By अभिनय आकाश | Feb 02, 2024
एक तरफ जहां ज्ञानवापी के व्यासजी तहखाने में वाराणसी की जिला अदालत से पूजा की अनुमति मिलने के बाद वहां अखंड रामायण पाठ का आयोजन किया जा रहा है। इसके साथ ही सर्वे के दौरान मिली 10 मूर्तियों में से आठ मूर्तियों को स्थापित भी कर दिया गया है। वहीं मुस्लिम पक्ष की तरफ से कोर्ट के फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती भी दी जा रही है। वही अब पूरे विवाद पर जमीयत उलमा-ए-हिंद का बयान सामने आया है। जमीयत उलमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि जहां मस्जिद है, वहां मंदिर था इसका कोई सबूत नहीं है। मंदिर के लिए कोई जगह नहीं है। लेकिन हां, अगर आप इसके आसपास जाएंगे तो वहां मंदिर ही मंदिर होंगे।
मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि अगर वहां मंदिर होता तो जिस तहखाना में मूर्ति लाकर रखी गई है और जिस मूर्ति पर रात में पूजा की गई है, यह मूर्ति नहीं लाई जाती बाहर से। यहां शुरू से ही कोई मूर्ति रही होगी। लेकिन यहां शुरू से ही कोई मूर्ति नहीं है। फिर यह कैसे कहा जा सकता है कि यहां शुरू से ही मंदिर था और उसके स्थान पर मस्जिद बनाई गई है?ज्ञानवापी मामले पर बात करते हुए मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि ऐसे फैसले से देश में आपसी दूरी पैदा करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि, कानून की किताबों को आग लगा दो। अगर यही चलता रहा तो किसी भी धर्म को फैसला नहीं मिलेगा।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति को राहत देने से इनकार कर दिया, जिसने वाराणसी अदालत के आदेश के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसने हिंदू भक्तों को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सीलबंद तहखाने के अंदर पूजा करने की अनुमति दी थी। न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की एकल पीठ ने महाधिवक्ता को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के भीतर और बाहर कानून व्यवस्था बनाए रखने का आदेश दिया. मामले की अगली सुनवाई 6 फरवरी को होगी।