By प्रज्ञा पांडेय | Nov 05, 2024
आज वरद चतुर्थी व्रत है, यह व्रत भगवान गणेश को समर्पित है। वरद चतुर्थी को वरद वरद चतुर्थी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान गणेश से अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना की जाती है तो आइए हम आपको वरद चतुर्थी व्रत का महत्व एवं पूजा विधि के बारे में बताते हैं।
जानें वरद चतुर्थी के बारे में
वरद चतुर्थी या गणेश चतुर्थी हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जो भगवान गणेश को समर्पित है और गणेश जी को विघ्नहर्ता और बुद्धि के देवता माना जाता है। इस दिन गणेश जी की मूर्ति स्थापित की जाती है और उनकी पूजा की जाती है। गणेश जी को सभी विघ्नों को दूर करने वाले माना जाता है, इसलिए, किसी भी शुभ काम की शुरुआत से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है। गणेश जी को बुद्धि का देवता भी माना जाता है, इसलिए छात्र गणेश जी की पूजा करके बुद्धि और ज्ञान प्राप्त करने की कामना करते हैं। वरद चतुर्थी को नई शुरुआत का प्रतीक माना जाता है, इस दिन लोग नए काम की शुरुआत करते हैं। पंडितों के अनुसार इस दिन भगवान गणेश भक्तों को ज्ञान और धैर्य का वरदान देते हैं, ये दोनों गुण जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। ज्ञान से व्यक्ति सही और गलत में फर्क कर पाता है, यह व्यक्ति को जीवन में सही निर्णय लेने में मदद करता है। धैर्य से व्यक्ति कठिन परिस्थितियों में भी धैर्य बनाए रख पाता है।
वरद चतुर्थी की तिथि
पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की 4 नवंबर को रात में 11 बजकर 24 मिनट पर शुरू होगी, इस तिथि का समापन 5 नवंबर को देर रात 12 बजकर 16 मिनट पर होगा। उदयातिथि के आधार पर वरद चतुर्थी का व्रत 5 नवंबर दिन मंगलवार को रखा जाएगा, जो लोग 5 नवंबर को वरद चतुर्थी का व्रत रखेंगे, उनको पूजा के लिए 2 घंटे 11 मिनट का शुभ मुहूर्त प्राप्त होगा। उस दिन वरद चतुर्थी की पूजा का शुभ समय दिन में 10 बजकर 59 मिनट से दोपहर 1 बजकर 10 मिनट तक है, इस समय में ही आपको गणपति बप्पा की पूजा विधि विधान से कर लेना चाहिए।
वरद चतुर्थी पर ऐसे करें पूजा, मिलेगा लाभ
पंडितों के अनुसार वरद चतुर्थी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके साफ़ कपड़े पहनें। घर में किसी साफ़ जगह पर चौकी रखकर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें। व्रत का संकल्प लें। भगवान गणेश को रोली, चंदन, अक्षत, फूल, सिंदूर, और दूर्वा अर्पित करें। पूजा के दौरान गणपति को मोदक या लड्डू का भोग लगाएं। ऊँ गं गणपते नमः मंत्र का 108 बार जाप करें। गणपति बप्पा को शमी का पत्ता अर्पित करने से सभी दुख और कष्टों से मुक्ति मिलती है। धन से जुड़ी दिक्कतों से छुटकारा पाने के लिए वरद चतुर्थी के दिन गणेशजी के समक्ष चौमुखी दीपक जलाएं।
वरद चतुर्थी का महत्व
वरद चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है, गणेश जी को विघ्नहर्ता और बुद्धि के देवता माना जाता है। इस पर्व को भारत के विभिन्न हिस्सों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, भगवान गणेश को सभी विघ्नों को दूर करने वाले देवता माना जाता है। इसलिए, किसी भी शुभ काम की शुरुआत से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है, गणेश जी को बुद्धि का देवता भी माना जाता है।
