होल ग्रेन्स आहार के नाम पर बिकने वाले उत्पादों का सच

By शिखा अग्रवाल | Mar 31, 2017

कोई भी डॉक्टर आपको बताएगा कि फाइबर, एंटी आक्सीडेंट और अन्य पोषक तत्वों का प्राप्त करने का सबसे अच्छा रास्ता साबुत अनाज (होल ग्रेन्स) से बना आहार है। ऐसा आहार वजन बढ़ाने, कैंसर, डायबिटीज और दिल की बीमारियों को रोकता है। इसके बावजूद कई देशों में लोग सम्पूर्ण अनाज से निर्मित आहार पर्याप्त मात्रा में नहीं लेते हैं। सरकार की सिफारिश के अनुरूप केवल 8 प्रतिशत अमेरिकी व्यस्क ही दिन में तीन बार होल ग्रेन्स से बनी चीजें खाते हैं।

वैसे, होल ग्रेन और पर्याप्त फाइबर वाला खाने का सामान मिलना बहुत कठिन होता है। किराना दुकानों और शॉपिंग मॉल में साबुत अनाज से निर्मित होने का दावा करने वाले ब्रेड, अनाज और पिज्जा बेस की भरमार रहती है। इस तरह के फूड का बाजार 2022 तक 3000 अरब रूपये से अधिक होने की संभावना है। समस्या यह है कि ऐसे प्रोडक्ट में 100 प्रतिशत अनाज नहीं होता है। बोस्टन चिल्ड्रन हॉस्पीटल के वजन सम्बंधी विभाग के डायरेक्टर डॉ. डेविड लुडविडा कहते हैं, अब होल ग्रेन शब्द का कोई अर्थ नहीं रह गया है।

 

अमेरिकी खाद्य एवं दवा प्रशासन के अनुसार किसी होल ग्रेन फूड में अनाज के दाने के सभी घटक जैसे− मस्तिष्क, अंकुर और अंदरूनी परत उसी अनुपात में होने चाहिए जैसे बीज में होते हैं। पोषण पर सलाह देने वाले एक संगठन सीएसपीआई ने एक डीए को याचिका देकर होल ग्रेन फूड्स के सम्बंध में भ्रामक जानकारी पर ध्यान देने की मांग की है।

 

यदि आप खाने−पीने की सेहतमंद चीजें खरीदने चाहते हैं तो प्रमुख स्वास्थ्य विशेषज्ञो की सलाह पर गौर करें। चीजों के लेबल में लिखी साम्रगी और उनके गुणों के बारे में जानने के लिए इन 5 फैक्टर पर विशेष रूप से नजर रखें।

 

खतरे की घंटी है, होल ग्रेन से निर्मित टैग−

सीएपीआई के न्यूट्रीशन के डायरेक्टर बोनी लीबमैन कहते हैं, ऐसा पढ़कर लगता है कि ब्रेड या अनाज केवल होल ग्रेन से बने हैं। लेकिन सच बात यह है कि इनमें होल ग्रेन बहुत कम होता है। इसमें रिफाइंड आटा ज्यादा होता है। इससे वजन और ब्लड शुगर दोनों बढ़ते हैं। दूसरी ओर, यदि लेबल पर 100 प्रतिशत होल ग्रेन से बना हुआ लिखाई दे, तब यह अच्छा संकेत है। यदि आपको ऐसा दावा न दिखाई दे तो फूड की साम्रगी की सूची, जिसमें वजन के अनुसार क्रमवार सामान लिखा रहता है पर नजर डालें। यदि सूची में सबसे ऊपर होल ग्रेन है तब ठीक है। लेकिन अगर 3 या 4 सामान रिफाइन्ड आटे के हैं तब यह अच्छा नहीं है। 

 

सुपरफाइन आटे को भी होलग्रेन बना सकते हैं−

किसी अनाज के सभी तीन हिस्से सही अनुपात में होने पर उसे आटे में बदल जाने के बावजूद होल ग्रेन परिभाषा का उपयोग किया जा सकता है। लेकिन, अध्ययनों से पता चलता है कि साबुत अनाजों की तुलना में बहुत अधिक रिफाइन्ड किये अनाजों का शरीर पर अलग प्रभाव पड़ता है। शोधकर्ताओं का निष्कर्ष है कि पाचन तंत्र अत्यंत महीन अनाजों को अधिक तेजी से पचाता है चूंकि इनमें मुख्यतः कार्बोहाइड्रेट होते हैं। इसलिए इनसे बल्ड शुगर का स्तर बढ़ता है। इससे वजन बढ़ सकता है एवं डायबिटीज हो सकती है। साबुत अनाज को पचने में लम्बा समय लगता है और स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाली किसी भी तरह की परिस्थिति नहीं बनती है इसलिए ऐसा अनाज शरीर को फायदा पहुंचाता है।

 

फाइबर के भाम्रक दावे−

वास्तविक होल ग्रेन फाइबर का अच्छा स्त्रोत हो सकते हैं। इनसे पाचन क्रिया सुधरती है और आप तृप्ति का अहसास करते हैं। अनाज से बनी खाने की कई चीजों में सेल्यूलोज या इन्सुलिन के रूप में अतिरिक्त फाइबर मिलाए जाते हैं। ये फाइबर साबुत अनाज में मौजूद नैसर्गिक फाइबर के समान स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद नहीं होते हैं।

 

पेचीदा है मल्टीग्रेन शब्द−

हम सोचते हैं कि थोड़ा बहुत भी मिल जाये तो ज्यादा अच्छा होगा। इसलिए कई किस्म के अनाजों से बनी चीज स्वास्थ्य के लिए दुरूस्त होगी। लेकिन, ऐसा नहीं भी हो सकता है। मल्टीग्रेन में नहीं बताया जाता है कि क्या अनाज साबुत है या रिफाइन्ड है। एक से अधिक अनाज वाले किसी भी फूड के लिए मल्टीग्रेन शब्द इस्तेमाल कर सकते है। भले ही वे अनाज पोषक तत्वों से भरपूर है या नहीं।

 

सभी होल ग्रेन पौष्टीक नहीं−

कोई भी फूड होल ग्रेन्स है तो जरूरी नहीं वह पूर्णतया पौष्टिक हो। उदारहण के लिए, होल ग्रेन से बनी चीजें और कई किस्मों के स्नैक्स में शक्कर, नमक एवं अन्य कृत्रिम सामान होता है। इसलिए ये स्वास्थ्य के लिए बेहतर नहीं हो सकते। अतः होल ग्रेन्स से बने फूड को अच्छी तरह जांच−परख कर इस्तेमाल करना चाहिए।

 

शिखा अग्रवाल

लेखक एवं पत्रकार

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