पेरिस। संयुक्त राष्ट्र ने आज एक अहम रिपोर्ट में कहा है कि विश्व के दूषित जल के पुनर्चक्रण से विश्व भर में मौजूद पानी की कमी की समस्या को सुलझाया जा सकता है और पर्यावरण को भी सुरक्षित रखा जा सकता है। इस दूषित जल का लगभग पूरा हिस्सा बिना शोधन के ही रह जाता है। विश्व जल दिवस के अवसर पर जारी रिपोर्ट से जुड़ी संयुक्त राष्ट्र की विभिन्न संस्थाओं में से एक यूनेस्को की महानिदेशक इरीना बोकोवा ने कहा, ‘‘दूषित जल के संशोधित प्रबंधन से पैदा होने वाले अवसरों को नजरअंदाज करना असंभव से कम कुछ भी नहीं है।’’
कई दशकों से लोग ताजे जल का इस्तेमाल इतनी तेजी से कर रहे हैं कि प्रकृति इसे उतनी ही गति से बदल नहीं पाती और इसके कारण क्षेत्रों में भूख, बीमारी, संघर्ष और पलायन जैसी स्थितियां पैदा करने वाला बना सकता है। मानव समुदाय का दो तिहाई हिस्सा इस समय उन क्षेत्रों में रहता है, जहां साल में कम से कम एक माह तक पानी की कमी रहती है। इनमें से आधे लोग चीन और भारत में हैं। पिछले साल, वैश्विक आर्थिक मंच के वार्षिक सर्वेक्षण में जल संकट की पहचान अगले दशक के शीर्ष वैश्विक खतरे के रूप में की गयी थी।