आतंकवाद ने महामारी का रूप ले लिया हैः उपराष्ट्रपति

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Apr 29, 2017

विशेष विमान से। उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा कि आतंकवाद ने महामारी का रूप ले लिया है और इससे प्रत्येक समाज प्रभावित है। उन्होंने कहा कि कुछ देश आतंकवाद को परिभाषित करने के विषय पर कानूनी तकनीकी पहलुओं का हवाला देते हुए इस पर प्रतिबद्धता व्यक्त करने से बचने का प्रयास कर रहे हैं। आर्मीनिया और पोलैंड की दो दिवसीय यात्रा से लौटते हुए विशेष विमान में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि आतंकवाद ने महामारी का रूप ले लिया है और इससे प्रत्येक समाज प्रभावित है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक देश आतंकवाद की समस्या का सामना कर रहा है ‘‘कुछ कम, कुछ ज्यादा’’ और वे सभी इस समस्या से सभी भलीभांति परिचित हैं।

 

अंसारी ने बताया कि जब वह 1994 में न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि थे तब भारत ने अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर समग्र संधि (सीसीआईटी) का प्रस्ताव पेश किया था लेकिन आतंकवाद को परिभाषित करने के संबंध में विभिन्न देशों की सोच में अंतर के कारण यह प्रस्ताव अटक गया। उपराष्ट्रपति ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समझौता करते समय कई तरह की कानूनी समस्याएं सामने आती हैं लेकिन जो लोग इसे साकार नहीं होते देखना चाहते हैं, वे कानूनी तकनीकी पहलुओं का हवाला देते हैं। आतंकवादी को परिभाषित करने के संबंध में उन्होंने कहा, ''यह कुछ देशों की ओर से इस विषय पर प्रतिबद्धता व्यक्त करने से बचने के संबंध में दी जाने वाली दलील है।’’ उपराष्ट्रपति से अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर समग्र संधि को अंगीकार किये जाने से जुड़ी समस्याओं के बारे में पूछा गया था। अपनी आर्मीनिया और पोलैंड की यात्रा को सार्थक करार देते हुए अंसारी ने कहा कि दोनों देश भारत के मित्र देश हैं और हम आपसी सहयोग के विषय पर अपने रिश्तों में नयी ऊर्जा भरने में सफल रहे।

 

उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा कि आर्मीनिया हालांकि छोटा देश है लेकिन पारंपरिक रूप से काफी मित्रवत है। पोलैंड का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह मध्य यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और हम उसके साथ कारोबार बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पोलैंड में भारत का निवेश है और भारत में पोलैंड का निवेश है और वहां के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों के साथ बातचीत के दौरान हमने कुछ विशिष्ठ क्षेत्रों की पहचान की है जहां दोनों देशों के बीच सहयोग या तो शुरू हो गया है या जल्द ही शुरू होगा। अंसारी ने कहा, ''हमने तीन मुख्य क्षेत्रों में ध्यान दिया जिसमें स्वच्छ कोयला खनन प्रौद्योगिकी, कृषि उत्पाद एवं तकनीक और रक्षा सहयोग शामिल है।’’ उपराष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने पोलैंड के नेतृत्व को सुझाव दिया कि पोलैंड केवल विक्रेता बनने की बजाए ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम में सहभागी बने, इससे वे भारत स्थित विक्रेता बन सकते हैं और इससे उन्हें अतिरिक्त लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि पोलैंड की ओर से इस सुझाव पर सकारात्मक प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है और आने वाले दिनों में इस पर काफी प्रगति होगी जब पोलैंड के राष्ट्रपति भारत आयेंगे। उन्होंने कहा कि समग्र रूप से चर्चा काफी केंद्रित, सकारात्मक रही और दोनों देशों में परिणाम सकारात्मक रहे। अर्मीनिया के नवोन्मेष का भारत में उपयोग करने के बारे में एक सवाल के जवाब में उपराष्ट्रपति ने कहा कि अर्मीनिया का नवोन्मेष अच्छा है और भारतीय प्रयास सही राह पर हैं।

