बर्लिन में रूस-यूक्रेन युद्ध पर बोले PM मोदी, इसमें कोई विजयी नहीं होगा, हम शांति के पक्ष में हैं

By अनुराग गुप्ता | May 02, 2022

बर्लिन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ ने बर्लिन में हरित और सतत ऊर्जा साझेदारी पर हस्ताक्षर किए। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने जर्मन चांसलर के साथ साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मेरे और मेरे प्रतिनिधिमंडल के गर्मजोशी से स्वागत करने के लिए मैं चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ का धन्यवाद करता हूं। मुझे खुशी है कि इस वर्ष ये मेरी पहली विदेश यात्रा जर्मनी में हो रही है। 

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उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक देशों के तौर पर भारत और जर्मनी कई कॉमन मूल्यों को साझा करते हैं। इन साझा मूल्यों और साझा हितों के आधार पर पिछले कुछ वर्षों में हमारे द्विपक्षीय संबंधों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारी पिछली आईजीसी 2019 में हुई थी, तब से विश्व में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं। कोविड-19 महामारी ने वैश्विक अर्थव्यवस्था पर विनाशकारी प्रभाव डाला है। हाल की जियो पॉलेटिकल घटनाओं ने भी दिखाया कि विश्व की शांति और स्थिरता कितनी नाजुक स्थिति में है और सभी देश कितने इंटरकनेक्टेड हैं।

रूस-यूक्रेन युद्ध का किया जिक्र

प्रधानमंत्री मोदी ने रूस-यूक्रेन युद्ध का जिक्र करते हुए कहा कि यूक्रेन के संकट के आरंभ से ही हमने तुरंत युद्धविराम का आहृवान किया और इस बात पर जोर दिया था कि विवाद को सुलझाने के लिए बातचीत ही एक मात्र उपाय है। हमारा मानना है कि इस युद्ध में कोई विजयी पार्टी नहीं होगी, सभी को नुकसान होगा इसलिए हम शांति के पक्ष में हैं। 

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उन्होंने कहा कि यूक्रेन संघर्ष से उथल-पुथल के कारण तेल की कीमतें आसमान छू रही हैं, विश्व में खाद्यान्न और फर्टिलाइजर की भी कमी हो रही है। इससे विश्व के हर परिवार पर बोझ पड़ा है किंतु विकासशील और गरीब देशों पर इसका असर और गंभीर हो रहा है।

उन्होंने कहा कि इस संघर्ष के मानवीय प्रभाव से भारत बहुत ही चिंतित है, हमने अपनी तरफ यूक्रेन को मानवीय सहायता भेजी है और हम अन्य मित्र देशों को भी अन्य निर्यात, तेल आपूर्ति और आर्थिक सहायता के माध्यम से मदद करने की कोशिश कर रहे हैं। 

अर्थव्यवस्था में हो रही ग्रोथ

इसी बीच उन्होंने कहा कि पोस्ट कोविड काल में भारत अन्य बड़ी अर्थव्यवस्था के मुकाबले सबसे तेज ग्रोथ देख रहा है। हमें विश्वास है कि भारत वैश्विक रिकवरी का महत्वपूर्ण स्तंभ बनेगा। हाल ही में हमने बहुत कम सयम में यूएई तथा ऑस्ट्रेलिया के साथ व्यापार समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं।

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