By दिव्यांशी भदौरिया | Nov 14, 2024
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक अनोखे मामले पर सुनवाई की है। दरअसल, यह मामला 73 साल पुरानी कार से जुड़ा है। 1951 की एक खास रोल्स-रॉयस कार को लेकर मामला है। इस कार के बारे में आपको बता दें कि, एचजे मुलिनर एंड कंपनी (HJ Mulliner & Co) ने बनाई थी। इसी के साथ आपको बता दूं कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने महारानी की तरफ से इस कार का ऑर्डर दिया था। इस कार को लेकर एक शाही परिवार की बेटी की शादी टूट गई।
सुसराल नहीं गई दुल्हन
आपको बता दें कि, लड़की और उसका परिवार खुद को छत्रपति शिवजी महाराज के एडमिरल और कोंकण के शासक का वंशज बताते हैं। दूसरी ओर, लड़ने के पिता आर्मी में कर्नल थे और उनका परिवार इंदौर में एक शिक्षण संस्थान चलाता है। इसके साथ ही दोनों परिवारों ने मार्च 2018 में ग्वालियर में सगाई और एक महीने बाद ऋषिकेश में हुई शादी के बारे में अलग-अगल बातें बताईं, हालांकि, दोनों परिवारों की दावा एक जैसे थे। विवादों का कारण ससुराल वालों ने दुल्हन को कभी अपने यहां नहीं लाया।
दोनों परिवारों ने एक-दूसरे पर आरोप लगाया
लड़के ने आरोप लगाया कि शादी के दौरान लड़की वालों के तरफ से बड़ी रकम की हेरफेर की। लड़के ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। फिर क्या लड़की ने लड़के और उसके परिवार के खिलाफ दहेज उत्पीड़न का मामला दर्ज कराया है। हालांकि, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने इस एफआईआर को रद्द कर दिया। इसके बाद महिला ने सुप्रीम कोर्ट ने चुनौती दी। दुल्हन ने आगे बताया कि लड़के को रोल्स-रॉयस कार से इतना प्रेम है कि उसने और उसके माता-पितान ने दहेज में मुंबई में एक फ्लैट के साथ यह कार भी मांगी थी।
लड़की दूसरी शादी नहीं कर सकती
वरिष्ठ वकील विभा दत्ता मखीजा ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जवल भुइयां पीठ को बताया कि महिला कठिन परिस्थिति फंसे गई है क्योंकि, उसके पुराने शाही समुदाय में दोबारा विवाब की कोई परंपरा नहीं है। वहीं, बेंच ने हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीष आर बसंत को दोनों पक्षों के बीच समझौता करने के लिए मध्यस्थ नियुक्त किया है। कोर्ट ने कहा- आज के समय में ऐसी कोई परंपरा नहीं है। समाज ने शादी-विवाह के रिश्तों में जातिवाद को पीछे छोड़ दिया है। कुछ लोगों को आपत्ति हो सकती है, लेकिन जरुरी नहीं कि वह दोबारा शादी नहीं कर सकती।
अब वहीं, दोनों पक्ष मुकदमेबाजी में उलझे हुए हैं और एफआईर दर्ज कराई गई हैं। बेंच न कहा कि हमे पता है कि समझौते की कोशिशें पहले भी नाकाम हुई हैं, एक बार फिर कोशिश क्यों न की जाए। सुप्रीम कोर्ट के मध्यस्थता केंद्र को यह काम सौंपा जाए। अब दोनों पक्षों के बीच सुलह कराने के लिए जंज बसंत को मध्यस्थ को नियुक्त किया गया।