कशेरुकी जीवाश्म का सबसे पुराना हृदय मिला, शरीर के विकास की मिलती है जानकारी

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Sep 19, 2022

पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के किम्बरले क्षेत्र की चूना पत्थर की पर्वतमाला में फिट्जरॉय क्रॉसिंग शहर के समीप आपको दुनिया की सबसे अच्छी संरक्षित प्राचीन प्रवाल शैलमाला मिलेगी। यहां बाबा आदम के जमाने के समुद्री जानवरों के असंख्य अवशेष रखे हैं जिनमें प्लेकोडर्म भी शामिल है। मछली का यह वर्ग हमारे शुरुआती जबड़े वाले पूर्वजों का प्रतिनिधित्व करता है। प्राचीन समुद्रों, नदियों और झीलों में प्लेकोडर्म का राज था।

ये डेवोनियाई काल (419-359 मिलियन वर्ष पूर्व) की सबसे प्रचुर और विविध मछलियां थीं लेकिन बाद में ये विलुप्त हो गयीं। प्लेकोडर्म का अध्ययन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि उनसे जबड़े -रीढ़ की हड्डी वाली शारीरिक संरचना की उत्पत्ति के इतिहास में जाने का मौका मिलता है। उदाहरण के लिए प्लेकोडर्म से पता चलता है कि कब पहली बार जबड़े, दांत, खोपड़ी की हड्डियों और अंगों से जुड़े। इससे हमें कशेरुकी (रीढ़ की हड्डी वाले) जंतुओं के आंतरिक निषेचन की उत्पत्ति का पता चला।

‘साइंस’ पत्रिका में प्रकाशित एक शोध पत्र में हमने किसी कशेरुकी जंतु के सबसे पुराने त्रि-आयामी संरक्षित हृदय का विस्तारपूर्वक अध्ययन किया है और इस मामले में एक जबड़े वाले कशेरुकी जंतु का। प्लेकोडर्म का यह हृदय करीब 38 करोड़ वर्ष पुराना है। हमने यह कैसे किया? गोगो स्टेशन से पहली बार 1940 के दशक में फिट्जरॉय क्रॉसिंग के समीप मछली के जीवाश्म मिले। लेकिन 1960 के दशक तक खूबसूरत थ्रीडी संरक्षण तकनीक की उपलब्धता तक इनका खुलासा नहीं हुआ था।

इस तकनीक का इस्तेमाल कर हल्के एसीटिक अम्ल का इस्तेमाल कर हड्डियों से चट्टान हटायी जाती है। यह तकनीक भी दोधारी तलवार पर चलने के समान है क्योंकि इसमें जीवाश्म में नरम ऊत्तक खत्म हो जाते हैं। सबसे पहले 2000 में प्लेकोडर्म के जीवाश्म में मांसपेशी के टुकड़े मिले थे। इसके बाद एक्स-रे पद्धति का इस्तेमाल कर 2010 में गोगो प्लेकोडर्म की और मांसपेशियों का पता चला, जिसमें गर्दन और पेट की मांसपेशियां शामिल थीं।

इस तकनीक का इस्तेमाल कर हमने पहली बार यह दिखाया कि डोवेनियाई काल की मछली में लीवर, पेट और आंत मौजूद था। प्लेकोडर्म का हृदय : हमारी सबसे दिलचस्प खोज हृदय था। हमने एक्स-रे तकनीक का इस्तेमाल कर प्लेकोडर्म के पहले हृदय का पता लगाया। इसके बाद न्यूट्रॉन इमेजिंग तकनीक का इस्तेमाल कर हमने एक अलग नमूने में दूसरे हृदय की खोज की। डोवेनियाई काल में जिंदगी निश्चित तौर पर मुश्किल रही होगी क्योंकि प्लेकोडर्म का हृदय उनके मुंह में था।

उस समय किसी कशेरुकी जंतु में गर्दन इतनी छोटी थी कि हृदय गले के पीछे और गलफड़ा के नीचे था। आज 99 फीसदी जीवित कशेरुकी प्राणियों के शरीर में जबड़ा है। इससे यह पता चलता है कि जबड़े वाले कशेरुकी प्राणियों में हृदय को और आगे स्थानांतरित करने का संबंध जबड़े और गर्दन की संरचनाओं में बदलाव से है। लेकिन हृदय के इस स्थानांतरण ने फेफड़ों के विकास के लिए भी जगह छोड़ी होगी।

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