आतंकवादी बन गया अफगानिस्तान का गृहमंत्री, अब आतंकवाद नहीं तो और क्या बढ़ेगा ?

By अशोक मधुप | Sep 08, 2021

अफगानिस्तान की फ़ौज ने भले ही तालिबान के सामने हथियार डाल दिए हों। उसने इस्लामिक कट्टरवाद के सामने सर झुका दिया हो पर अफगानिस्तान की महिला शक्ति और युवक अब गुलामी बर्दाश्त करने को तैयार नहीं हैं। पिछले तीन दिन से अफगानिस्तान में उसके खिलाफ प्रदर्शन चल रहे हैं। वे पाकिस्तान और अफगानिस्तान में नए आये तालिबान के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। कई दिन पहले काबुल का पांच महिलाओं के प्रदर्शन का आया समाचार ये बताने के लिए काफी था कि चिंगारी अंदर ही अंदर दहक रही है। अब के प्रदर्शन ये बताने को बहुत हैं कि वह चिंगारी अब भयंकर रूप ले चुकी है। समाचार यह है कि महिलाओं और युवकों के प्रदर्शन को तित्तर-बित्तर करने के लिए तालिबानी लड़ाकों को फायरिंग करनी पड़ी। इसमें प्रदर्शनकारी कुछ महिलाएं घायल भी हुई हैं। लेकिन महिलाओं और युवकों के बढ़ते प्रदर्शन उनका निर्णय बताने के लिए काफी हैं। ये बताने के लिए काफी हैं कि वे तय किये बैठे हैं कि पिछले 20 साल में जो उन्हें आजादी मिली, उम्मीद की जो नई रोशनी दिखी उसे वह खोने नहीं देंगे।

इसे भी पढ़ें: कब्जा तो कर लिया लेकिन सरकार बनाने के लिए आपस में ही सिर-फुटव्वल कर रहा है तालिबान

उधर पंजशीर पर तालिबान के कब्जे के भले ही समाचार आ रहे हों पर उसकी जंग अभी खत्म नही हुई। वहां के लड़ाके उसी तरह पहाड़ों में जाकर छिप गए हैं जैसे तालिबान अमेरिकी हमलों से बचने को पहाड़ों में जा छिपते थे। मौका पाकर, शक्ति बटोर कर फिर हमलावर हो जाते थे। अब अफगानिस्तान की नई सरकार की घोषणा हो गई। किंतु हाल की उस घटना को नहीं भुलाया जा सकता। सरकार में प्रभुत्व को लेकर तालिबान के दो गुट में संघर्ष हुआ है। तालिबान के सह-संस्थापक मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर अपने संगठन के सहयोगी हक़्क़ानी नेटवर्क के साथ एक झड़प में घायल हो गए। ये झड़प तालिबान के दोनों धड़ों के बीच हुई। अब अब्दुल ग़नी बरादर अपना इलाज पाकिस्तान में करा रहे हैं।


अमेरिका अफगानिस्तान से ऐसे ही नहीं गया। बीस साल यहां रहकर ऐसा कर गया है कि अफगानिस्तान के जल्दी हो टुकड़े हो जाएंगे। अमेरिका का इतिहास रहा है कि वह जिस मुल्क में रहा है, वहां से जाने के बाद उसके टुकड़े हो गए हैं। सिर्फ वियतनाम में नहीं हुआ। आज जो पूरी दुनिया में तमाम लोग यह कहकर खुशी मना रहे हैं कि अमेरिका तालिबान के सामने हार गया। अमेरिका पीठ दिखा कर चला गया। सच्चाई यह है कि अमेरिका का असली खेल दूसरे देश से जाने के बाद शुरू होता है। सोमालिया तीन हिस्से में टूट चुका है। लीबिया के पांच हिस्से हो गए। इराक के अलग-अलग हिस्से में अलग-अलग सरकार है। कुर्दिस्तान अलग देश बन चुका है। सुन्नी एरिया में सुन्नी सरकार है। शिया बहुल इलाकों में शिया सरकार है। अफगानिस्तान का इतिहास भी ऐसा ही होने वाला है। अफगानिस्तान कबीलों में बंटा देश है। इन कबीलों में एक दूसरे से शक्तिशाली और इस्लामिक बनाने की प्रतिस्पर्धा है। ये मुश्किल से ही एक दूसरे के वर्चस्व को स्वीकार करेंगे और आपस में ही मारकाट मचाएंगे। एक दूसरे का खून बहाएंगे। तालिबान लड़ाकों में भी खुद कई गुट हैं।


दूसरे अमेरिका के चुपचाप चले जाने के और भी कई अर्थ हैं। उसने तालिबान से समझौता किया है कि वह अफगानिस्तान की भूमि को अमेरिका और मित्र राष्ट्रों के विरोधियों को इस्तमाल नहीं करने देगा। वह जानता था कि तालिबान अपनी बात के पक्के नहीं हैं फिर भी उसने पासा फेंका और अफगानिस्तान की खाई से निकल गया। वह अफगानिस्तान से निकल भले ही गया हो, किंतु आसपास में मौजूद होकर यहां के हालात पर नजर रखे है। अफगानिस्तान से निकलीं उसकी फोर्स उस पाकिस्तान में मौजूद हैं, जो तालिबान का मददगार है। जो नया मंत्रिमंडल बना है, उसके गृह मंत्री बने सिराजुद्दीन हक्कानी मोस्टवांटेड आतंकवादी है। उस पर अमेरिका ने भारतीय मुद्रा में 37 करोड़ का ईनाम घोषित किया हुआ है। क्या अमेरिका इन्हें ऐसे ही जिंदा छोड़ देगा।

इसे भी पढ़ें: तालिबान चाहे तो नया इस्लामी लोकतंत्र स्थापित कर अपनी छवि सुधार सकता है

अभी चीन खुश है कि उसे अफगानिस्तान की खनिज संपदा पर कब्जे का अधिकार मिल जाएगा। जबकि ऐसा लगता नहीं। अमेरिका ने अफगानिस्तान में आतंकवाद बढ़ा कर रूस को तोड़ दिया। अब सिर्फ चीन ही उसकी आँखों की किरकिरी बना हुआ है। उसका और मित्र राष्ट्र का अब टारगेट सिर्फ चीन को तोड़ना है। चीन की सीमा भी अफगानिस्तान से लगी है। इसके यहां उईगिर मुसलमानों पर हो रहे जुल्म जगजाहिर हैं। आने वाले समय में उईगिर मुसलमानों पर चीन में हो रहे जुल्म को हवा दी जाएगी। तालिबान ही उसके दुश्मन बन खड़े होंगे। अफगानिस्तान में तालिबान के आने को लेकर जो खुशी मना रहे हैं, उन्हें मनाने दीजिए। ये कुछ दिन की चांदनी है। कुछ दिन की रौनक है। देखते जाईये। अभी पिक्चर का शो शुरू हुआ है। ये सिर्फ ट्रेलर है। वैसे भी पिक्चर का अंत काफी दुखांत है।


-अशोक मधुप

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

प्रमुख खबरें

PM Narendra Modi कुवैती नेतृत्व के साथ वार्ता की, कई क्षेत्रों में सहयोग पर चर्चा हुई

Shubhra Ranjan IAS Study पर CCPA ने लगाया 2 लाख का जुर्माना, भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने है आरोप

मुंबई कॉन्सर्ट में विक्की कौशल Karan Aujla की तारीफों के पुल बांध दिए, भावुक हुए औजला

गाजा में इजरायली हमलों में 20 लोगों की मौत