By अभिनय आकाश | Nov 25, 2024
एक बार फिर पाकिस्तान में हालात बेकाबू होते जा रहे हैं। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के समर्थकों ने इमरान खान को जेल से छुड़ाने के लिए पूरे इस्लामाबाद को घेर लिया है। वहां से आई तस्वीरें हर किसी को हैरना कर रही हैं। पाकिस्तान सरकार के लिए टेंशन काफी बढ़ने वाली है। हजारों की भीड़ और सड़कों पर हजारों गाड़ियों का काफिला नजर आ रहा है। ये वो लोग हैं जो इमरान खान के समर्थन में सड़क पर उतर आए हैं और लगातार आगे बढ़ रहे हैं। इमरान खान के समर्थकों के हजारों गाड़ियों का काफिला इस्लामाबाद की ओर बढ़ता नजर आया। वो इमरान खान के जेल से रिहाई की मांग कर रहे हैं। जिन्हें पाक सैन्य तानाशाह आसिम मुनीर ने एक साल से ज्यादा समय से हिरासत में रखा है। पाकिस्तानी हुक्मरानों ने इन्हें रोकने के लिए भारी संख्या में जवानों को तैनात कर दिया है।
मोबाइल और इंटरनेट सेवाओं को बंद कर दिया गया है। इसके बावजूद इमरान के समर्थक भारी सुरक्षा बलों की तैनाती और मोबाइल-इंटरनेट सेवाओं के बंद के बीच विरोध प्रदर्शन करने के लिए आगे बढ़ रहे हैं। जेल में बंद 72 वर्षीय पूर्व प्रधानमंत्री ने 24 नवंबर को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के लिए अंतिम आह्वान किया था। यह आह्वान उन्होंने 13 नवंबर को किया था। खान ने जनादेश की चोरी, लोगों की अन्यायपूर्ण गिरफ्तारी और संविधान के 26वें संशोधन के पारित होने की निंदा की थी। संविधान के 26वें संशोधन पर उन्होंने कहा था कि इसने तानाशाही शासन को मजबूत करने का काम किया है।
खैबर-पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री अली अमीन गंदापुर और खान की पत्नी बुशरा बीबी के नेतृत्व में प्रदर्शनकारियों ने रविवार को तबाह हो चुके प्रांत से राजधानी पहुंचने के लिए अपनी यात्रा शुरू की, लेकिन उन्हें मार्ग में बाधाओं का सामना करना पड़ा। प्राधिकारियों ने शिपिंग कंटेनर रखकर राजमार्गों को अवरुद्ध कर दिया था, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने उन्हें हटाने वाले उपकरणों और अन्य भारी मशीनों की मदद से बाधाओं को हटाया, हालांकि इससे प्रदर्शन के दौरान उनकी गति और योजनाएं प्रभावित हुईं। पंजाब के अटक जिले के हारो में रात्रि विश्राम के बाद दल ने आज दोपहर तक राजधानी पहुंचने के ध्येय के साथ अपनी यात्रा पुनः शुरू की। बेलारूस के एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के पाकिस्तान दौरे के कारण सरकार ने पहले ही धारा 144 लागू कर रैलियों पर प्रतिबंध लगा दिया है, जो औपनिवेशिक काल का कानून है और इसका उपयोग राजनीतिक गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए किया जाता है।