By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | May 07, 2022
ओबीसी के राजनीतिक आरक्षण पर भारतीय जनता पार्टी ( भाजपा) की सहानुभूति महज दिखावा है। ओबीसी आरक्षण की वर्तमान स्थिति के लिए भाजपा और पिछ्ली देवेंद्र फडणवीस सरकार पूरी तरह से जिम्मेदार हैं। भाजपा पर यह पलटवार महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नाना पटोले ने किया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी का डीएनए ओबीसी हितैषी नहीं बल्कि ओबीसी विरोधी है और अब बीजेपी ओबीसी आरक्षण के लिए जो प्यार दिखा रही है, वह 'पूतना मावशी का प्यार' है। ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर आगे बोलते हुए प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि, देश में आरक्षण खत्म करना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा का एजेंडा है और यह बात कोई रहस्य नहीं है। पटोले ने कहा कि मौजूदा हालात को देखते हुए देवेंद्र फडणवीस अब ओबीसी के राजनीतिक आरक्षण पर घड़ियाली आंसू बहा कर पैचवर्क करने का काम शुरू किया है, लेकिन ओबीसी समाज उनके इस पैतरे को अच्छी तरह से समझ गई है। उन्होंने कहा कि फडणवीस के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के दौरान, 2017 में नागपुर जिला परिषद चुनावों के दौरान ओबीसी के रोस्टर को साफ करने के लिए एक सरल परिपत्र जारी किया और जिला परिषद चुनावों को स्थगित कर दिया।
मामला अदालत में गया, उसके बाद भंडारा जिला परिषद और अन्य जिला परिषदें चली गईं। साल 2018 में, उच्च न्यायालय ने कहा था कि आयोग का गठन किया जाना चाहिए, लेकिन तत्कालीन फडणवीस सरकार ने इस पर कोई निर्णय नहीं लिया। इसके बाद महाविकास आघाडी सरकार ओबीसी आरक्षण को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट गई, लेकिन केंद्र की मोदी सरकार ने भी महाराष्ट्र सरकार को शर्मिंदा करते हुए जरूरी ओबीसी डेटा देने से इनकार कर दिया। मध्य प्रदेश में जब ओबीसी आरक्षण का मुद्दा आया तो केंद्र की मोदी सरकार ने वहां की सरकार की मदद करने की भूमिका निभाई। चूंकि महाराष्ट्र में भाजपा विरोधी सरकार है, इसलिए केंद्र ने महाविकास आघाडी सरकार की मदद करने से पल्ला झाड़ लिया ।नाना पटोले ने कहा कि, अब देवेंद्र फडणवीस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ओबीसी आरक्षण की मौजूदा स्थिति को लेकर महाविकास आघाडी सरकार पर हमला कर रहे हैं। वे पूछ रहे हैं कि हमलोगों ने दो साल में क्या किया। ऐसे में अब हमारा भाजपा से सवाल है कि फडणवीस सरकार ने ओबीसी आरक्षण को बचाने के लिए पांच साल तक क्या किया? उन्होंने आयोग क्यों नहीं बनाया? फडणवीस, जिन्होंने दावा किया था कि में इम्पिरिकल डेटा में कई त्रुटियां थीं तो उन्होंने मोदी सरकार से यह डेटा क्यों मांगा था। वही अचरज की बात यह है कि मोदी सरकार सरकारी योजनाओं को लागू करने के लिए उसी डेटा का उपयोग क्यों कर रही है।
पटोले ने कहा कि इन गतिरोध के बीच ये सवाल हमेशा मौजूद रहेंगे ।पटोले ने कहा कि मंडल आयोग के लागू होने के बाद ओबीसी के लिए 27% आरक्षण लागू किया गया था। यह एक सर्वविदित सत्य है कि इस फैसले का पूरे देश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कड़ा विरोध किया था। इसलिए देवेंद्र फडणवीस और चंद्रकांत पाटिल समेत बीजेपी के नेता जो ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर महाविकास आघाडी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, उन्हें पहले अपने इतिहास में झांक कर अपना असली चेहरा सच्चाई के आईने में देखना चाहिए। तब पता चलेगा कि ओबीसी आरक्षण की असली हत्यारा भाजपा है।