History of Telangana: कई दशकों के आंदोलन के बाद तेलंगाना बना था अलग राज्य़, जानिए इसका इतिहास

By अनन्या मिश्रा | Sep 10, 2023

वर्तमान में भारत में 28 राज्य और 8 केंद्रशासित प्रदेश हैं। आजादी के बाद साल 1953 में राज्यों की सीमा निर्धारित करने के लिए राज्य पुनर्गठन आयोग बनाए गए थे। राज्य पुनर्गठन आयोग ने देश के सभी राज्यों की सीमा तय कर दी थी। लेकिन समय-समय पर कई राज्यों को बनाया गया। जिसके कारण सांस्कृतिक विविधता और भाषा जैसी वजहें थीं। जिस कारण उत्तराखंड जो पहले उत्तर प्रदेश का हिस्सा हुआ करता था। वह यूपी से अलग होकर एक राज्य बन गया। वहीं पंजाब से हरियाणा को अलग कर नया राज्य बना दिया गया। 


इसके अलावा झारखंड पहले बिहार का हिस्सा था, उसे भी अलग राज्य बना दिया गया। हर नए बने राज्य के पीछ एक अपनी बड़ी वजह रही है। इसी कड़ी में तेलंगाना भी भारत का 29वां राज्य बना। बता दें कि तेलंगाना पहले आंध्र प्रदेश का हिस्सा हुआ करता था। जिसे 2 जून 2014 को आंध्रप्रदेश से अलग कर 29वां राज्य घोषित कर दिया गया। हालांकि तेलंगाना को एक अलग राज्य बनाने के लिए लोगों को काफी लंबा सफर तय करना पड़ा था। 

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बता दें कि साल 2009 में चंद्रशेखर राव के अनशन के बाद तेलंगाना को बनाने की मांग उठी थी। लेकिन इस बात में ज्यादा सच्चाई नहीं है। आजादी के बाद से ही तेलंगाना को अलग राज्य घोषित किए जाने की मांग उठ रही थी। उस समय यह आवाज देश में चल रही दूसरी गतिविधियों के कारण दब गई। आइए जानते हैं कि इस राज्य का निर्माण कैसा रहा और किस तरह से यह एक अलग राज्य बना।


पहले तेलंगाना आंध्र प्रदेश का हिस्सा हुआ करता था। देश को आजादी मिलने से पहले यह हैदराबाद का हिस्सा हुआ करता था। इस पर निजाम का शासन था। जिसमें वारंगल और मेदकवास भी शामिल था। लेकिन साल 1948 में इसको भारत में शामिल कर लिया गया। साल 1969 के समय से ही तेलंगाना को राज्य बनाने के लिए शुरूआत हो गई थी। साल दर साल तेलंगाना को राज्य बनाए जाने की मांग जोर पकड़ती रही। साल 1969, 1972 और 2009 में तेलंगाना को अलग राज्य बनाए जाने के लिए बड़े-बड़े आंदोलन भी किए गए। इन आंदोलनों के कारण ही इसे अलग राज्य बनाए जाने में मदद मिली।


भारत सरकार ने 9 दिसंबर 2009 को अधिकारिक रूप से तेलंगाना राज्य बनाने की घोषणा की थी। लेकिन इसके विरोध में रायलसीमा के कुछ आमदार और खासदार ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया था। सरकार की इस घोषणा को सुनने के बाद तेलंगाना के प्रदेश में कई जगहों पर हिंसा हुई। भारत सरकार ने बढ़ती हुई हिंसा के कारण दिसंबर 2009 के बाद इस मुद्दे को आगे बढ़ाने का प्रयास नहीं किया। लेकिन इस दौरान तेलंगाना राज्य को लेकर अन्य प्रदेशों में लगातार आंदोलन का दौर जारी रहा। 


कांग्रेस सरकार ने जब 30 जुलाई 2013 को तेलंगाना राज्य बनाने का ऐलान किया। तो यह आंदोलन भी उग्र रूप लेता चला गया। इस घोषणा के बाद अगले 10 सालों तक तेलंगाना और आंध्रप्रदेश की राजधानी हैदराबाद को बनाए जाने का फैसला किया गया। जिसके बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 3 अक्टूबर 2013 को सरकार के इस फैसले को मंजूरी दे दी। 5 दिसंबर 2013 को तेलंगाना राज्य विधेयक को भारत सरकार की मंजूरी मिलने के बाद उस विधेयक को पास करने के लिए संसद में रखा गया। 15वीं लोकसभा ने 8 फरवरी 2014 को इस विधेयक को मंजूरी दे दी। इसके बाद 20 फरवरी 2014 को राज्य सभा ने भी इस विधेयक को हरी झंडी दे दी।


भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 1 मार्च 2014 को तेलंगाना राज्य को लेकर मंजूरी दे दी थी। इसी फैसले को लेकर उसी दिन राजपत्र अधिसूचना भी निकाल दी गई। जिसके बाद 4 मार्च 2014 को भारत सरकार ने घोषणा करते हुए कहा कि तेलंगाना राज्य की निर्मती की जाएगी। वहीं तेलंगाना राज्य का निर्माण 2 जून 2014 को किया गया। बता दें कि तेलंगाना राज्य में 31 जिले हैं। 


इस राज्य में विकाराबाद, जयशंकर, जगतियल, पेदापल्ली, वारंगल(ग्रामीण), यदादरी, कमारेड्डी, सिद्धिपेट, जनगाव, मेदक, मन्चेरियल, महाबुबाबाद, राजन्ना, सुर्यपेट, निर्मल, नगरकुर्नूल, जोगुलाम्बा, असिफाबाद, कोठागुदेम, वानापर्थी और मेदचल/मल्कैगिरी इन नए जिलों का निर्माण किया गया था। इसके अलावा राज्य में अन्य 10 जिले जिनमें आदिलाबाद, महबुबनगर, मेदक, करीमनगर, हैदराबाद, वारंगल, निजामाबाद, रंगा रेड्डी, खम्मम और नलगोंडा जैसे शहर शामिल है। नए जिलों के अलावा राजस्व विभाग, मंडल, और अन्य प्रशासकीय विभाग भी निर्माण किए गए।


तेलंगाना की अहम बातें

बता दें कि तेलंगाना की आधिकारिक भाषा तेलुगु है। 

साल 1948 से पहले हैदराबाद की अधिकारिक भाषा उर्दू ही थी, लेकिन इसके भारत में शामिल होने के बाद राज्य की आधिकारिक भाषा तेलुगु को बनाया गया। 

तेलंगाना देश का 29वां राज्य है जो जनसंख्या और क्षेत्रफल की दृष्टि से देश का 12वां सबसे बड़ा राज्य है। 

इस राज्य की सबसे बड़ी पार्टी तेलंगाना राष्ट्रीय समिति यानी टीआरएस है।

तेलंगाना में 119 विधानसभा सीटे हैं। वहीं विधान परिषद में 40 सीटें और 17 लोकसभा की सीटे हैं। 

तेलंगाना की पहले मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव है। वहीं राज्य के पहले राज्यपाल एक्काडु श्रीनिवासन लक्ष्मीनरसिम्हा है।

तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की राजधानी हैदराबाद है। यह 10 सालों तक इन दोनों राज्यों की राजधानी रहेगी।

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