By अंकित सिंह | Feb 07, 2024
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता विधेयक पेश किए जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने आज कहा कि प्रस्तावित कानून और कुछ नहीं बल्कि सभी समुदायों पर लागू होने वाला एक 'हिंदू कोड' है। उन्होंने दावा किया कि विधेयक में हिंदुओं और आदिवासियों को छूट दी जा रही है। उन्होंने यह भी दावा किया कि यह संहिता मुसलमानों को एक अलग धर्म और संस्कृति का पालन करने के लिए मजबूर करती है, जो संविधान में निहित मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
एक्स पर ओवैसी ने लिखा कि उत्तराखंड यूसीसी बिल और कुछ नहीं बल्कि सभी के लिए लागू एक हिंदू कोड है। सबसे पहले, हिंदू अविभाजित परिवार को छुआ नहीं गया है। क्यों? यदि आप उत्तराधिकार और विरासत के लिए एक समान कानून चाहते हैं, तो हिंदुओं को इससे बाहर क्यों रखा गया है? क्या कोई कानून एक समान हो सकता है यदि वह आपके राज्य के अधिकांश हिस्सों पर लागू नहीं होता है?उन्होंने कहा कि यूसीसी में द्विविवाह, हलाला, लिव-इन रिलेशनशिप नियमों के बारे में बात हो रही है लेकिन कोई भी इस तथ्य के बारे में बात नहीं कर रहा है कि हिंदू अविभाजित परिवार को बाहर रखा गया है।
ओवैसी ने कहा कि अगर आदिवासियों को कोड से बाहर रखा गया है तो इसे एक समान नहीं कहा जा सकता। उन्होंने कहा कि अन्य संवैधानिक और कानूनी मुद्दे भी हैं। आदिवासियों को बाहर क्यों रखा गया है? यदि एक समुदाय को छूट दी गई है तो क्या यह एक समान हो सकता है, अन्य संवैधानिक और कानूनी मुद्दे भी हैं। आदिवासियों को बाहर क्यों रखा गया है? यदि एक समुदाय को छूट दी जाए तो क्या यह एक समान हो सकता है? एआईएमआईएम नेता ने कहा कि यह संहिता मुसलमानों को दूसरे धर्मों की संस्कृति का पालन करने के लिए मजबूर करती है। ओवैसी ने कहा कि विधेयक केवल संसद द्वारा अधिनियमित किया जा सकता है क्योंकि यह शरिया अधिनियम, हिंदू विवाह अधिनियम, एसएमए, आईएसए का खंडन करता है।