By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Oct 13, 2022
जदयू ने दो महीने पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) छोड़ दिया था। ललन आरएसएस प्रमुख के एक साक्षात्कार का जिक्र कर रहे थे जिसपर व्यापक स्तर पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की गयी थी और जिसके परिणामस्वरूप जदयू, लालू प्रसाद के राजद और कांग्रेस के ‘‘महागठबंधन’’ ने 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा करारी शिकस्त दी थी जबकि उसके सालभर पहले ही 2014 में मोदी की लहर देखी गयी थी। हालांकि बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू के शीर्ष नेता नीतीश कुमार 2017 में राजग में लौट आए थे। ललन ने कहा कि राष्ट्रव्यापी जातीय जनगणना के पक्ष में बिहार विधानमंडल द्वारा दो बार प्रस्ताव पारित किए गए थे और मुख्यमंत्री ने इस मांग पर जोर देने के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की थी। उन्होंने दावा किया कि लेकिन केंद्र इसपर सहमत नहीं था क्योंकि इससे आरक्षण खत्म करने के भाजपा के एजेंडे में बाधा आ सकती थी। उल्लेखनीय है कि बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों से प्रस्ताव पारित किये जाने पर भी केंद्र ने एससी और एसटी के अलावा अन्य जातियों की गणना करने से इनकार कर दिया था। दोनों सदनों में भाजपा सदस्यों ने इन प्रस्तावों का समर्थन किया था। 1990 के दशक की मंडल लहर के दौरान प्रमुखता से उभरे कुमार ने इस साल की शुरुआत में घोषणा की कि उनकी सरकार राज्य में सभी जातियों की गिनती करेगी।
पटना उच्च न्यायालय का नगर निकाय चुनाव को लेकर चार अक्टूबर का आदेश हालांकि सरकार के लिए एक शर्मिंदगी का विषय था। भाजपा ने इस चुनाव में आरक्षण के संबंध में उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का पालन न कर मुख्यमंत्री पर ‘‘अड़ियल’’ रवैया अपनाने का आरोप लगाया था। ललन ने भाजपा के आरोप का खंडन करते हुए कहा कि बिहार में 2007, 2012 और 2017 में तीन बार अदालत द्वारा रद्द की गई आरक्षण प्रणाली के तहत नगरपालिका चुनाव हुए हैं। हालांकि जदयू प्रमुख ने पटना उच्च न्यायालय के राज्य में नगर निकाय चुनाव में ओबीसी/ईबीसी के लिए कोटा को अवैध घोषित किए जाने को एक ‘‘साजिश’’ का परिणाम बताया पर उन्होंने इस ‘‘नई साज़िश’’ के बारे में विस्तार से नहीं बताया। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने यहां पार्टी कार्यालय में आज प्रेस वार्ता में आरोप लगाया कि नीतीश कुमार अतिपिछड़े वर्ग के लोगों के विकास के विरोधी हैं और नगर निकाय चुनाव पर असंवैधानिक निर्णय इस बात के प्रमाण हैं। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी के कार्यकर्ता नीतीश कुमार की पोल खोलेंगे और इसके लिए बिहार के सभी जिलों में 17 अक्टूबर को प्रखण्ड मुख्यालयों पर वे धरना-प्रदर्शन करेंगे और घर-घर जाकर कुमार के अतिपिछड़े वर्गों को दिए गए इस धोखे की राजनीति और संविधान की अवहेलना का पर्दाफाश करेंगे।