तीन तलाक और 370 झांकी है, सबसे बड़ा मास्टर स्ट्रोक बाकी है

By अभिनय आकाश | Aug 10, 2019

जम्मू कश्मीर पर सरकार के लिए गए फैसले के बाद से देश की अपेक्षाएं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से और भी बढ़ गई हैं। ऐसे में लोगों के जेहन में यह सवाल है कि तीन तलाक और अनुछेद 370 के बाद क्या अगला निशाना समान नागरिक संहिता होगा या राम मंदिर। जब देश का कप्तान ऐसा हो तो बड़ी से बड़ी जंग में जीत पक्की है। कुछ करने जज्बा और हौसला जब प्रधानमंत्री मोदी जैसा हो तो कुछ भी असंभव नहीं। देश को आजाद हुए 72 साल हो रहे हैं लेकिन अब तक ऐसा जिगर वाला प्रधानमंत्री किसी ने नहीं देखा। जिन विषयों को किसी ने छूने की हिम्मत नहीं दिखाई, जिन मसलों की तरफ राजनीतिक पार्टियां आंखे मूंदे रही। उन मसलों की फाइल मोदी ने न सिर्फ खोली बल्कि उसे मुकाम तक पहुंचाया। 

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करीब सवा पांच साल के कार्यकाल में प्रधानमंत्री मोदी ने कई नामुमकिन को मुमकिन बनाया है। उन सपनों को पूरा किया है जो सपने इस देश ने देखे थे। देश की आवाम ने देखे थे, आरएसएस ने देखे थे, जनसंघ ने देखे और बीजेपी ने देखे थे। जिस जिगर से मोदी शाह की जोड़ी ने 370 का खात्मा कर दिया। उसके बाद से आरएसएस और बीजेपी के कोर वोटर्स की उम्मीदें और बढ़ गई है। सवाल उठने लगे हैं कि मोदी का अगला बड़ा कदम क्या होगा? 

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अयोध्या रामजन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद का हल कब होगा? देश की जनसंख्या नीति पर कोई बड़ा फैसला लेंगे मोदी? देश में समान नागरिक संहिता लागू करवाने के लिए कदम बढ़ाएंगे मोदी? ये सवाल नहीं बल्कि वो मुद्दे हैं जो दशकों से पूरे देश में मथ रहे हैं। अयोध्या रामजन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद केस की रोजाना सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में जारी है। लेकिन अदालत में दशकों से लटके इस केस से इतर खास कर आरएसएस और बीजेपी के कोर वोटर्स के मन में यह सवाल है कि क्या अयोध्या में राम मंदिर के लिए कदम बढ़ाएंगे मोदी? 

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भारत में समान नागरिकता कानून लाए जाने को लेकर बहस भी लगातार चल रही है। इसकी वकालत करने वाले लोगों का कहना है कि देश में सभी नागरिकों के लिए एक जैसा नागरिक कानून होना चाहिए, फिर चाहे वो किसी भी धर्म से क्यों न हो। गौरतलब है कि कि आजादी के बाद जब देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और पहले कानून मंत्री बीआर आंबेडकर ने समान नागरिक संहिता लागू करने की बात की, उस वक्त उन्हें भारी विरोध का सामना करना पड़ा। 

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नेहरू को भारी विरोध के चलते हिंदू कोड बिल तक ही सीमित रहना पड़ा था और संसद में वह केवल हिंदू कोड बिल को ही लागू करवा सके, जो सिखों, जैनियों और बौद्धों पर लागू होता है। आंबेडकर भी समान नागरिक संहिता के पक्षधर थे, लेकिन जब उनकी सरकार यह काम न कर सकी तो उन्होंने पद छोड़ दिया था। बहरहाल, ये वो मुद्दे हैं जो आरएसएस और जनसंघ के संकल्प में रहे तो बीजेपी के मेनिफेस्टों में ही बरसों तक बने रहे। गठबंधन सरकारों के दौर में बीजेपी ने हमेशा इन विवादित मुद्दे से खुद को दूर रखा। लेकिन अब केंद्र में मोदी के नेतृत्व में पूर्ण बहुमत की सरकार है। लोकसभा में तो बीजेपी का पूरा दम है ही राज्यसभा में भी उसने तीन तलाक और 370 के खात्मे के फैसले पारित करवा लिए। तो क्या तीन तलाक और 370 झांकी है मोदी का सबसे बड़ा मास्टरस्ट्रोक बाकी है।