By अजय कुमार | Feb 07, 2022
उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव के लिए संघर्ष छिड़ा हुआ है। इसी संघर्ष में कहीं न कहीं 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव की भी नींव पड़ती नजर आएगी। यूपी में विधान सभा चुनाव के लिए सात चरणों में मतदान होना है। इन सात चरणों में तमाम उम्मीदवारों के साथ-साथ उन 80 सांसदों की भी परीक्षा होगी, जो अपने क्षेत्र में विकास के बड़े-बड़े दावे करते रहे हैं। पहले चरण में ही 13 सांसदों के संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली 58 विधान सभा क्षेत्रों के सदस्यों के चयन के लिए मतदान हो जाएगा। प्रथम चरण में जिन 13 सांसदों की परीक्षा होनी है उसमें सबसे अधिक भाजपा के सांसद हैं। उक्त 58 विधानसभा सीटों पर भाजपा, सपा, बसपा, कांग्रेस व रालोद प्रत्याशियों की जीत या हार उनके दलों के सांसदों के कामकाज व उनकी लोकप्रियता का पैमाना तय करेगी। इन 13 सांसदों में तीन सांसद क्रमशः वीके सिंह, संजीव बलियान, एसपी सिंह बघेल मोदी सरकार में मंत्री हैं। आगरा के सांसद बघेल तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव के खिलाफ मैनपुरी की करहल विधान सभा क्षेत्र से चुनाव भी लड़ रहे हैं। बाकी दस सांसद भी अपने संसदीय क्षेत्र में जमकर प्रचार कर रहे हैं, लेकिन सभी 13 सांसदों की राह इस हिसाब से आसान नहीं लग रही है कि उनके संसदीय क्षेत्र के नतीजे उनकी पार्टी के अनुरूप ही आएंगे। जिन 13 सांसदों के भाग्य का फैसला होगा,उसमें 12 सीटों पर भाजपा और एक सीट पर बसपा के सांसद हैं।
सबसे पहले मुजफ्फरनगर के सांसद और केन्द्रीय मंत्री संजीव बालियान के लोकसभा क्षेत्र की बात की जाए तो 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट में आने वाली विधानसभा सीटों बुढ़ाना व चरथावल में रालोद तो मुजफ़्फरनगर, खतौली व सरधना में भाजपा आगे रही थी। इस तरह लोकसभा चुनाव में यहां कड़ी टक्कर के बाद रालोद को पीछे छोड़ते हुए संजीव बलियान ने भाजपा का परचम लहराया था। अब यहां सबकी नजरें पार्टी प्रत्याशी के साथ साथ सांसद के कामकाज पर भी टिकी हुई हैं। इसी प्रकार 2019 के लोकसभा चुनाव में गाजियाबाद सें केन्द्रीय मंत्री और पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह लोकसभा चुनाव जीते थे, तब उनके संसदीय क्षेत्र गाजियाबाद की लोनी, साहिबाबाद, मुरादनगर व गाजियाबाद विधानसभा सीट पर तो भाजपा आगे रही, लेकिन इन सीटों पर नंबर दो रहे सपा के सुरेश बंसल ने ढालौना में भाजपा को पीछे कर दिया था। बात नतीजे की कि जाए तो 2019 के आम चुनाव में भाजपा के वीके सिंह भारी बहुमत से जीते थे।
मोदी कैबिनेट में मंत्री ओर आगरा के सांसद एसपी बघेल की तो दोहरी परीक्षा हो रही है। वह सांसद होने के बावजूद सपा प्रमुख अखिलेश यादव के खिलाफ करहल से विधान सभा चुनाव लड़ रहे हैं। 2019 के आम चुनाव में आगरा संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली एत्मादपुर, आगरा कैंट, आगरा दक्षिण, आगरा उत्तर, जलेसर सब जगह भाजपा के एसपी बघेल आगे रहे थे और यहां बसपा ने सभी सीटों पर टक्कर दी। अब बघेल स्वयं करहल सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।
बागपत के सांसद और मोदी कैबिनेट में मंत्री हैं बीजेपी नेता सत्यपाल सिंह 2019 के आम चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री और किसानों के बड़े नेता चौधरी चरण सिंह दबदबे वाले इस क्षेत्र में रालोद प्रत्याशी को हरा कर चुनाव जीते थे, बागपत संसदीय सीट के अंदर आने वाली सिवालखास, छपरौली में तो सपा बसपा रालोद गठबंधन आगे रहा, लेकिन बरौली, बागपत व मोदीनगर में बड़ी बढ़त लेकर भाजपा के सत्यपाल सिंह जीत गए। केंद्रीय मंत्री होने के नाते उनके प्रभाव व पकड़ का भी आकलन होगा।
