पिछले 100 दिनों में इन बड़े राजनीतिक फैसलों ने बताया, मोदी सरकार में है दम

By अंकित सिंह | Sep 10, 2019

सरकार अच्छी है या बुरी, इसका पता हमें उसके फैसलों से चलता है। उसके फैसले देश और समाज को कैसे नई दिशा दे पाती है और साथ ही साथ उन फैसलों में सरकार की कैसी इच्छाशक्ति झलकती है यह भी एक बड़ा महत्वपूर्ण चीज देखने को रहता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व वाली केंद्र की भाजपा सरकार अपने दूसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे कर रही है। इन 100 दिनों में देखा जाए तो भाजपा सरकार ने ऐसे कई अहम और मजबूत फैसले लिए हैं जिसको हम बड़ा करार दे सकते हैं। चुकी देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था है ऐसे में सरकारें राजनीतिक नफा नुकसान को देखते हुए ही फैसले लेती हैं। इन 100 दिनों में नरेंद्र मोदी की नेतृत्व वाली सरकार ने ऐसे कई फैसले लिए गए हैं जो उसकी मजबूत इच्छाशक्ति को तो अच्छे से दिखाता ही हैं साथ ही साथ विपक्षी दलों को भी सोचने पर मजबूर कर देता है। इन 100 दिनों में सरकार के कुछ फैसले रहे जो विपक्षी पार्टियों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि इसका हम विरोध करें या समर्थन करें। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि इन 100 दिनों में मोदी सरकार द्वारा ऐसे कौन-कौन से बड़े राजनीतिक फैसले लिए गए जो विरोधियों को चित्त कर देने वाला था। 

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--सबसे पहले बात करते हैं सरकार के सबसे अहम और सबसे बड़े राजनीतिक फैसले के बारे में। अचानक अमरनाथ यात्रा को खत्म करना, जम्मू कश्मीर में अतिरिक्त जवानों की तैनाती कर देना यह सब कुछ कुछ ना कुछ जरूर दर्शाता था पर यह किसी को पता नहीं था कि यह सरकार 70 सालों से लटके बड़े फैसले पर निर्णय ले सकती है। 5 अगस्त को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह राज्यसभा में यह बताते हुए कहते हैं कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के कुछ प्रावधानों को छोड़कर और 35A भी खत्म किया जा रहा है। इसके अलावा उन्होंने एक और बड़ा ऐलान किया कि जम्मू-कश्मीर को 2 केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया जा रहा है। इसका मतलब साफ है कि कहीं ना कहीं नरेंद्र मोदी और अमित शाह पिछले 70 वर्षों से जिस पर किसी भी दल की कोई सरकार नहीं फैसला कर पाई, उस पर यह वर्तमान सरकार ने बहुत बड़ा फैसला लिया। इन 100 दिनों में नरेंद्र मोदी सरकार का यह सबसे बड़ा राजनैतिक और ऐतिहासिक फैसला माना जा रहा है। 

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--सरकार का दूसरा सबसे बड़ा राजनैतिक का फैसला तब देखने को मिला जब केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने तीन तलाक बिल को लोकसभा के साथ-साथ राज्यसभा में भी पास करवाने में कामयाब रही। तीन तलाक बिल काफी लंबे समय से लटका हुआ था और भाजपा नेता लगातार यह कहते रहे थे कि वह मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलवा के रहेंगे। उसी दिशा में आगे बढ़ते हुए नरेंद्र मोदी की सरकार ने तीन तलाक बिल को मंजूरी दिलवा दी। अपने आप में सबसे बड़ा राजनीतिक फैसला माना जा सकता है क्योंकि यह ऐसा बेल था जिस पर सभी राजनीतिक दल को राजी करना एक बड़ी चुनौती थी। राज्यसभा में बहुमत ना होने के बाद भी भाजपा ने इसे पास करवा दिया। यह कहीं ना कहीं यह फैसला वर्तमान सरकार के अपने संकल्पों के प्रति प्रतिवद्धता को दिखाता है। 

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--सरकार का तीसरा महत्वपूर्ण राजनीतिक फैसला था UAPA बिल को लेकर आना और उसे लोकसभा के साथ-साथ राज्यसभा में भी पास करवाना। इस बिल का राज्यसभा में भारी विरोध हुआ लेकिन इन विरोधों के बीच सरकार यह बिल 142 वोटों से पास करवाने में कामयाब रही। माना जा रहा है कि देश को आतंकवाद से मुक्त कराने में यह बिल एक अहम योगदान निभा सकते हैं। इस बिल के जरिए एनआईए मामलों की अच्छी तरह से जांच कर पाएगा।

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--राजीव गांधी सरकार में मंत्री रहे आरिफ मोहम्मद खान को केरल का राज्यपाल नियुक्त करना सरकार का एक तरीके से बड़ा फैसला माना जा सकता है। किसी को भी उम्मीद नहीं थी कि आरिफ मोहम्मद खान की नियुक्ति राज्यपाल के तौर पर वर्तमान कि केंद्र सरकार करेगी पर ऐसा हुआ। सितंबर के पहले दिन जो राष्ट्रपति भवन से राज्यपालों की सूची जारी की गई उसमें आरिफ मोहम्मद खान का नाम केरल के राज्यपाल के तौर पर था। विरोधी भी सरकार के इस फैसले पर आश्चर्य करते नजर आए। आरिफ मोहम्मद खान कई पार्टियों में रह चुके हैं। हालांकि उन्हें मुस्लिम स्कॉलर कहां जाता है और वह लगातार तीन तलाक बिल पर सरकार का समर्थन कर रहे थे।

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--सरकार के एक महत्वपूर्ण राजनीतिक फैसले में संसद का कार्यकाल 10 दिन के लिए भी बढ़ाया जाना भी शामिल है। विपक्षी पार्टियों के विरोध के बावजूद भी सरकार ने संसद सत्र को 10 दिनों के लिए बढ़ा दिया। सरकार का यह फैसला बताता है कि किस तरह नरेंद्र मोदी काम करने की नीति में विश्वास रखते हैं। सरकार जनता से लगातार कह रही है कि वह इस देश के लिए लगातार काम कर रही है जबकि विरोधी नहीं चाहते कि संसद ज्यादा दिन तक चले।

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--ओम बिरला को भी लोकसभा स्पीकर के तौर पर नियुक्त करना सरकार का बड़ा राजनीतिक फैसला रहा है। आम तौर पर भारत में संसदीय व्यवस्था के शुरुआत से ही एक परंपरा रही है जिसके तहत लोकसभा स्पीकर के तौर पर सदन के सबसे अनुभवी व्यक्ति को चुना जाता है। परंतु नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी ने इस बार ओम बिरला को नियुक्त कर सबको चौंका दिया। ओम बिरला महज दूसरी बार राजस्थान के कोटा से चुनकर संसद बने हैं।

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--सरकार का एक और बड़ा फैसला अगस्त के आखिरी सप्ताह में आया जब गृह मंत्रालय की ओर से एनआरसी की अंतिम सूची जारी कर दी गई। इस मुद्दे पर देश भर में खूब राजनीति हो रही है और सरकार विरोधियों के निशाने पर है। लेकिन सरकार राजनीतिक विरोध के बावजूद भी इस सूची को जारी करती है।

 

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