Ashadh Kalashtami Vrat: आषाढ़ कालाष्टमी व्रत से साधक होते हैं भयमुक्त

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By प्रज्ञा पाण्डेय | Jun 28, 2024

Ashadh Kalashtami Vrat: आषाढ़ कालाष्टमी व्रत से साधक होते हैं भयमुक्त

आज आषाढ़ कालाष्टमी है, यह दिन भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव को समर्पित होता है। इस दिन भगवान शिव ज्योत रूप में भी प्रकट हुए थे, तो आइए हम आपको आषाढ़ कालाष्टमी व्रत की विधि एवं महत्व के बारे में बताते हैं। 


जानें आषाढ़ कालाष्टमी के बारे में  

भैरवनाथ की उपासना का मासिक पर्व कालाष्टमी है। शहर के भैरव व बजरंगबली के मंदिरों में पूजन के लिए भीड़ उमड़ती है। शास्त्री नगर स्थित बाजना मठ मन्दिर में भैरव पूजन के लिए भक्तों का तांता लगता है। इस अवसर पर मन्दिर में विशेष अनुष्ठान भी होते हैं। अन्य भैरव व शिव मंदिरों में भी शिवजी व भैरवनाथ की विशेष पूजा की जाती है। वहीं, ब्रह्मा जी द्वारा अपमानित किए जाने के बाद भगवान शिव का रौद्र रूप काल भैरव देव का अवतरण हुआ था। इस अवसर पर काल भैरव देव की पूजा की जाती है। साथ ही कालाष्टमी का व्रत रखा जाता है। काशी स्थित काल भैरव मंदिर में बाबा की नगरी के कोतवाल की विशेष पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार काल भैरव देव की पूजा करने से साधक के सकल मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है। तंत्र सीखने वाले साधक निशा काल में काल भैरव देव की कठिन साधना करते हैं। अगर आप भी काल भैरव देव की कृपा पाना चाहते हैं, तो कालाष्टमी तिथि पर राशि अनुसार भगवान शिव का अभिषेक करें।


आषाढ़ कालाष्टमी का शुभ मुहूर्त

आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 28 जून को दोपहर 04 बजकर 27 मिनट पर शुरू हो रही है। साथ ही इस तिथि का समापन 29 जून को दोपहर 02 बजकर 19 मिनट पर होगा। कालाष्टमी व्रत के दिन बाबा काल भैरव की पूजा रात्रि के समय निशिता मुहूर्त में की जाती है, इसलिए कालाष्टमी 28 जून शुक्रवार को मनाई जाएगी।

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आषाढ़ कालाष्टमी का महत्व

धर्मग्रंथों में भगवान काल भैरव को शिवजी का उग्र स्वरूप माना गया है। इनकी उपासना से व्यक्ति को जीवन के सभी दुखों से छुटकारा मिलता है और घर में खुशियों का आगमन होता है। कालाष्टमी के दिन काल भैरव की पूजा करने से भक्तों को किसी भी तरह के भय, रोग, शत्रु और मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है। साथ ही किसी भी तरह का वाद विवाद, कोर्ट कचहरी के मामलों से छुटकारा पाने में भी भगवान काल भैरव आपकी मदद करते हैं। इनकी पूजा-अर्चना करने से राहु केतु के बुरे दोष से भी मुक्ति मिलती है। इनकी पूजा-आराधना से घर में नकारात्मक शक्तियां, जादू-टोने और भूत-प्रेत आदि से किसी भी प्रकार का भय नहीं रहता बल्कि इनकी उपासना से मनुष्य का आत्मविश्वास बढ़ता है।


आषाढ़ कालाष्टमी के दिन ऐसे करें पूजा

अष्टमी तिथि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें। अब मंदिर की सफाई करें और भगवान के सामने दीपक जलाएं। भगवान काल भैरव के साथ-साथ भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करें। इसके बाद पूरे दिन व्रत रखें और रात में फिर से पूजा करें। रात में भगवान काल भैरव की पूजा करने का विधान है। धूप, काले तिल, दीप, उड़द और सरसों के तेल से काल भैरव की पूजा करनी चाहिए। इसके साथ ही उन्हें हलवा, मीठी पूरी और जलेबी आदि का भोग लगाना चाहिए। वहीं बैठकर भैरव चालीसा का पाठ करें। पाठ पूरा होने के बाद आरती करें।