कैराना लोकसभा सीट ने पिछले कुछ वर्षो में काफी नाम ‘कमाया’ है। मगर इस कमाई के पीछे अच्छाई नहीं बुराई का बोलबाला है। हिन्दुओं के पलायन के कारण कैराना काफी बदमान हुआ था। यहां के सांसद हैं बीजेपी नेता प्रदीप चौधरी। 2019 के आम चुनाव में कैराना, थाना भवन व शामली में भाजपा आगे रही थी। नकुड़ में सपा व गंगोह में भाजपा आगे थी। नकुड़ व गंगोह में वोट दूसरे चरण में पड़ेंगे। अब यहां के भाजपा सांसद प्रदीप चौधरी भी पार्टी के लिए लगे हुए हैं। यहां भाजपा को अब सपा रालोद गठबंधन कड़ी टक्कर दे रहा है।
गौतम बुद्धनगर के सांसद हैं बीजेपी नेता महेश शर्मा। 2019 में इस संसदीय क्षेत्र की नोएडा, दादरी, जेवर, सिकंदराबाद व खुर्जा सभी विधानसभा सीट में भाजपा ने बसपा को पीछे छोड़ते हुए जीत हाासिल की थी और भाजपा के महेश शर्मा यहां से सांसद बने थे। बुलंदशहर के सांसद है बीजेपी नेता डॉ. भोला सिंह। 2019 में यहां की बुलंदशहर, स्याना, अनूपशहर, डिबाई व शिकारपुर सभी पांचों विधान सभा सीटों पर भाजपा के भोला सिंह ने बढ़त हासिल की और सांसद बने थे, अब इन सीटों पर भाजपा को जिताने में उनके काम की भी परख होगी। अलीगढ़ के सांसद सतीश गौतम की भी प्रतिष्ठा दांव पर है। अलीगढ़ की खैर, अलीगढ़, बरौली, अतरौली व कोल सभी पांचों क्षेत्रा में भाजपा आगे रही थी। यहां सांसद होने के नाते सतीश गौतम की प्रतिष्ठा भी दांव पर है।
हाथरस के सांसद हैं बीजेपी नेता राजवीर दिलेर। 2019 के आम चुनाव में दिलेर को हाथरस की छर्रा, इगलास, सादाबाद, सिकंदरा बढ़त मिली थी। भाजपा के राजवीर दिलेर आगे रहे और वह यहां से सांसद बने। अलीगढ़ की दो विधान सभा सीटों पर चुनाव दूसरे चरण में है। इसी प्रकार मथुरा से सांसद और मशहूर फिल्म अभिनेत्री हेमामालिनी की भी प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। मथुरा की छाता, मांट, गोवर्धन मथुरा बल्देव में हेमामालिनी आगे रहीं और हर जगह रालोद ने हेमा को टक्कर दी थी। यहां हेमामालिनी भारी बहुमत से जीती थीं। धार्मिक, सांस्कृतिक नगरी मथुरा में प्रत्याशियों के साथ हेमामालिनी की लोकप्रियता की परख होना है।
बात फतेहपुर सीकरी के सांसद राजकुमार चाहर की कि जाए तो 2019 के आम चुनाव में चाहर आगरा ग्रामीण, खैरागढ़, बाह ,फतेहाबाद व फतेहपुर सीकरी में राजकुमार चाहर आगे रहे थे। उन्हें चार सीटों पर कांग्रेस ने एक सीट पर सपा बसपा गठबंधन ने टक्कर दी। बीजेपी नेता और मेरठ के सांसद राजेंद्र अग्रवाल भी अपने संसदीय क्षेत्र में आने वाली विधान सभा सीटों पर पार्टी का परचम फहराने के लिए मेहनत कर रहे हैं। मेरठ संसदीय सीट के अंतर्गत आने वाली किठौर, मेरठ, मेरठ दक्षिण, हापुड़ विधान सभा सीटों में से बसपा, मेरठ कैंट में भाजपा से आगे रही थी। इसके बावजूद भाजपा ने एक सीट के भरोसे पूरी लोकसभा सीट जीत ली और राजेंद्र अग्रवाल सांसद बने।
प्रथम चरण में जिन 58 सीटों पर मतदान होना है, उसमें बसपा के एकमात्र सांसद है। बसपा के सांसद मलूक नगर ने भाजपा लहर में बिजनौर संसदीय क्षेत्र में पुरकाजी, मीरापुर, बिजनौर, चांदपुर व हस्तिनापुर सभी जगह जीत हासिल की थी, जबकि भाजपा इन सब सीटों पर नंबर दो पर रही थी। बिजनौर चांदपुर में दूसरे चरण में वोट पड़ेंगे। कुल मिलाकर प्रथम चरण की वोटिंग के दौरान तमाम विधान सभा प्रत्याशियों की जीत-हार पर फैसला होगा तो इन विधान सभा सीटों की कसौटी पर वहां के सांसदों का लेखा-जोखा भी तैयार होगा।
- अजय कुमार