर्वाधिक बाघों की मौत हो रही है। ऐसा लगता है वन विभाग को कोई चिंता ही नहीं है। आप ये जानकर हैरान होंगे कि मध्य प्रदेश में पिछले पांच वर्षों में टाइगर सेल की एक भी बैठक नहीं हुई है। एमपी न तो ढंग से सुपरविजन होता है, न पैट्रोलिंग होती है, और न ही इंटेलिजेंस नेटवर्क है।
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आपको बता दें कि पिछले हफ्ते विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान कांग्रेस विधायक नारायण सिंह पट्टा ने बाघों की मौत को लेकर सवाल उठाया था। इसके लिखित जवाब में वनमंत्री विजय शाह जवाब दिया।
उन्होंने कहा कि इस साल जनवरी से लेकर 7 सितंबर तक 41 बाघों के मौत की पुष्टि हुई इनमें से 11 बाघों का शिकार हुआ है। पिछले साल को लेकर वनमंत्री ने बताया कि 1 जनवरी से 31 दिसंबर 2020 तक 30 बाघों की मौत हुई, जिनमें 9 मामले शिकार के हैं और 21 स्वाभाविक मौत हैं।