 

अंसारी ने कहा कि हमें यह देखने की जरूरत है कि नवोन्मेष कैसा और किस क्षेत्र में है और हमारी जरूरतों के अनुरूप कहां उपयुक्त होगा। पोलैंड के साथ आगे के संबंधों के बारे में एक सवाल के जवाब में उपराष्ट्रपति ने कहा कि पोलैंड ने भारत के बढ़ते प्रभाव से जुड़े पहलुओं के बारे में होमवर्क किया है और वह भारत का अहम कारोबारी साझेदार बन गया है। उन्होंने कहा कि पोलैंड ने एशिया के कुछ बाजारों की प्राथमिकता पर आधारित बाजार के रूप में पहचान की है और भारत उनमें से एक है। हम दोनों इस प्रक्रिया को मजबूत बनाने और इस बारे में कई पहलों को आगे बढ़ाने को लेकर आशान्वित हैं।

 

विदेशों में भारत की छवि के बारे में सवालों के जवाब में उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत की छवि बाहर और देश के भीतर अलग अलग सतहों पर हैं और विविध प्रकार की छवियां जीवन का तथ्य है। उन्होंने इस संदर्भ में इसरो के जरिये मंगल अभियान और कई देशों के उपग्रह प्रक्षेपित किये जाने के विषय को उठाया। अंसारी ने कहा कि एक आम आदमी सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हमारी ताकत को देखता है और देखें तो पूरी दुनिया में भारत के आईटी पेशेवर फैले हुए हैं। हमें देखना होगा कि इसरो क्या कर रहा है, आईटी के क्षेत्र में क्या हो रहा है और भारतीय वैज्ञानिक शोध के क्षेत्र में क्या हो रहा है। उन्होंने कहा, ''इसके साथ ही गरीबी भी है, असमानता भी है लेकिन इसके बावजूद यह भी तथ्य है कि हम पिछले सात दशकों से अपनी लोकतांत्रिक व्यवस्था को आगे बढ़ाने में सफल रहे हैं।’’ उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी 24 अप्रैल को पांच दिवसीय यात्रा पर आर्मेनिया और पोलैंड रवाना हुए थे। अंसारी 24 से 26 अप्रैल तक आर्मेनिया की यात्रा पर थे जबकि पोलैंड में उनकी यात्रा का कार्यक्रम 26 से 28 अप्रैल तक था।

 

अंसारी के साथ आर्मेनिया और पोलैंड की यात्रा पर लघु, मध्यम एवं सूक्ष्म उद्योग राज्य मंत्री गिरिराज सिंह भी गए थे। उपराष्ट्रपति के साथ एक संसदीय शिष्टमंडल भी गया था जिसमें माकपा सांसद सीताराम येचुरी, राकांपा सांसद डीपी त्रिपाठी, कांग्रेस सांसद विवेक तनखा और भाजपा सांसद थुपस्टान चेवांग शामिल थे। अंसारी ने आर्मीनिया में येरेवान विश्वविद्यालय में छात्रों और शिक्षकों को भी संबोधित किया। इस यात्रा के दौरान भारत और आर्मीनिया के बीच तीन सहमति पत्रों पर हस्तक्षर किये गए जिसमें अंतरिक्ष क्षेत्र में सहयोग शामिल है। आर्मेनिया के बाद अंसारी पोलैंड की यात्रा पर 26 अप्रैल को वारसा पहुंचे। पोलैंड ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य के रूप में भारत की उम्मीदवारी तथा एनएसजी के विषय पर अपना समर्थन जताया। वारसा में अंसारी ने पोलैंड के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और सीनेट के स्पीकर के साथ वार्ता की। इस दौरान कृषि क्षेत्र में एक सहमति पत्र पर भी हस्ताक्षर किये गए।

 

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