किसी भी देश की ताकत तरूणायी ही होती है। इसीलिए कहते हैं जिस ओर जवानी चलती है उस ओर जमाना चलता है। शिक्षा ही किसी देश की उन्नति का मार्ग प्रशस्त कर सकती है। शिक्षा के क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन लाने के उद्देश्य से 09 जुलाई 1949 को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की स्थापना हुई थी। छात्र शक्ति ही राष्ट्र शक्ति है यह संगठन की मान्यता है। ज्ञान, शील एकता विद्यार्थी परिषद की विशेषता यह नारा लगाया जाता है। अभाविप किसी राजनीतिक दल की शाखा नहीं है। यह शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाला एक स्वतंत्र सामाजिक संगठन है। इसकी गतिविधि का मुख्य क्षेत्र कॉलेज और विश्वविद्यालय परिसर है और इसका सीधा सरोकार छात्रों और शिक्षकों से है। अभाविप का उद्देश्य छात्रों में शिक्षा के साथ संस्कार व सेवाभाव का जागरण करना है। आज अभाविप अपने उद्देश्यों में सफल होता दिख रहा है। परिषद का पहला सम्मेलन 1948 में अंबाला में आयोजित किया गया था। प्रोफेसर ओम प्रकाश बहल पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष और केशव देव वर्मा पहले राष्ट्रीय महासचिव बनाये गये थे। वर्षों की कठोर मेहनत और परिश्रम यह संगठन 40 लाख सदस्य संख्या के साथ आज देश ही नहीं बल्कि दुनिया का सबसे बड़ा छात्र संगठन बन गया है। अभाविप की मान्यता है कि छात्र कल का नहीं अपितु आज का नागरिक है।
छात्र शक्ति समस्या नहीं समाधान है। युवा हर क्षेत्र में पुररूत्थान के वाहक बनें इसलिए आज समाज जीवन के हर क्षेत्र में रचनात्मक कार्य कर रहे हैं। स्वामी विवेकानन्द की जयंती के अवसर पर 12 जनवरी को युवा दिवस के अवसर पर देशभर में अभाविप के कार्यकर्ता रक्तदान करते हैं। देशभर में कहीं भी दैवीय व प्राकृतिक आपदाओं के समय सबसे आगे आकर अभाविप के कार्यकर्ता सेवा करते हैं। यही कारण है कि आज सेवाभावी संगठन के रूप में भी अभाविप की पहचान स्थापित हो रही है।
अभाविप सदैव व्यवस्था परिवर्तन की पक्षधर रही है। शिक्षा नैतिकता एवं संस्कार निर्माण की शिक्षा बने। उसमें आत्म गौरव,राष्ट्रगौरव एवं देशभक्ति का भाव जगे। पाठ्यक्रमों में भारतीय जीवन मूल्यों का संवर्धन करने वाले विषय शामिल हों। इसलिए परिषद का आग्रह रहता है कि शिक्षा सस्ती, सर्वसुलभ एवं गुणवत्तापूर्ण हो। शिक्षा के क्षेत्र में आवश्यक सुधार के लिए प्रारम्भिक से लेकर उच्च शिक्षा तक समय-समय पर आन्दोलन भी करती है। विश्वविद्यालयों में प्रवेश व नियुक्ति प्रक्रिया पारदर्शी हो । इसके लिए केन्द्र व राज्य सरकारों पर दबाव बनाने के लिए प्रदर्शन भी संगठन ने किया है। विश्वविद्यालयों में होने वाले शोध एवं अनुसंधान करने वाले शोधार्थियों के लिए शोध वृद्धि को बढ़ाने के लिए आवाज उठाई। इसके अलावा समय—समय पर कैम्पस बचाओ, नकल रोकने, रैगिंग रोकने व नशामुक्ति के खिलाफ संगठन ने अभियान चलाने का काम किया है। देश तब तक वास्तविक विकास नहीं कर सकता जब तक आधी आबादी अशिक्षित रहेगी। अभाविप छात्रा शिक्षा के लिए सदैव सजग रही है। आज बड़ी संख्या में छात्राएं संगठन से जुड़कर काम कर रही हैं।
बांग्लादेशी घुसपैठ, आतंकवाद, नक्सलवाद तथा कश्मीर जैसी चुनौतियों को लेकर आन्दोलन का नेतृत्व भी इस संगठन ने किया है। जब कश्मीर घाटी में देश का अपमान करते हुए अलगाववादी ताकतों ने राष्ट्रध्वज तिरंगे को श्रीनगर के लाल चौक पर जलाया तो देश भर में विरोध का ज्वार उबल पड़ा। उस अपमान का बदला लेने के लिए 11 सितम्बर 1990 को, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के 10,000 कार्यकर्ताओं ने “कश्मीर बचाओ” आंदोलन के तहत लाल चौक पर तिरंगा फहराने तथा अनुच्छेद 370 और 35 ए को हटाने की मांग को लेकर “चलो कश्मीर” का नारा देते हुए श्रीनगर कूच किया था। आतंकवादियों को चुनौती देते हुए “जहाँ हुआ तिरंगे का अपमान वहीँ करेंगे तिरंगे का सम्मान” के नारे के साथ देशभर के युवा कश्मीर के लाल चौक पर तिरंगा फहराने जा रहे हज़ारों कार्यकर्ताओं को पुलिस ने उधमपुर से थोड़ी दूर धारा 144 तोड़ने के आरोप में गिऱफ्तार कर लिया था।
