By अनन्या मिश्रा | May 18, 2023
हर साल आज के दिन यानी की 18 मई को दुनियाभर में विश्व एड्स वैक्सीन दिवस मनाया जाता है। इसको मनाने के पीछे का उद्देश्य एड्स जैसी खतरनाक बीमारी के प्रति लोगों को जागरुक करना है। बता दें कि आज से 42 साल पहले इस बीमारी की पहचान पहली बार अमेरिका में साल 1981 में हुई थी। यह इतनी गंभीर बीमारी है कि सीधे व्यक्ति के इम्यून सिस्टम पर हमला करती है। इस बीमारी में मरीज बहुत कमजोर हो जाता है। जिस कारण मरीज का शरीर अन्य किसी बीमारी से खुद का बचाव करने में असमर्थ हो जाता है।
साल 1997 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने इस बीमारी पर बात करते हुए कहा था कि 'मात्र एक प्रभावी, निवारक एचआईवी वैक्सीन ही इस गंभीर बीमारी के खतरे को कम कर सकता है और फिर बाद में मिटा सकता है। इसके अलावा उन्होंने एक दशक के अंदर HIV वैक्सीन बनाने का दावा किया था। जिसके बाद 18 मई 1998 को पहली बार इस भाषण की वर्षगांठ मनाने के लिए विश्व एड्स वैक्सीन दिवस मनाया गया था। जिसके बाद से हर साल 18 मई को विश्व एड्स वैक्सीन दिवस मना कर लोगों को जागरुक किया जाने लगा।
जानिए क्या है एड्स
एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशिएंसी सिंड्रोम एड्स का पूरा नाम है। बता दें कि यह एक संक्रामक बीमारी है, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलती है। जिस वायरस से एड्स बीमारी फैलती है, उसे एचआईवी कहते हैं। यह बीमारी तेजी से मरीज के इम्यून सिस्टम को कमजोर करने का काम करती है और उसको बेहद कमजोर बना देती है। बता दें कि यह संक्रामक मरीज के शरीर में तेजी से व्हाइट ब्लड सेल्स कम को कम करना शुरी कर देता है। जिससे मरीज का शरीर दिन प्रति दिन कमजोर पड़ने लगता है। एड्स होने के दौरान मरीज को कई अन्य बीमारियां भी घेर लेती हैं। जिससे व्यक्ति की हालत काफी खराब हो जाती है। वहीं कई बार मरीज मौत के बेहद करीब भी पहुंच जाता है।
एड्स के लक्षण
शरीर में खुजली और जलन
तेज बुखार और लगातार खांसी
अचानक वजन कम होना
मुंह में सफेद चकत्तेदार धब्बे उभरना
गले, जांघों और बगलों की लसिका ग्रंथियों की सूजन से गांठें पड़ना,,
शरीर से अधिक पसीना निकलना
स्किन कैंसर की समस्या आदि
बार-बार दस्त लगना
निमोनिया और टीबी
अत्यधिक थकान
एड्स की नहीं बन सकी वैक्सीन
बता दें कि कई गंभीर बीमारी पोलियो, जॉन्डिस, सर्वाइकल कैंसर और यहां तक कि कोरोना संक्रमण की भी वैक्सीन बन चुकी है। लेकिन 42 साल बाद भी एड्स को जड़ से समाप्त करने की वैक्सीन नहीं बन पाई है। हालांकि एड्स को जड़ से समाप्त करने के लिए लगातार कई वर्षों से शोध किए जा रहे हैं। लेकिन अभी तक इसमें सफलता नहीं मिल पाई है। यह वायरस शरीर में प्रवेश करने के साथ ही लंबे समय तक यह वायरस शरीर में छिपा रहता है। एचआईवी वायरस में काफी ज्यादा म्यूटेशन होते हैं। जिस कारण इम्यून सिस्टम इस वायरस को खत्म करने में असमर्थ हो जाता है।
ऐसे होता है इलाज
बेशक अभी तक एचआईवी को मारने वाला वैक्सीन नहीं बन पाया है, लेकिन इसकी कुछ दवाएं आ चुकी हैं। यह दवाएं शरीर में एचआईवी वायरस के अमाउंट को कंट्रोल करने का काम करती हैं। एड्स की इन दवाओं को ART कहा जाता है। ART के माध्यम से 6 महीने के अंदर एचआईवी वायरस काबू में आ जाता है। यदि समय रहते पीड़ित मरीज को एड्स की सही दवाएं दी जाएं तो मरीज की उम्र को बढ़ाया जा सकता है।