योगी आदित्यनाथ सपा प्रमुख के खिलाफ ऐसे बुन रहे हैं सियासी जाल

By अजय कुमार | Nov 12, 2024

भारतीय जनता पार्टी के नेता और खासकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आजकल समाजवादी पार्टी को हिंदुत्व के नाम पर तो घेर ही रहे हैं इसके अलावा अखिलेश राज में फैली अराजकता, जंगलराज, उनके कार्यकाल में हुए दंगों की भी याद जनता को दिला रहे हैं। यह कहा जा सकता है कि अखिलेश को चौतरफा घेरने की तैयारी चल रही है।हरियाणा वाला जादू यूपी में चल गया तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव के लिये आगे की सियासी राह मुश्किल हो जायेगी। उप चुनाव में बीजेपी और योगी की यह रणनीति सफल रही तो इसका उप चुनाव में तो पार्टी को फायदा होगा ही 2027 में होने वाले यूपी विधान सभा चुनाव के लिये भी इसे आगे बढ़ाया जा सकता है। दरअसल, योगी और अन्य बीजेपी के नेता उप चुनाव को 2027 के चुनाव का रिहर्सल मानकर चल रहे हैं, उप चुनाव के नतीजे बीजेपी के पक्ष में आते हैं तो लोकसभा चुनाव से उत्साहित अखिलेश बैकफुट पर आ सकते हैं। उधर, बीजेपी का लोकसभा चुनाव के नतीजों का गम भी काफी कम हो जायेगा। इसी बात को ध्यान में रखकर योगी अपनी रैलियों में लगातार सपा सरकार के समय के गुंडाराज, समाजवादी पार्टी के नेतृत्व व नेताओं की आपराधिक की परतें उधेड़ रहे हैं। वह अंबेडकरनगर की कटेहरी, मीरजापुर की मझवां और प्रयागराज की फूलपुर या अन्य विधानसभा सीटों के उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशियों के समर्थन में आयोजित सभा में समाजवादी पार्टी को जहां अपराधी, दुष्कर्मी, माफिया का प्रोडक्शन हाउस बता रहे हैं, वहीं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को इसका सीईओ और पार्टी महासचिव शिवपाल यादव को ट्रेनर करार दे रहे हैं।


सपा के पीडीए के नारे की अपने हिसाब से व्याख्या करते हुए योगी पीडीए का अर्थ है ‘प्रोडक्शन हाउस ऑफ दंगाई एंड अपराधी’ बताते हैं। वह कहते हैं कि अतीक अहमद, मुख्तार अंसारी, खान मुबारक सपा के इसी प्रोडक्शन हाउस की उपज थे। इसी के साथ योगी बार-बार याद दिलाते हैं कि बंटेंगे तो कटेंगे और एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे, इसलिए एकजुट रहिए।भाजपा प्रत्याशी धर्मराज निषाद के समर्थन में आयोजित सभा में मुख्यमंत्री ने यहां तक कहा कि कांग्रेस-सपा वाले महापुरुषों का सम्मान नहीं करते हैं। एक साल पहले भाजपा 31 अक्टूबर को जब राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में वल्लभ भाई पटेल की जयंती मना रही थी तो सपा और उसके मुखिया भारत विभाजन के जिम्मेदार जिन्ना की जयंती मना रहे थे। इन्हें जिन्ना प्यारा है, क्योंकि उसने भारत का विभाजन कराया था।

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योगी बताते हैं कि एससी-एसटी पर सर्वाधिक अत्याचार सपा शासन के दौरान हुए। 2015-16 में इन लोगों ने एससी-एसटी के बच्चों की छात्रवृत्ति रोक दी थी, उसे भी हमने शुरू कराया। कांग्रेस व सपा का इंडी गठबंधन देश व समाज के लिए खतरनाक है, इसलिए हरियाणा में जनता ने उन्हें नहीं आने दिया और भाजपा की हैट्रिक लगाई। प्रयागराज के फूलपुर में भाजपा प्रत्याशी दीपक व मिर्जापुर के मझवां में शुचिस्मिता के समर्थन में आयोजित सभा में सपा को सीधे निशाने पर लिया। योगी की इसी मुखरता के कारण चुनाव प्रचार में भाजपा के स्टार प्रचारक व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मांग लगातार बढ़ रही है। उत्तर प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव में लगातार तीन दिनों तक नौ रैलियां करने के बाद योगी झारखंड के एक दिवसीय दौरे पर रहेंगे। योगी झारखंड में चार रैलियां कर भाजपा के चुनाव प्रचार को धार देंगे। इससे पहले पांच नवंबर को भी उन्होंने झारखंड में कई रैलियां कर भाजपा के उम्मीदवारों का प्रचार किया था। मुख्यमंत्री की पहली जनसभा भवनाथपुर विधानसभा क्षेत्र में होगी। भारतीय जनता पार्टी ने यहां से मनु प्रताप शाही को उम्मीदवार बनाया है। योगी इसके बाद पलामू जिले की हुसैनाबाद सीट से उम्मीदवार कमलेश कुमार सिंह के लिए वोट मांगेंगे। उनकी तीसरी व चौथी रैली भी पलामू में ही होगी। तीसरी रैली पांकी से शशिभूषण मेहता के लिए करेंगे। वहीं चैथी व आखिरी रैली डाल्टनगंज विधानसभा क्षेत्र में होगी। यहां से भाजपा ने आलोक कुमार चौरसिया को उम्मीदवार बनाया है। योगी जहां भी चुनाव प्रचार के लिए जा रहे हैं वहां पर अपनी तेज-तर्रार शैली की छाप भी छोड़ रहे हैं। यही वजह है कि हर चुनाव में प्रचार के लिए पार्टी में उनकी मांग लगातार बढ़ रही है।

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