बिहार में छात्र-युवा संघर्ष समिति का नेतृत्व अभाविप ने किया था। 1975 में जब देश पर आपातकाल थोपा गया। पुलिस की बर्बरता चरम पर थी, किसी को भी कभी भी गिरफ्तार करके जेल में डाला जा रहा था। देखते-देखते पूरा हिन्दुस्थान जेल बन गया। देशभर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, जनसंघ,अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, अन्य राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं को पकड़कर जेल में डाला दिया गया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर प्रतिबंध लगा दिया गया। फिर शुरू हुआ 19 माह का वह बर्बरता का अंतहीन सिलसिला जो कई जिंदगियों को लील गया। हजारों लोगों को अपाहिज कर गया। लाखों लोगों की जबरदस्ती नसबंदी कर दी गई। इतने अत्याचारों के बाद भी भारत में अपातकाल के खिलाफ व लोकतंत्र की बहाली के लिये अभाविप ने निरन्तर संघर्ष किया। देशव्यापी इस आंदोलन के केन्द्र में अभाविप ही रही। अभाविप के बैनर तले युवाओं की तरूणाओं को देखकर ही लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने छात्रों के आह्वान को स्वीकार कर आन्दोलन का नेतृत्व करना स्वीकार किया था। उनके नेतृत्व में न केवल बिहार अपितु आन्दोलन ने देशव्यापी स्वरूप ले लिया और पूरा भारत अत्याचार से प्रतिकार करते हुए जेपी आंदोलन का हिस्सा बन गया। अभाविप से निकले युवा आज हर क्षेत्र में परचम लहरा रहे हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले, केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह, उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तरप्रदेश के भाजपा संगठन मंत्री धर्मपाल सिंह, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव व उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी समेत आज अनेक बड़े राजनेता अभाविप में ही काम करते हुए शीर्ष तक पहुंचे हैं। युवा देश की सामाजिक संरचना में आवश्यक परिवर्तन ला सकते हैं। राष्ट्रीय पुनर्निर्माण के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए थिंक इण्डिया, जिज्ञासा, मेडिविजन, एग्रीविजन, फार्माविजन, शोध, डब्ल्यूओएसवाई जैसे आयामों के माध्यम से कार्य कर रही है। इसके अलावा मिशन साहसी, सेल्फी विध कैम्पस, सामाजिक अनुभूति, नेशन फस्ट, वोटिंग मस्ट व इमर्जिंग इण्डिया न्यू इस्पिरेशन नाम से अभियान चलाती है। इसके अलावा शील,एसएफडी व राष्ट्रीय कला मंच के नाम से छात्रों को कार्य करने का मंच उपलब्ध कराती है।
स्टूडेंट फॉर डेवलपमेंट (विकासार्थ विद्यार्थी) औपनिवेशिक काल से लेकर वैश्वीकरण के इस वर्तमान युग तक लागू आर्थिक विकास के अव्यावहारिक मॉडल का विश्लेषण और जांच करने का काम करता है। एसएफडी लगातार आर्थिक विकास के भारत-केंद्रित मॉडल को विकसित करने और तैयार करने के लिए काम कर रहा है। विश्व छात्र एवं युवा संगठन (डब्ल्यूओएसवाई) "वसुधैव कुटुम्बकम" की भावना के साथ काम करता है, जिसका अर्थ है "पूरा विश्व एक परिवार है"। थिंक इंडिया एक और संगठनात्मक आयाम है जो बौद्धिक क्षेत्र में काम करता है। यह अभाविप की एक नई पहल है जो देश के युवा बुद्धिजीवियों को संगठित करती है और उनमें "राष्ट्र प्रथम" के अनमोल आदर्श और दृष्टिकोण को विकसित करती है। वहीं अंतरराज्यीय जीवन में छात्रों का अनुभव (शील) अभाविप का एक आयाम है जो उत्तर पूर्व के युवाओं को शेष भारत के समाज के साथ जोड़ने का काम करती है। युवा विकास केंद्र अभाविप का एक और आयाम है जो विशेष रूप से उत्तर पूर्वी राज्यों पर केंद्रित है और गुवाहाटी स्थित अपने केंद्र में उत्तर-पूर्वी युवाओं के कौशल विकास के लिए काम करती है। नई शिक्षा नीति के बारे में अभाविप ने कई महत्वपूर्ण सुझाव दिये थे। सुझाव के आधार पर पाठ्यक्रम में आवश्यक संशोधन भी किये गये हैं। अभाविप के कार्य,सत्यनिष्ठा व कार्यकर्ताओं के समर्पण को देखते हुए आज चाहे कृषि के क्षेत्र में हो,वित्त के क्षेत्र में हो या शिक्षा के क्षेत्र में नीति निर्धारण में सरकार अभाविप के प्रतिनिधियों से राय मशविरा अवश्य करती है। शिक्षा की हो श्रेष्ठ व्यवस्था, जिससे जाग्रत राष्ट्रभाव हो। इस पवित्र भाव से अभाविप देशभर में छात्रों के बीच कार्य कर रही है।
— बृजनन्दन राजू
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)