By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jun 02, 2020
कुमार ने कहा कि रक्षा उत्पादन एवं निर्यात प्रोत्साहन नीति में स्वदेशीकरण, ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देने और आयात की जाने वाली वस्तुओं का विकल्प उपलब्ध कराने संबंधी सभी चीजें शामिल होंगी। उन्होंने कहा, ‘‘विचार यह है कि स्वदेशीकरण की प्रक्रिया में ऐसी संभावना हो सकती है जहां निवेश का औचित्य सिद्ध न किया जा सके, सरकार की तरफ से कुछ पूंजीगत सहायता की जरूरत हो सकती है। हम उस आयाम को देख रहे हैं। एक बार नीति के सार्वजनिक रूप से सामने आने पर हम आपके फीडबैक और विचार मांगेंगे।’’ वर्तमान में घरेलू रक्षा उद्योग का कारोबार 12 अरब डॉलर का है। इसमें से 80 प्रतिशत हिस्सेदारी सार्वजनिक क्षेत्र के रक्षा उपक्रमों और 20 प्रतिशत हिस्सेदारी निजी क्षेत्र की है। पीएचडी चैम्बर ऑफ कॉमर्स द्वारा आयोजित वेबिनार में कुमार ने कहा, ‘‘हम 2025 तक घरेलू रक्षा उद्योग का कारोबार 25 अरब डॉलर तक का होने की उम्मीद करते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह तभी हो सकता है जब हम आयात की जाने वाली चीजों की नकारात्मक सूची के साथ शुरुआत कर आयात को कम करने के लिए गंभीरता से प्रयास करें और घरेलू उत्पादों की खरीद के लिए पर्याप्त बजट सहायता उपलब्ध कराएं।’’
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रक्षा उत्पादन सचिव ने कहा कि सरकार का ध्यान आयातित वस्तुओं के स्वदेशीकरण पर है। उन्होंने कहा कि पीएचडी चैम्बर ऑफ कॉमर्स द्वारा गठित एवं मिश्र धातु निगम के सीएमडी एस के झा की अध्यक्षता वाली एक समिति ने रक्षा आयात के विकल्प के मामले पर हमारे विचार के लिए कई महत्वपूर्ण मुद्दे सूचीबद्ध किए हैं। कुमार ने कहा ने कहा, ‘‘मैं हमारे द्वारा उठाए जाने वाले कदमों के बारे में बताना चाहूंगा। सबसे पहले कदम के रूप में हमें अनुसंधान संस्थानों और प्रयोगशालाओं के साथ मिलकर तकनीकी विशिष्टता विकसित करने और फिर विनिर्माण प्रक्रियाएं विकसित करने की आवश्यकता है। कुछ खास चिह्नित सामग्री के मामले में हमारी योजना डीआरडीओ के नेतृत्व में मिशन मोड पद्धति को अपनाने की है।’’ रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) रक्षा मंत्रालय के अधीन काम करता है। कुमार ने कहा, ‘‘दूसरा, हम सरकार की मदद से इन चिह्नित सामग्री के विकास के लिए रक्षा खरीद प्रक्रिया (डीपीपी) के तहत एक प्रक्रिया बनाएं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘तीसरा, हमें परीक्षण एवं प्रमाणन सुविधाएं विकसित करनी चाहिए। अत:, हम देश में इन परीक्षण और प्रमाणन सुविधाओं के विकास के लिए मानकीकरण निदेशालय के तहत एक कार्यबल की स्थापना करना चाहेंगे।