वरद चतुर्थी पर ऐसे करें पारण
वरद चतुर्थी का व्रत रखने के बाद पारण करना बहुत महत्वपूर्ण होता है, पारण का मतलब है व्रत तोड़ना और पारण करते समय कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए। पारण करने का सबसे शुभ समय चंद्रमा को देखने के बाद होता है, पंचांग में दिए गए मुहूर्त के अनुसार पारण कर सकती हैं। पारण करते समय मन को शुद्ध रखें और भगवान गणेश के प्रति श्रद्धा भाव रखें, पारण के बाद किसी मंदिर में जाकर दर्शन करें और गरीबों और जरूरतमंदों को दान करें।
वरद चतुर्थी से जुड़ी पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार माता पार्वती और भगवान महादेव नर्मदा नदी के तट पर चौपड़ खेल रहे थे। खेल में हार जीत का फैसला करने के लिए महादेव ने एक पुतला बना दिया और उसकी प्राण प्रतिष्ठा कर दी। भगवान महादेव ने बालक से कहा कि जीतने पर जीतने पर विजेता का फैसला करे, महादेव और माता पार्वती ने खेलना शुरू किया और तीनों बाद माता पार्वती जीत गईं। खेल समाप्त होने के बाद बालक ने महादेव को विजयी घोषित कर दिया, यह सुनकर माता पार्वती क्रोधित हो गईं और बालक को अपाहिज रहने का शाप दे दिया।
इसके बाद माता पार्वती से बालक ने क्षमा मांगी और कहा कि ऐसा भूलवश हो गया है, जिसके बाद माता पार्वती ने कहा कि शाप तो वापस नहीं लिया जा सकता लेकिन इसका एक उपाय है। माता पार्वती ने बालक को उपाय बताते हुए कहा कि भगवान गणेश की पूजा के लिए नाग कन्याएं आएंगी और तुमको उनके कहे अनुसार व्रत करना होगा, जिससे तुमको शाप से मुक्ति मिल जाएगी। बालक कई सालों तक शाप से जूझता रहा और एक दिन नाग कन्याएं भगवान गणेश की पूजा के लिए आईं। जिनसे बालक ने गणेश व्रत की विधि पूछी। बालक ने सच्चे मन से भगवान गणेश की पूजा की, जिससे प्रसन्न होकर भगवान गणेश ने वरदान मांगने को कहा।
बालक ने भगवान गणेश से प्रार्थना की और कहा कि, हे वरद, मुझे इतने शक्ति दें कि मैं पैरों से चलकर कैलाश पर्वत पर जा सकूं। भगवान गणेश ने बालक को आशीर्वाद दे दिया और अंतर्ध्यान हो गए। इसके बाद बालक ने कैलाश पर्वत पर भगवान महादेव को शाप मुक्त होने की कथा सुनाई। चौपड़ वाले दिन से माता पार्वती भगवान शिव से रुष्ट हो गई थीं। बालक के बताए अनुसार, भगवान शिव ने भी 21 दिनों का भगवान गणेश का व्रत किया, व्रत के प्रभाव से माता पार्वती के मन से भगवान महादेव के प्रति नाराजगी खत्म हो गई। पंडितों के अनुसार भगवान गणेश की जो सच्चे मन से पूजा अर्चना और आराधना करते हैं, उनके सभी दुख दूर हो जाते हैं। साथ ही कथा सुनने व पढ़ने मात्र से जीवन में आने वाले सभी विघ्न दूर होते हैं।
वरद चतुर्थी के दिन ये करें
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार वरद चतुर्थी के दिन अपने घर में गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें और उन्हें शुद्ध जल से स्नान कराएं। गणेश जी को चंदन, रोली, कुमकुम और फूलों से श्रृंगार करें। गणेश जी को मोदक, दूध, फल और अन्य मिठाइयां चढ़ाएं। गणेश जी के विभिन्न मंत्रों का जाप करें और गणेश जी की आरती करें। पूजा के समय सभी विधि-विधानों का पालन करें। यदि आप व्रत रखना चाहते हैं तो सात्विक भोजन करें। गणेश स्तोत्र का पाठ करने से मन शांत होता है और दान करने से पुण्य मिलता है।
- प्रज्ञा पाण्डेय