तुर्की में भाषण की स्वतंत्रता के लिए बहुत कम सम्मान: ओरहान पामुक

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Sep 28, 2017

नयी दिल्ली। नोबेल पुरस्कार विजेता ओरहान पामुक ने कहा कि वह राजनीतिक व्यक्ति नहीं हैं लेकिन राजनीति को पूरी तरह नजरअंदाज नहीं कर सकते क्योंकि तुर्की में स्थिति ‘‘भयानक’’ है और वहां ‘‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए बहुत कम सम्मान है।’’ साहित्य के लिए 2006 के नोबेल पुरस्कार विजेता ने कई चीजों और अपनी नई किताब ‘‘द रेड हेयर्ड वुमैन’’ पर बात की। यह किताब 1980 के दशक में तुर्की के पिता-पुत्र के संबंधों की दिलचस्प कहानी पर आधारित है। उनका मानना है कि अब वह नौ उपन्यास पहले से कहीं ज्यादा खुशहाल लेखक हैं। ‘‘मैं सदा एक ही जैसा व्यक्ति नहीं हूं।’’ वह चाहते हैं कि लोग उन्हें कहानीकार के रूप में याद करें जो ‘‘अच्छी कहानियों से आपका मनोरंजन करेगा और आपको दुनिया में अच्छा महसूस कराएगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं वास्तव में राजनीतिक व्यक्ति नहीं हूं। मैं राजनीति को नजरअंदाज करके खुश होता, दूसरी ओर तुर्की में राजनीतिक स्थिति जिस तरह से खराब है उससे खुद को नैतिक जिम्मेदारी महसूस होती है।’’ पामुक ने कहा, ‘‘हमारा यूरोपीय लोकतंत्र नहीं है लेकिन चुनावी लोकतंत्र है जहां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए बहुत कम सम्मान है। सरकार न्यायाधीशों को भी नियंत्रित करता है और नए संविधान के अनुसार जो भी चुनाव जीते और सत्ता में रहे चाहे वह वामपंथी या दक्षिणपंथी हो तो वह तानाशाह की तरह बर्ताव करें।’’

उन्होंने कहा, ‘‘पिछले साल सैन्य तख्तापलट की नाकाम कोशिश के बाद 13 हजार लोगों को नौकरी से निकाल दिया गया, 40 हजार लोगों को राजनीतिक कारणों से बंदी बना लिया गया जिनमें से कई प्रोफेसर और बुद्धिजीवी सरकार के आलोचक थे।’’ उन्होंने कहा कि अधिकारी हर वक्त नए कारागार बना रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि जेलों में अब कोई जगह नहीं है तो नए राजनीतिक कैदियों के लिए जगह बनाने के लिए जेल की सजा काट रहे लोगों को रिहा किया जा रहा है।’’ पामुक की नई किताब पिता-पुत्र के रिश्ते और तुर्की में सामान्य जीवन के बारे में है।

प्रमुख खबरें

बंगाल: सियालदह ईएसआई अस्पताल में आग लगी, कोई हताहत नहीं

जापानी पर्यटकों की बस तुर्किये में दुर्घटनाग्रस्त, 22 घायल

इजराइल ने अपना हिसाब चुकता कर लिया, लेकिन युद्ध अभी खत्म नहीं हुआ है: प्रधानमंत्री नेतन्याहू

अमेरिका: बाइडन और हैरिस ने सिनवार की मौत को गाजा में युद्ध समाप्ति के लिए मौका बताया