By अनन्या मिश्रा | Sep 13, 2024
हिंदू धर्म में किसी भी त्योहार या धार्मिक आयोजन को बिना तिलक के अधूरा माना जाता है। तिलक हिंदू संस्कृति का एक अभिन्न अंग माना जाता है। आपने भी देखा होगा कि देवी-देवताओं, योगियों और संत-महात्माओं के माथे पर हमेशा तिलक सुशोभित रहता है। लेकिन आम लोग किसी त्योहार, पूजा-पाठ और संस्कारों जैसे शुभ अवसरों पर ही तिलक लगाते हैं।
ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको माथे पर तिलक लगाने के धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व के बारे में बताने जा रहे हैं। साथ ही यह भी जानेंगे कि किस उंगली से तिलक लगाने पर क्या फल प्राप्त होता है।
धार्मिक महत्व
भारतीय परंपरा के मुताबिक माथे पर तिलक लगाना सम्मान का प्रतीक माना जाता है। माना जाता है कि तिलक लगाने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता आती है। साथ ही कुंडली में मौजूद ग्रह शांत होते हैं। धार्मिक शास्त्र के अनुसार, चंदन का तिलक लगाने से घर में अन्न-धन की कमी नहीं होती है। वहीं जातक के सौभाग्य में वृद्धि होती है। माथे पर तिलक लगाने से जीवन में यश बढ़ता है और व्यक्ति के समस्य पापों का नाश होता है। इससे जीवन की नकारात्मकता दूर होती है और सकारात्मकता का संचार होता है। तिलक लगाने से मन में अच्छे विचार उत्पन्न होते हैं और किसी भी कार्य को करने की क्षमता कई गुना तक बढ़ जाती है।
जानिए किस उंगली से तिलक लगाने का क्या फल
स्कंदपुराण के मुताबिक अलग-अलग अंगुली से तिलक लगाने पर अलग-अलग फल मिलता है।
अनामिका शांतिदा प्रोक्ता मध्यमायुष्करी भवेत्।
अंगुष्ठः पुष्टिदः प्रोक्ता तर्जनी मोक्षदायिनी।।
इस श्लोक का अर्थ है कि अनामिका उंगली से तिलक करने पर शांति, मध्यमा उंगली से तिलक लगाने से आयु, अंगूठे से स्वास्थ्य और तर्जनी उंगली से तिलक लगाने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
दिन के अनुसार तिलक लगाना
दिन के अनुसार, तिलक लगाने से व्यक्ति को शुभ फल मिलते हैं। मान्यता के मुताबिर सोमवार के दिन सफेद चंदन का तिलक लगाने से मन शांत रहता है। मंगलवार को चमेली के तेल में सिंदूर मिलाकर लगाना शुभ होता है। बुधवार को सूखा सिंदूर लगाने से भगवान की कृपादृष्टि बनी रहती है। गुरुवार को पीला चंदन या हल्की का तिलक लगाने से व्यक्ति के घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
वहीं शुक्रवार को लाल चंदन या कुमकुम का तिलक लगाने से व्यक्ति के जीवन में खुशहाली बनी रहती है। शनिवार के दिन भस्म का तिलक लगाना चाहिए, इससे जीवन में आने वाले कष्ट व परेशानियों का अंत होता है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
बता दें कि हमारी दोनों भोहों के बीच इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना के ज्ञानतंतुओं का केंद्र मस्तिष्क होता है। जो तृतीय नेत्र या दिव्य नेत्र के समान माना जाता है। ऐसे में यहां पर तिलक लगाने से आज्ञाचक्र जाग्रत होता है और व्यक्ति की शक्ति को उर्ध्वगामी बनाता है। जिससे व्यक्ति का तेज और ओज बढ़ता है। नियमित रूप से ललाट पर तिलक लगाने से तरावट, शीतलता और शांति का अनुभव होता है। इससे सिर दर्द नहीं होता है जातक की मेधाशक्ति तेज होती है। वहीं मन निर्मल होकर व्यक्ति को सत्मार्ग पर अग्रसर होने के लिए प्रेरित करता है। माथे पर तिलक लगाने से आत्मविश्वास और विवेकशीलता बनी रहती है।