By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Apr 04, 2019
संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र की एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का खतरा पहले की पीढ़ियों की तुलना में अब ज्यादा है क्योंकि मौजूदा अंतरराष्ट्रीय माहौल को ‘‘सहयोग की तुलना में प्रतिस्पर्धा’’द्वारा कहीं अधिक परिभाषित किया जाता है। उन्होंने कहा कि कूटनीति का सहारा लेने की तुलना में हथियारों को हासिल करने को ज्यादा तवज्जो दी जाती है। निरस्त्रीकरण मामलों के लिए संयुक्त राष्ट्र की एक उच्च प्रतिनिधि इज़ुमी नाकामित्सु ने मंगलवार को सुरक्षा परिषद की बैठक में कहा कि तेजी से तकनीकी विकास कई तरीकों से अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा माहौल को प्रभावित करना शुरू कर देगा। इनमें परमाणु हथियारों को हासिल करने की बाधाओं को कम करना शामिल है। यह बैठक ऐतिहासिक समझौते की समीक्षा के लिए 2020 के लिए निर्धारित अगले सम्मेलन से पहले परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) के समर्थन में बुलाई गई थी।
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नाकामित्सु ने कहा, ‘‘आज हम खुद को सहयोग की तुलना में प्रतिस्पर्धा द्वारा कहीं अधिक परिभाषित एक अंतरराष्ट्रीय माहौल में पाते है और कूटनीति का सहारा लेने की तुलना में हथियारों को हासिल करने को ज्यादा तवज्जो दी जाती है।’’ उन्होंने कहा कि परमाणु हथियारों का इस्तेमाल, या तो जानबूझकर, दुर्घटनावश, या गलत अनुमान से, अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक है और ‘‘परमाणु युद्ध के संभावित परिणाम वैश्विक होंगे और इससे सभी सदस्य देश प्रभावित होंगे।
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उन्होंने निरस्त्रीकरण और अप्रसार को एनपीटी के दो स्तंभ बताते हुए कहा कि ये ‘‘एक ही सिक्के के दो पहलू’’है। अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के महानिदेशक युकिया अमानो ने भी परिषद को संबोधित किया और सदस्यों को याद दिलाते हुए कहा कि एजेंसी ‘‘परमाणु सहयोग के लिए अनुकूल’’एक माहौल के निर्माण के लिए एनपीटी के कार्यान्वयन में भूमिका निभाती है और विकासशील देशों को शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल करने में सहायता करती है। उन्होंने कहा कि ईरान और उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रमों की निगरानी आईएईए के एजेंडे में शीर्ष पर है। बैठक के बाद जारी एक बयान में सुरक्षा परिषद ने संधि के लिए उसके सदस्यों के समर्थन की फिर से पुष्टि किये जाने की घोषणा की।