By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jun 24, 2017
मुंबई। देश की सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश और सबसे ज्यादा क्षेत्रफल वाले राजस्थान समेत सभी राज्यों का सकल राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2015-16 में 4,93,360 करोड़ रुपये हो गया है। भारतीय रिजर्व बैंक के नवीनतम आंकड़ों में इसकी तुलना वित्त वर्ष 1990-91 के आंकड़ों से की गई है जब यह 18,790 करोड़ रुपये था। रिजर्व बैंक की आज जारी 'हैंडबुक ऑफ स्टैटिस्टिक्स ऑन स्टेट्स 2016-17' के दूसरे संस्करण के अनुसार वित्त वर्ष 2016-17 के लिए पेश राज्यों के बजट के अनुसार यह बेहतर होकर 4,49,520 करोड़ रुपये होने का अनुमान है।
उत्तर प्रदेश का राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 1990-91 में 3,070 करोड़ रुपये था जो वित्त वर्ष 2015-16 में 64,320 करोड़ रुपये हो गया और वित्त वर्ष 2016-17 में यह सुधरकर 49,960 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। इसी प्रकार राजस्थान का घाटा वित्त वर्ष 1990-91 में 540 करोड़ रुपये था जो वित्त वर्ष 2015-16 में 67,350 करोड़ रुपये हो गया और वित्त वर्ष 2016-17 में यह सुधरकर 40,530 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। महाराष्ट्र का घाटा भी सुधरकर वित्त वर्ष 2016-17 में 35,030 करोड़ रुपये होने का अनुमान है जो वित्त वर्ष 2015-16 में 37,950 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 1990-91 में यह 1,020 करोड़ रुपये था। गुजरात का घाटा वित्त वर्ष 1990-91 में 1,800 करोड़ रुपये था जो 2015-16 में 22,170 करोड़ रुपये हो गया और वित्त वर्ष 2016-17 में इसके बढ़कर 24,610 करोड़ रुपये होने का अनुमान है।