भोपाल। मध्य प्रदेश के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आज कहा कि नोटबंदी के बाद नकदी रहित लेन-देन को बढ़ावा देना, बिजली संकट एवं सीमित मात्रा में बेचे जा रहे ‘डोडा चूरा’ की बिक्री पर सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाना कुछ ऐसे कारण हैं, जिनकी वजह से मध्य प्रदेश में किसान आंदोलन पैदा हुआ है। पश्चिमी मध्य प्रदेश के इस अधिकारी ने कहा, ‘‘केन्द्र एवं राज्य सरकार ने पिछले दो साल से मंदसौर एवं नीमच जिले के किसानों के डूडा चूरा बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसने हजारों किसानों विशेष रूप से मजबूत माने जाने वाले पाटीदार समुदाय के लोगों को बेरोजगार बना दिया है।’’
गौरतलब है कि अफीम की खेती से डूडा चूरा निकलता है और इसका सेवन करने से नशा होता है। इसका उपयोग कुछ दवाइयों को बनाने में भी किया जाता है। अपनी उपज का वाजिब दाम एवं रिण माफी सहित 20 मांगों को लेकर मध्य प्रदेश में किसान एक जून से 10 जून तक आंदोलन पर हैं और इस दौरान मंदसौर, देवास, नीमच, खरगौन, धार, इंदौर एवं उज्जैन सहित प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में जमकर तोड़फोड़, लूटपाट, आगजनी एवं पथराव हो रहा है, जिनमें दो दर्जन से अधिक पुलिसकर्मियों एवं प्रशासनिक अधिकारियों को चोटें आई हैं। इस दौरान कई ट्रकों, यात्री बसों, अन्य वाहनों एवं दुकानों को तोड़ने के अलावा उन्हें जलाया भी गया है।
उन्होंने कहा कि प्रतिबंध लगाने से पहले प्रदेश सरकार डोडा चूरा की खेती एवं बिक्री को अवैध नहीं मानती थी, लेकिन अब सरकार इस मादक पदार्थ को अवैध मानकर नष्ट कर रही है। डोडा चूरा को पहले दवाइयों में उपयोग करने की अनुमति थी। मंदसौर एवं नीमच जिले में पिछले कुछ दिनों से हिंसा का तांडव हो रहा है। पुलिस ने प्रदर्शनकारी किसानों पर मंगलवार को उस वक्त फायरिंग की, जब वे उपद्रव पर उतर आये थे। इस फायरिंग में पांच किसानों की मौत हो गई और छह किसान घायल भी हुए हैं। अधिकारी ने दावा किया कि पुलिस फायरिंग में मारे गए ये सभी किसान पाटीदार समुदाय के थे। इस समुदाय का मंदसौर इलाके में दबदबा है।
अधिकारी ने कहा कि इसके अलावा राज्य सरकार के उस कदम से जिसके तहत मंडियों में किसानों को अपनी उपज को बेचने के लिए नकद पैसे देने की जगह डिजिटल भुकतान किया जा रहा है, इसने भी उनकी समस्याओं को और बढ़ाया है। उन्होंने बताया कि मंडियों में अपनी उपज को बेचने पर डिजिटल भुगतान मिलने के चलते किसानों के हाथ में नकद पैसे की कमी हो गई है। डिजिटल भुकतान मध्य प्रदेश में हाल ही में आरंभ किया गया है। अधिकारी ने कहा कि इसके अतिरिक्त किसान द्वारा पैदा की गई उपज की लागत भी अब दो कारणों से बहुत ज्यादा हो गई है। इनमें से एक कारण विद्युत आपूर्ति की कमी है, जबकि दूसरा कारण उर्वरकों की कालाबाजारी है।
उन्होंने कहा कि विद्युत आपूर्ति की कमी के कारण सिंचाई के लिए किसान डीजल से चलने वाले पंपों का उपयोग कर रहे हैं। यदि किसान बिजली के बिल का तुरंत भुगतान करने में चूकता है तो क्षेत्र की बिजली वितरण करने वाली कंपनी किसानों का बिजली कनेक्शन काट देती है। इसके अलावा प्रदेश में भ्रष्टाचार के चलते वे उर्वरकों को कालाबाजारी करने वालों से बहुत उंचे दामों पर खरीद रहे हैं। इससे उनकी कृषि उपज की लागत बढ़ गई है।
इस बीच, राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा उर्फ कक्काजी ने कहा, ‘‘कृषि क्षेत्र में हुए व्यापक भ्रष्टाचार के कारण किसानों का यह आक्रोश मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ है और अब यह सड़कों पर उतर आया है।’’ कक्काजी ने कहा, ‘‘मध्य प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में बिजली आपूर्ति नहीं है, इसलिए किसान सिंचाई के लिए डीजल से चलने वाले पंपों का उपयोग कर रहे हैं। इसके अलावा, किसान को खाद कालाबाजारी से खरीदना पड़ रहा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं लंबे समय से कह रहा हूं कि चौहान के शासनकाल में कृषि क्षेत्र में व्यापक भ्रष्टाचार चल रहा है। अब मेरी बात सच्ची साबित हो गई है।’’
कक्काजी ने कहा, ‘‘इन कारणों से किसान की उपज की लागत बहुत ज्यादा बढ़ गई है। इन उपजों के वाजिब दाम पाने के लिए किसान प्रदर्शन कर रहे हैं।’’ कक्काजी ने किसानों की समस्याओं को लेकर दिसंबर 2010 में भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निवास की ओर जाने वाली सड़क पर यहां प्रदर्शन कर घेराव किया था। हालांकि, कक्काजी इस बात से सहमत नहीं हैं कि डोडा चूरा की बिक्री पर पाबंदी लगने से किसान आंदोलन हुआ है। उन्होंने सवाल उठाया कि यदि इस मादक पदार्थ के चलते ही किसान आंदोलन हुआ है, तो यह मंदसौर में ही होना चाहिए था, लेकिन यह प्रदेश के अन्य भागों में भी चल रहा है।
मंदसौर-नीमच लोकसभा सीट के सांसद सुधीर गुप्ता ने आरोप लगाया, ‘‘किसान आंदोलन में हुई हिंसा के पीछे कांग्रेस का हाथ है।’’ गुप्ता ने कहा कि प्रदेश सरकार ने पहले ही आंदोलनरत किसानों से बातचीत कर ली थी और उनकी समस्याओं को दूर करने के लिए राज्य सरकार किसानों के साथ हमेशा तैयार है। उन्होंने कहा, ‘‘इस आंदोलन से मेरे लोकसभा क्षेत्र में बहुत अधिक वित्तीय हानि हुई है।’’ हालांकि, गुप्ता ने आंदोलन के कारण पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।