By अंकित सिंह | May 25, 2022
उत्तर प्रदेश विधानसभा में उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव के बीच जमकर नोकझोंक हुई है। दोनों के बीच यह नोकझोंक इतनी बढ़ गई कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बीच-बचाव करना पड़ा। दरअसल, राज्यपाल के अभिभाषण पर अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार से कई सवाल पूछे। अखिलेश यादव के सवालों का जवाब देते हुए केशव प्रसाद मौर्य ने यह कह दिया कि क्या आपने सैफई की जमीन बेचकर सड़क बनाई थी? बस इतना सुनते ही अखिलेश यादव केशव प्रसाद मौर्य पर बिफर पड़े। अपनी सीट से खड़े होते हुए अखिलेश यादव ने केशव मौर्य से पूछा कि क्या तुम पिताजी का पैसा लाते हो? राशन बांटा तो पिताजी का पैसा था? अखिलेश के इतना कहते ही दोनों तरफ से शोर-शराबा होने लगा। माहौल गर्म हो गया। हालांकि, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मोर्चा संभालते हुए सभी को मर्यादा में रहने की नसीहत दे दी।
केशव मौर्य का हमला
केशव मौर्य ने अखिलेश यादव का जिक्र करते हुए कहा कि सदन में अपने भाषण के दौरान यादव बतौर मुख्यमंत्री अपने कार्यकाल में किये गये कामों का गुणगान कर रहे थे लेकिन, ऐसा होता तो जनता चुनाव में सपा का सूपड़ा साफ नहीं करती। मौर्य ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष अपने पांच साल के कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाते थकते नहीं हैं। यह आपको कौन सा रोग है? अगर कोई रोग है तो मैं कहूंगा कि आप जांच करा लीजिए। निवेदन करूंगा कि नेता प्रतिपक्ष जहां से भी चाहें, ठीक से इलाज करा लें। हर योजना पर समाजवादी पार्टी का स्टिकर चस्पां करने के इस रोग से अब मुक्त हो जाइए। आप पांच साल बाहर रह चुके हैं। अब पांच और साल के लिए फिर बाहर हो गए हैं। आने वाले 25 साल तक आपका नंबर लगने वाला नहीं है।
उप मुख्यमंत्री ने यादव से मुखातिब होते हुए कहा, सड़क किसने बनाई है, एक्सप्रेस-वे किसने बनाया है, मेट्रो किसने बनाई है.... जैसे लगता है कि आपने अपनी सैफई की जमीन बेचकर यह सब बनवा दिया है। गौरतलब है कि सैफई अखिलेश यादव का पुश्तैनी गांव है। इससे नाराज नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव खड़े हो गए और मौर्य पर बेहद तल्ख टिप्पणी की। इसके बाद सपा के तमाम सदस्य अपनी सीटों पर खड़े होकर हंगामा करने लगे। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने हस्तक्षेप करते हुए शोर मचा रहे सभी सदस्यों से अपनी जगह पर बैठने को कहा।
योगी ने दी नसीहत
इसी बीच, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, एक सम्मानित नेता के खिलाफ असभ्य शब्दों का उपयोग ठीक नहीं है। मैं नेता प्रतिपक्ष से बहुत विनम्रता से कहूंगा कि आपको इतना उत्तेजित नहीं होना चाहिए था। सवाल सैफई का नहीं है। हम जो विकास काम करा रहे हैं या आप की सरकार में जो विकास कार्य हुए होंगे, वह हमारा कर्तव्य था। सरकार तो सरकार होती है और हर सरकार को अपनी उपलब्धियां बताने का अधिकार है। उन्होंने कहा, सहमति और असहमति लोकतंत्र की ताकत है लेकिन उपमुख्यमंत्री अगर अपनी बात रख रहे हैं तो हमें शालीनता से सुनना चाहिए। बहुत सारी बातें नेता प्रतिपक्ष की भी गलत हो सकती थी लेकिन हमने सुना। हमें जो स्वीकार करना होगा उसे करेंगे और उसका जवाब भी देंगे लेकिन बीच में इस तरह की उत्तेजना दिखाना उचित नहीं है। आदित्यनाथ ने कहा, हम सदन में अपनी बात कह सकते हैं लेकिन तू—तू मैं—मैं नहीं होना चाहिए। किसी भी तरह की असभ्य का उपयोग नहीं होना चाहिए। मैं अध्यक्ष से अनुरोध करूंगा कि अगर इस प्रकार की शब्दावली सदन की कार्यवाही का हिस्सा बन रही है तो उसे हटवा दें, क्योंकि यह गलत परंपरा होगी और देश में इसका गलत संदेश जाएगा।