आषाढ़ कालाष्टमी के दिन करें ये उपाय

पंडितों के अनुसार आषाढ़ कालाष्टमी के कुछ खास उपायों से मिलता है लाभ। लंबे समय से चली आ रही किसी भी समस्या से छुटकारा पाने के लिए कालाष्टमी के दिन एक रोटी लें और उस पर घी की जगह सरसों का तेल लगाएं और फिर इस रोटी को काले कुत्ते को खाने के लिए दें। इस दौरान काल भैरव का ध्यान करते रहें। जीवन में चल रही पारिवारिक समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए कालाष्टमी के दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान शिव की मूर्ति के सामने आसन पर बैठकर शिव चालीसा का पाठ करें। पंडितों के अनुसार पूरी श्रद्धा के साथ ऐसा करने से भक्तों को बहुत लाभ होता है। जीवन में सभी प्रकार की सुख-सुविधाएं पाने के लिए कालाष्टमी के दिन काल भैरव की मूर्ति के सामने सरसों के तेल से भरा मिट्टी का दीपक जलाएं। जब आप दीपक जलाएं तो “ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं ॐ” मंत्र का दो बार जाप करें। अगर जीवन में हमेशा किसी चीज की कमी रहती है तो इसे दूर करने के लिए कालाष्टमी के दिन काल भैरव के चरणों में काला धागा अर्पित करना चाहिए और काल भैरव का ध्यान करना चाहिए। फिर कुछ देर बाद इस धागे को काल भैरव के चरणों से उठाकर अपने दाएं पैर में बांध लें।


काल भैरव को चढ़ाएं ये चीजें

पंडितों के अनुसार कालाष्टमी के दिन काल भैरव के सात्विक भोग में हलवा, खीर, गुलगुले (मीठे पुए) जलेबी, फल आदि अवश्य शामिल करें। कालाष्टमी के दिन काल भैरव को पान, सुपारी, लौंग, इलायची, मुखवास आदि चीजें भी चढ़ाईं जाती हैं। काल भैरव को लगाने वाले भोग को शुद्ध घी में बनाकर ही अर्पित करें। काल भैरव को मदिरा का भी भोग लगाया जाता है. इसलिए उनके भोग में मदिरा अवश्य शामिल करें। भगवान काल भैरव की पूजा के लिए धूप, दीप और अगरबत्ती जलाएं और काल भैरव की आरती गाएं। भगवान काल भैरव से अपनी मनोकामना के लिए प्रार्थना करें। भगवान काल भैरव को भोग लगाने के बाद गरीबों को भोजन जरूर खिलाएं।


आषाढ़ कालाष्टमी पर करें ये खास पूजा 

कालाष्टमी पर भगवान शिव के अंश कालभैरव की पूजा करना विशेष फलदाई है। इस दिन प्रातः स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल पर भगवान कालभैरव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। इसके बाद काल भैरव के साथ शिव परिवार की पूजा करें। काल भैरव को हल्दी या कुमकुम का तिलक लगाकर इमरती, पान, नारियल आदि चीजों का भोग लगाएं। इसके बाद सरसों के तेल का चौमुखी दीपक जलाकर आरती करें। रात के समय काल भैरव के मंदिर जाकर धूप, दीपक जलाने के साथ काली उड़द, सरसों के तेल से पूजा करने के बाद भैरव चालीसा, शिव चालीसा व कालभैरवाष्टक का पाठ करें। कालिका पुराण के अनुसार भैरव जी का वाहन श्वान है इसलिए इस दिन काले कुत्ते को मीठी चीजें खिलाने से भैरव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद देते है।


आषाढ़ कालाष्टमी पर ना करें ये काम

आषाढ़ कालाष्टमी के दिन किसी की निंदा या चुगली करने से बचें। वाणी पर नियंत्रण रखें। किसी को भी गलत शब्दों से संबोधित ना करें। इस दिन काल भैरव के मंत्र का 108 बार जाप करने से भय से मुक्ति मिलती है।


- प्रज्ञा पाण्डेय

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