By Anoop Prajapati | Jan 01, 2025
भारत के साथ पूरी दुनिया में नया साल धूमधाम के साथ मनाया जाने वाला एक खुशी का त्योहार है। भारतीय कैलेंडर के मुताबिक भारतीयों के लिए वर्ष का पहला दिन भले ही चैत्र माह में हो। लेकिन वे भी पूरी दुनिया की खुशी में बढ़ चढकर हिस्सा लेते हैं। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, यह एक नए साल की शुरुआत का प्रतीक है। इस दिन को पूरी दुनिया के लोग त्योहार के रूप में मनाते हैं। इस दिन को लोग अपनी-अपनी संस्कृति और सभ्यता के हिसाब से मनाते हैं। हालांकि, किसी भी अन्य त्योहार की तरह जाति या संस्कृति की परवाह किए बिना दुनिया भर के लोगों के जीवन में खुशी लाता है।
जानिए न्यू ईयर का महत्व
हर देश और हर व्यक्ति के लिए नया साल एक विशेष अवसर है। हर साल आने वाला एक नया साल हमें नई परियोजनाएं शुरू करने के लिए प्रेरित करता है और हमें अपना जीवन नए उत्साह और आनंद के साथ जीने की ऊर्जा देता है। नए साल में हम पिछले साल की अपनी गलतियों से सीखते हैं, नया संकल्प या शपथ लेते हैं और पूरी ऊर्जा के साथ अपने काम को पूरा करने में लग जाते हैं, जिससे हमें सफलता मिलती है। यह एक त्योहार के समान है जो हमारे अंदर नई ऊर्जा स्थापित करता है, जिससे हमारे जीवन में नए साल का महत्व बढ़ जाता है।
आज के दिन दुनिया भर में जश्न
इस दिन के स्वागत में पूरी दुनिया में पटाखे फोड़ना सबसे आम तरीका है। 31 दिसंबर और 1 जनवरी की मध्यरात्रि में कई देशों में इस तरह जश्न मनाया जाता है। नये साल के स्वागत में आतिशबाज़ी के नज़ारों के लिए न्यूज़ीलैंड का ऑकलैंड स्काय टावर काफी मशहूर है। इसी तरह, ऑस्ट्रेलिया में सिडनी हार्बर पर भी आतिशबाज़ी दर्शनीय होती है। इनके अलावा, कनाडा के टोरंटो, ब्राज़ील के रियो में भी आसमान रंग बिरंगे पटाखों से नहाता है। नए साल के दिन दुनिया भर के हर घर में विभिन्न रीति-रिवाजों और परंपराओं का पालन किया जाता है। प्रत्येक संस्कृति इस दिन को अपने अनूठे तरीके से मनाती है। कुछ लोग पहले से ही मिनी- वेकेशन की योजना बनाना शुरू कर देते हैं जबकि कुछ अपने प्रियजनों के साथ क्वालिटी टाइम बिताने की योजना बनाते हैं।
भारत में न्यू ईयर पर जश्न
हमारे देश में हर कोई अपने धर्म के आधार पर अलग-अलग दिन नया साल मनाता है। बहरहाल, पश्चिमी सभ्यता के प्रभाव के कारण अब ज्यादातर लोग 1 जनवरी को भी नया साल मनाते हैं। नए साल के शुभ अवसर पर भारत में कई रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। इस दिन हर कोई अपने दोस्तों और परिवार वालों को बधाईयां भेजता है। नए साल के अवसर पर, विभिन्न स्थानों पर कवि सम्मेलन, भजन संध्या, कलश यात्रा और अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
आखिर 1 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है न्यू ईयर?
प्राचीन समय में रोमन कैलेंडर में 10 महीने या 304 दिन होते थे और प्रत्येक नया साल वसंत विषुव पर शुरू होता था। परंपरा के अनुसार, इसे आठवीं शताब्दी ईसा पूर्व में रोम के संस्थापक रोमुलस ने बनाया था। रोम के दूसरे राजा नुमा पोम्पिलियस ने बाद में 1713 ईसा पूर्व में रोमन कैलेंडर में जनवरी और फरवरी के महीनों को जोड़ा।
हालांकि, कैलेंडर सूर्य के साथ तालमेल से बाहर हो गया था। इसके बाद सम्राट सीज़र ने 46 ईसा पूर्व में इस रहस्य को सुलझाने का फैसला किया। उस समय के सबसे प्रमुख खगोलविदों और गणितज्ञों से परामर्श करके सीज़र ने जूलियन कैलेंडर की शुरुआत की, जो आधुनिक ग्रेगोरियन कैलेंडर के समान था, जिसका उपयोग अभी भी दुनिया भर के अधिकांश देशों द्वारा किया जाता है। सीज़र ने 1 जनवरी को वर्ष के पहले दिन के रूप में स्थापित किया। आंशिक रूप से शुरुआत के रोमन देवता जानूस को सम्मानित करने के लिए और नए साल का जश्न मनाने के लिए रोमन लोगों ने उपहारों का आदान-प्रदान किया और भगवान जानूस को बलिदान चढ़ाए। वे ज़ोरदार पार्टियों में भी जाते थे और अपने घरों को लॉरेल शाखाओं से सजाते थे।