हिमाचल की राजनीति में ठाकुर और ब्राह्मणों का है वर्चस्व, हर 5 साल में होता रहा सत्ता परिवर्तन, क्या भाजपा रचेगी इतिहास

By अंकित सिंह | Oct 14, 2022

हिमाचल प्रदेश में चुनावी बिगुल बज चुका है। आगामी चुनाव को लेकर भाजपा और कांग्रेस जबरदस्त तरीके से चुनावी तैयारियों में जुटी हुई है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही चुनावी तारीखों के ऐलान का स्वागत किया है। जहां भाजपा नेताओं का दावा है कि उनकी पार्टी एक बार फिर से सत्ता में वापसी करेगी तो कांग्रेस को इस बात की उम्मीद है इतिहास फिर से दोहराया जाएगा और उनकी सरकार बनेगी। हालांकि, मतदाता 68 सीटों पर होने वाले चुनाव के लिए 12 नवंबर को अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। जबकि नतीजे 8 दिसंबर को आएंगे। वर्तमान में देखें तो भाजपा के खाते में 43 सीटें हैं। कांग्रेस के खाते में 22, सीपीआईएम के खाते में एक और अन्य के खाते में 2 सीटें हैं। 

 

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हिमाचल की भौगोलिक स्थिति

हिमाचल पहाड़ी राज्य है। यहां की भौगोलिक स्थिति थोड़ा कठिन है। हिमाचल को दो भागों में बांट सकते हैं। ऊपरी हिमाचल और लोअर हिमाचल। दुर्गम और पहाड़ी क्षेत्रों को ऊपरी हिमाचल माना जाता है जबकि तराई और पंजाब से लगे क्षेत्रों को लोअर हिमाचल के रूप में देखा जाता है। प्रकृति की गोद में बसा हिमाचल प्रदेश छोटा राज्य है। अपने सुंदरता की बदौलत वह सैलानियों को लाखों की संख्या में हर साल आकर्षित करता है। सियासत के हिसाब से भी काफी शांत राज्य रहा है। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस और भाजपा के बीच थी चुनावी लड़ाई होती है। अपर में जहां कांग्रेस की पकड़ है तो वही लोअर में बीजेपी का अच्छा जनाधार है। 2017 में भाजपा ने अपर और लोवर को बैलेंस कर सत्ता में वापसी की थी। 


ठाकुर और ब्राह्मणों का वर्चस्व

हिमाचल प्रदेश की राजनीति को अगर समझने की कोशिश करें तो यहां ठाकुर और ब्राह्मणों का वर्चस्व है। 68 में से 48 सीटें सामान्य वर्ग के लिए है। 17 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। जबकि 3 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए है। हिमाचल प्रदेश में जहां राजपूत 37.5 फ़ीसदी हैं तो ब्राह्मण 18 फ़ीसदी हैं। हिमाचल में दलितों की भी आबादी अच्छी खासी है। हिमाचल प्रदेश में दलितों की बात करें तो 26.6 फ़ीसदी हैं। 

 

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1990 से लगातार होता रहा है सत्ता में परिवर्तन

पूर्ण रूप से राज्य बनने के बाद हिमाचल के पहले मुख्यमंत्री यशवंत सिंह परमार थे। उसके बाद ठाकुर रामलाल को मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला। भाजपा के उदय के बाद से हिमाचल प्रदेश की राजनीति में एक बड़ा परिवर्तन आया। 1990 में शांता कुमार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। वह भाजपा के थे। 2 वर्ष 285 दिनों तक वह मुख्यमंत्री रहे। 1993 में हुए चुनाव में कांग्रेस को जीत हासिल हुई और वीरभद्र सिंह मुख्यमंत्री बने। 1998 में जब चुनाव हुए तो भाजपा को सफलता मिली और प्रेम कुमार धूमल मुख्यमंत्री बने। 2003 में सत्ता परिवर्तन हुआ और कांग्रेस ने वापसी की। वही 2007 में प्रेम कुमार धूमल एक बार फिर से भाजपा की ओर से सत्ता में वापसी करने में कामयाब रहे। 2012 के चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली थी। तो वहीं 2017 के चुनाव में भाजपा की जीत के बाद जयराम ठाकुर मुख्यमंत्री बने थे। अगर इस बार भाजपा विधानसभा चुनाव जीतने में कामयाब होती है तो हिमाचल में नया इतिहास लिखा जाएगा। अगर कांग्रेस जीतती है तो पुरानी परंपरा ही रिपीट होगी। 

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