जलवायु परिवर्तन का संकट देश की सीमाओं से परे है--केंद्रीय मंत्री  भूपेंद्र यादव

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Feb 02, 2022

चंडीगढ़।  गुरुग्राम में स्थित सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान में आज वर्ल्ड वेटलैंड डे मनाया गया। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री  भूपेंद्र यादव ने कहा कि जलवायु परिवर्तन का संकट देश की सीमाओं से परे है। हम स्वीडन, इग्लैंड और फ्रांस के साथ मिलकर पर्यावरण के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कम से कम 75 झीलों को रामसर साइट में शामिल कराएँगे। औद्योगिक नगरी गुरुग्राम के आसपास के इलाके को भी हरा भरा बनाया जाएगा। इस इलाके के लिए जब भी मैंने मुख्यमंत्री से कुछ कहा उस काम को उन्होंने हमेशा पूरा किया। 

 

सुल्तानपुर राष्ट्रीय पार्क में वर्ल्ड वेटलैंड डे पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अपने संबोधन में कहा कि सुल्तानपुर और भिंडावास लेक के आसपास के इलाके को होम स्टे पॉलिसी के तहत विकसित किया जाएगा। हमने पौंड अथारिटी बनाकर 1900 तालाबों को इसी साल ठीक करने का बीड़ा उठाया। प्रदेश के सभी 6000 ओवरफ्लो तालाबों को साफ करेंगे। 

 

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वर्तमान में भारत में रामसर स्थलों की कुल संख्या 47 है। दो और आद्र्रभूमि अर्थात्- खिजडिय़ा वन्यजीव अभयारण्य (गुजरात) और बखिरा वन्यजीव अभयारण्य (यूपी) को उस दिन रामसर स्थलों की सूची में शामिल किया जाएगा। इससे भारत में रामसर आद्र्रभूमि की संख्या 49 हो जाएगी।उल्लेखनीय है कि सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान गुरुग्राम-झज्जर राजमार्ग पर सुल्तानपुर गांव में स्थित है। यह गुरुग्राम से 15 किलोमीटर और दिल्ली से 50 किलोमीटर दूर है। यह 350 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है। सुल्तानपुर के एविफौना-समृद्ध पर्यावास की खोज पीटर जैक्सन ने की थी, जिन्होंने मार्च 1970 में अपने एक वन्यजीव विशेषज्ञ मित्र के साथ पार्क का दौरा किया था।

 

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सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान को 2 अप्रैल, 1971 को वन्यजीव अभयारण्य के रूप में अधिसूचित किया गया था। 5 जुलाई, 1991 को इसे राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा प्राप्त हुआ था। हर साल लगभग 50,000 प्रवासी पक्षी दुनिया के विभिन्न हिस्सों मुख्य रूप से यूरेशिया से खाने और सर्दियों का समय व्यतीत करने सुल्तानपुर आते हैं।सर्दियों में सुल्तानपुर में प्रवासी पक्षियों जैसे सारस क्रेन, डेमोइसेल क्रेन, उत्तरी पिंटेल, उत्तरी फावड़ा, रेड-क्रेस्टेड पोचार्ड, वेडर, ग्रे लैग गूज, गडवाल, यूरेशियन विजन, ब्लैक-टेल्ड गॉडविट आदि की चहचाहट एक सुरम्य चित्रमाला प्रदान करने का काम करती है। यह पार्क कोबरा, मॉनिटर लिजर्ड, हेजहोग, भारतीय खरगोश, येलो मॉनिटर लिजर्ड, सेही, सियार, नीला बैल का भी आवास है। यह पार्क एशियाई फ्लाईवे पर पड़ता है और इसलिए, कई पक्षी अपनी आगे और पीछे की यात्रा के दौरान यहां आराम करते हैं। भिंडावास वन्यजीव अभयारण्य एक मीठे पानी की झील, जो हरियाणा में सबसे बड़ी है, झज्जर जिले में स्थित है। यह झज्जर शहर से लगभग 15 किमी दूर है। यह एक हजार एकड़ से कुछ अधिक के क्षेत्र में विस्तृत है। इसे 5 जुलाई 1985 को वन्यजीव अभयारण्य के रूप में अधिसूचित किया गया था।

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